कंगाल पाकिस्तान, तंगहाल सरकार

पाकिस्तान की खराब माली हालत सर्वविदित है। यह मूल्क सिर से पांव तक कर्ज में डूबा पड़ा है। विदेशी कर्ज निरंतर बढ़ रहा है। सरकारी खजाना खाली होने से मुश्किलें दिन दूनी रात चौगनी तरीके से बढ़ रही है। कंगाल पाकिस्तान की कड़वी सच्चाई को अब प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी स्वीकार कर लिया है। इससे देशभर में निराशा का आलम है। पीएम इमरान की स्वीकारोक्ति से साफ है कि आर्थिक तंगी का संकट सोच से ज्यादा बढ़ा हो गया है। इसके लिए बेशक वह पूर्ववर्ती सरकारों को दोष दें, मगर सत्ता में रहते वह खुद अब तक कोई बड़ा कमाल नहीं दिखा पाए हैं। उनका अब तक का कार्यकाल असफल पीएम के तौर पर देखा जा रहा है। विपक्ष की तरफ से लगातार उन पर तीखा हमला हो रहा है।

पीएम इमरान ने यह कहकर सनसनी फैला दी है कि सरकार के पास वर्तमान में देश चलाने तक के लिए पैसा नहीं है। इसलिए उसे विदेशों के सामने हाथ फैलाने पड़ते हैं। पाकिस्तानी पीएम ने माना है कि बढ़ता विदेशी कर्ज और कम टैक्स रेवेन्यू राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बन गया है, क्योंकि सरकार के पास नागरिकों के कल्याण पर खर्च करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। पीएम इमरान ने देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति के लिए कहीं न कहीं पिछली सरकार और उसके मंत्रियों को जिम्मेदार ठहरा कर अपना बचाव करने की हरसंभव कोशिश की है। पाकिस्तान से पचास गुना अधिक आय ब्रिटेन की है। ब्रिटेन के मंत्री जब विदेश यात्रा पर जाते हैं तो पांच घंटे से कम की फ्लाइट के लिए वह इकॉनमी क्लास का उपयोग करते हैं।

दरअसल ब्रिटेन के मंत्रियों को यह मालूम होता है कि वह जनता का पैसा इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके उलट अतीत में पाकिस्तानी नेताओं ने इस पर जमकर पैसा खर्च किया। आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए इमरान सरकार हरसंभव संभावना को तलाश कर काम रही है। माली हालत को सुधारने के लिए गधों का भी सहारा लिया गया है। इसके चलते महत्वाकांक्षी योजना पर काम चल रहा है। इस योजना में पाकिस्तान को चीन की भी मदद मिल रही है। खैबर-पख्तूनख्वा में केपी-चाइना सस्टेनेबल डंकी डेवलपमेंट प्रोग्राम संचालित किया जा रहा है। गधों का कारोबार बढ़ाने के लिए विशेष तौर पर गधों का मेला तक लगाया जा रहा है।

दरअसल गधों की आबादी के लिहाज से पाकिस्तान दुनिया में तीसरे नंबर का देश है। एक अनुमान के मुताबिक समूचे पाकिस्तान में लगभग 50 लाख गधे हैं। पाकिस्तान इन गधों को चीन को निर्यात कर रहा है। चीन में गधों से तैयार उत्पादों और दवाइयों की भारी डिमांड है। वैसे गधों की आबादी सबसे ज्यादा चीन में है। चीन को गधों की आपूर्ति करने के लिए लाहौर, पंजाब और खैबर-पख्तूनख्वा में ‘डंकी फार्म तक बनाए गए हैं। जबकि पंजाब और लाहौर में खास गधों के लिए शानदार अस्पताल बनाया गया है। इस अस्पताल में गधों को तंदुरुस्त बनाए रखने के लिए सभी इंतजाम हैं। मसलन टीकाकरण से लेकर ब्रीडिंग तक के प्रबंध वहां उपलब्ध हैं।

इमरान सरकार को लगता है कि गधों के कारोबार से लाखों पाकिस्तानियों का सामाजिक एवं आर्थिक विकास हो सकेगा। इसलिए खैबर-पख्तूनख्वा समेत पंजाब औऱ लाहौर में पिछले कई साल से गधों का मेला आयोजित किया जा रहा है। पाकिस्तान बड़े पैमाने पर चीन को गधे का निर्यात करेगा। इन गधों से चीन में परंपरागत दवाइयां तैयार की जाएंगी। गधे की खाल से तैयार दवा को चीन में इम्यून सिस्टम को मजबूत करने और खून बढ़ाने वाला माना जाता है। इनमें भी सबसे लोकप्रिय दवा इजियाओ है। यानी गधों के कारोबार में पाकिस्तान सरकार को अपनी अर्थव्यस्था को पटरी पर लाने की संभावनाएं दिख रही हैं। बढ़ती आर्थिक तंगी के बीच पाकिस्तान को अब आसानी से कर्ज भी नहीं मिल पा रहा है।

इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) ने इमरान सरकार को छह अरब डॉलर का कर्ज देने के लिए 5 शर्त लागू कर दी हैं। इन शर्तों को पूरा किए बगैर पाकिस्तान को कर्ज मिलना संभव नहीं है। पाकिस्तान यदि इन शर्तों को पूरा कर भी देता है तो उसे तब भी कर्ज मिलना तय नहीं होगा। इसका कारण यह है कि इन शर्तों के पूरा होने के बाद आईएमएफ बोर्ड सिर्फ मांग पर विचार के लिए बैठक बुलाएगा। यानी ये भी मुमकिन है कि कुछ नई शर्तें जोड़ दी जाएं। पाकिस्तान सरकार और आईएमएफ के बीच अप्रैल से बातचीत चल रही है, मगर अब तक लोन नहीं मिल सका है। इसका मुख्य कारण पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड भी है।

आईएमएफ ने साफ कर दिया है कि जब तक पाकिस्तान उसकी आर्थिक सुधार की शर्तों को पूरा नहीं करता, तब तक उसे छह अरब डॉलर के कर्ज की एक भी किश्त नहीं मिलेगी। आईएमएफ ने पिछले माह यह पांच शर्तें पाकिस्तान सरकार के सामने रखी थीं। बिजली और पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पहले ही महंगे किए जा चुके हैं। बाकी तीन मांगें स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान संशोधन बिल लाना, टैक्स छूट रद्द करना और स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान को सरकारी दखलंदाजी से मुक्त करना हैं। परेशानी यह है कि इमरान सरकार को ये तीनों ही शर्तें पूरी करने के लिए संसद के पास जाना होगा। विपक्ष के सहयोग के बिना ये बिल पास नहीं हो सकते।

सरकार यदि ऑर्डिनेंस के जरिए यह कोशिश करती है तो इसमें भी कम से कम छह माह लगेंगे। तब तक पैसा कहां से आएगा। मसलन इस समय पाकिस्तान के सामने आगे कुआं और पीछे खाई जैसी स्थिति पैदा हो गई। देश में बढ़ती महंगाई से आमजनता त्रस्त है। विकास कार्यों की गति रूकी पड़ी है। नई विकास योजनाओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में विपक्ष को भी इमरान सरकार को घेरने के लिए एक और मुद्दा मिल गया है। इमरान को सत्ता से बाहर करने के लिए विपक्ष खूब प्रयास कर रहा है। पाकिस्तान में सत्ता और सेना के बीच भी मनमुटाव की खबरें सामने आ रही हैं। फिलहाल इमरान खान के लिए यह समय अग्रिपरीक्षा से कम नहीं है।