लाउडस्पीकर पर सियासत

महाराष्ट्र में लाउडस्पीकर पर सियासी संग्राम छिड़ गया है। शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) एकाएक आमने-सामने आ चुकी हैं। दोनों तरफ से जुबानी जंग तेज हो गई है। नवरात्र और रमजान पर्व के बीच उभरा यह विवाद देशभर में चर्चाओं के केंद्र में है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने राज्य में मस्जिदों पर तेज आवाज में लाउडस्पीकर बजाए जाने पर आपत्ति जाहिर की है। उन्होंने सवाल उठाया है कि मस्जिदों में लाउडस्पीकर आखिर तीव आवाज में क्यों बजाए जाते हैं ? राज ठाकरे ने राज्य सरकार से इन लाउडस्पीकर हटाने की मांग कर डाली है। ऐसा न होने पर मस्जिदों के बाहर तेज आवाज में हनुमान चालीसा का पाठ स्पीकर के जरिए करने की चेतावनी दी है।

मुंबई के शिवाजा पार्क में आयोजित रैली में ठाकरे यह बयान देकर उद्धव ठाकरे सरकार को बेचैन कर दिया है। राज ठाकरे की पहचान आक्रामक राजनेता के तौर पर की जाती है। वह जब भी कोई तीखा बयान देते हैं तो उस पर विवाद उभर आता है। महाराष्ट्र में मनसे का वजूद बेशक ज्यादा नहीं है, मगर उसके प्रमुख किसी भी मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाने में कभी पीछे नहीं हटते हैं। महाराष्ट्र में गठबंधन की सरकार चल रही है। कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सहयोग से शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे सरकार के अगुआ बने हैं। मनसे प्रमुख के ताजा बयान के बाद सबसे पहली प्रतिक्रिया भी शिवसेना की तरफ से आई है। चूंकि वह सरकार का अह्म हिस्सा है।

मनसे को जवाब देने के लिए शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कमान संभाली है। राउत भी आक्रामक छवि के लिए जाने जाते हैं। विपक्ष की तरफ से शिवसेना पर हमला होने पर वह पलटवार करने में देरी नहीं करते हैं। मनसे प्रमुख राज ठाकरे के बयान पर संजय राउत मानो तिलमिला गए हैं। उन्होंने कहा है कि भाजपा और शिवसेना के मध्य जो भी है, हम उसे सुलझा लेंगे, हमें किसी तीसरे की जरूरत नहीं है। राउत ने उलटा सवाल किया कि भाजपा शासित कितने राज्यों में मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटा दिए गए?

उन्होंने कहा है कि महाराष्ट्र में देश का कानून कायम है। गृह मंत्री सब कुछ कानून के अनुसार करेंगे। महाराष्ट्र में मस्जिदों पर तीव्र आवाज में लाउडस्पीकर बजाए जाने का मुद्दा कोई पहली बार नहीं उठाया गया है। सनद रहे कि नामचीन गीतकार सोनू निगम ने काफी समय पहले इस मामले पर ट्वीट कर अपनी पीड़ा को जाहिर किया था। सोनू निगम ने कहा था कि मुंबई में वह जिस सोसाइटी में रहते हैं, वहां पास में सुबह-सवेरे मस्जिद से तेज आवाज में लाउडस्पीकर बजाए जाने से उन्हें तकलीफ होती है। ऐसे में नींद भी पूरी नहीं हो पाती है। बाद में निगम की मंशा पर कुछ राजनीतिक दलों ने सवाल उठा दिए थे।

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में 2017 से पहले धार्मिक स्थलों में तेज आवाज में लाउडस्पीकर बजाए जाने को लेकर अक्सर विवाद होता था। हालांकि कोर्ट की तरफ से इस मामले पर स्पष्ट आदेश दिए गए हैं। ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम के नियमों का पालन कराने के लिए कोर्ट द्वारा समय-समय पर आदेश दिए जाते रहे हैं, मगर राज्य सरकारों की तरफ से इस पर कभी गंभीरता से कार्रवाई नहीं की जाती है। 2017 में योगी सरकार आने के बाद यूपी में हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन कराने में गंभीरता दिखाई गई।

सरकार ने साफ कर दिया थी कि चाहे मंदिर हो अथवा मस्जिद, गुरुद्वारा हो या गिरजाघर सभी जगह लाउडस्पीकर की आवाज को नियमानुसार रखा जाए। सरकार के फरमान का असर भी हुआ। वर्तमान में यूपी में धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर की वजह से विवाद समाप्त हो चुके हैं। महाराष्ट्र में मनसे प्रमुख ने जिस आक्रामक अंदाज में लाउडस्पीकर का मुद्दा उठाया है, उससे विभिन्न राजनीतिक दलों एवं समुदाय विशेष को ऐतराज हो सकता है, मगर यह मामला जनहित की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी माना जाता है। कहा जाता है कि मुंबई ना कभी सोती है और ना रूकती है।

साफ है कि वहां अपनी आजीविका के लिए नागरिकों को दिन-रात मेहनत करनी पड़ती है। कल्पना कीजिए कि आप देर रात नौकरी से थक-हारकर घर लौटे और भरपूर नींद लेने के लिए बिस्तर पर चले जाएं। इस बीच तड़के तीव्र आवाज की वजह से यदि आपकी नींद में खलल पड़ती है तो इससे परेशानी होना स्वभाविक है। अलबत्ता मनसे प्रमुख की मंशा को गलत ठहराने या उस पर राजनीति करने की बजाए शिवसेना को इस समस्या के समाधान की दिशा में कदम उठाने चाहिए।

मुख्यमंत्री होने के नाते उद्धव ठाकरे की जिम्मेदारी बनती है कि वह महाराष्ट्र में ऐसा कोई काम न होने दें, जो नियमों के विपरित हो। ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग के नियम निर्धारित हैं। यदि इन नियमों का कडाई से पालन कराए जाएगा तो किसी को कोई दिक्कत नहीं होगी, मगर वोट की खातिर किसी वर्ग विशेष के हितों को ध्यान में रखकर बड़ी आबादी की परेशानी को नजरअंदाज करना सही नहीं है।