महंगाई से थोड़ी राहत, थोड़ी और मिल जाए

देश में चौतरफा महंगाई की पड़ रही मार से इतर केंद्र सरकार ने जनता को थोड़ी राहत प्रदान की है। सरकार ने पेट्रोल एवं डीजल पर एक्साइज डयूटी में कटौती कर दी है। सरकार के इस फैसले से देशभर में पेट्रोल की कीमत साढ़े 9 रुपए प्रति लीटर और डीजल की कीमत 7.05 रुपए प्रति लीटर कम हो गई। इसके पहले पेट्रोल एवं डीजल के दाम सौ रुपए प्रति लीटर से ऊपर पहुंच गए थे। पेट्रोलियम पदार्थों के दाम में अप्रत्याशित वृद्धि होने से आम जनता त्राहिमाम-त्राहिमाम करने को मजबूर हो गई। विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।

महंगाई के मुद्दे पर विपक्ष निरंतर आक्रामक रूख अपना रहा था। खासकर कांग्रेस की तरफ से सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जुबानी हमला बोला जा रहा था। विपक्ष ने पुराने वीडियो निकाल कर सरकार को घेरने की हरसंभव कोशिश की। यह वीडियो उस समय के थे, जब सत्ता में कांग्रेस और विपक्ष में भाजपा थी। कांग्रेस के शासनकाल में महंगाई के खिलाफ भाजपा के दिग्गज नेताओं के बयानों से जुड़े यह वीडियो लगातार सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे थे। इससे भी सरकार की परेशानी बढ़ी हुई थी। महंगाई को काबू करने के लिए प्रत्येक सरकार पर जबरदस्त दबाव रहता है।

विपक्ष में बैठकर आरोप लगाना और बड़ी-बड़ी बातें करना आसान है, मगर जब आप सत्ता में होते हैं तो प्रत्येक कदम उठाने से पहले एक नहीं कई बार सोचना पड़ता है। यही हाल आज भाजपा सरकार का भी है। मोदी सरकार द्वारा इसके पहले भी पेट्रोल एवं डीजल पर एक्ससाइज डयूटी में कटौती की गई थी। पिछले साल तीन नवंबर को केंद्र ने पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाई थी। उस समय पेट्रोल पांच रुपए एवं डीजल दस रुपए प्रति लीटर सस्ता हुआ था। इसके बाद इस साल मार्च के आखिरी सप्ताह तक पेट्रोल-डीजल के मूल्य में कोई तब्दीली नहीं की गई थी, मगर जब दाम बढ़ने की शुरुआत हुई तो महज सोलह दिनों के भीतर सीधे दस रुपए तक बढ़ा दिए गए थे।

उन दिनों लगभग प्रतिदिन पेट्रोल-डीजल में साठ से अस्सी पैसे प्रति लीटर की वृद्धि की गई। हालाकि छह अप्रैल के बाद दाम फिर से स्थिर कर हो गए थे। अभी से रिटेल फ्यूल की कीमतों में कोई परिवर्तन नहीं आया था। हालांकि बाजार में कच्चा तेल लगातार सौ डॉलर से ऊपर बना है। यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण भी तेल की आपूर्ति और डिमांड पर चिंता कायम है। युद्ध विराम की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। यूक्रेन-रूस युद्ध ने समूची दुनिया की चिंता बढ़ा रखी है। इस मुद्दे पर पूरा विश्व दो गुट में बंट गया है। रूस ने भारत को सस्ता तेल की आपूर्ति का आफर भी दिया था। जिस पर अमेरिका को मिर्च लग गई थी।

अमेरिका नहीं चाहता कि भारत और रूस के संबंध प्रांगढ़ रहें। हालाकि मोदी सरकार के लिए देश और नागरिक सर्वोपरि हैं। सरकार किसी के दबाव में आकर ऐसा कोई निर्णय करने को राजी नहीं है, जिससे देश एवं जनता का अहित हो। बेशक पेट्रोल एवं डीजल के मूल्य में कमी आ गई है, मगर सीएनजी के बढ़ते दाम नीचे नहीं आ पाए हैं। सीएनजी के दामों में निरंतर वृद्धि हो रही है। इससे सीएनजी संचालित वाहनों के मालिक परेशान हैं। उधर, पेट्रोल-डीजल के दाम कम होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान भी आया है।

पीएम मोदी ने ट्विटर पर लिखा कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में उल्लेखनीय गिरावट से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और हमारे नागरिकों को राहत मिलेगी और ईज ऑफ लिविंग आसान होगी। देश को आज विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यह चुनौतियां भीतर और बाहर दोनों तरफ की हैं। इनमें से महंगाई भी एक बड़ी चुनौती है। कोरोना काल ने भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी थी। इसके बावजूद मोदी सरकार ने इस चुनौती से बाहर आने में हरसंभव कोशिश की। इसके सकारात्मक परिणाम भी आज देखने को मिल रहे हैं। पहले के मुकाबले अर्थव्यवस्था में सुधार आया है।

छोटे-बड़े उद्योगों की माली हालत सुधरी है। उद्यमियों को आर्थिक संकट से बाहर निकालने की दिशा में सरकार दिन-रात कसरत कर रही है। मोदी सरकार के नेतृत्व में निश्चित रूप से पिछले कुछ सालों में देश में कई अहम बदलाव आए हैं। बड़ी आबादी आज भी पीएम मोदी के प्रति आश्वस्त है। उनके काम, कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी पर आम नागरिक सवाल नहीं उठा रहे हैं, मगर विपक्ष बेववजह के आरोप लगाकर सरकार को बदनाम करने की मुहिम चला रहा है।

देश की मजबूती के लिए विपक्ष को राजनीति से ऊपर उठकर सोचने और काम करने की जरूरत है। लंबे समय तक देश पर राज करने के बावजूद कांग्रेस जिन ज्वलंत मुद्दों को हल करने में नाकाम रही थी, वह मुद्दे अब हल हो चुके हैं। इसके चलते मोदी सरकार के प्रति जनता का विश्वास बढ़ा है। सरकार यदि इसी पैटर्न पर आगे भी चलती रही तो जनता का भरोसा भी उस पर निश्चित रूप से कायम रहेगा।