अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक से पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री ने की मुलाकात

-पटना के लिए संजीवन बूटी बना एम्स, युवाओं को मिल रहा रोजगार

पटना। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान पटना (एम्स), मरीजों की सुविधा के लिए संसाधनों में लगातार बढ़ोतरी कर रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में बुजुर्गों की देखभाल के लिए एक वरदान साबित हो रहा हैं। जहां पूर्व में लोगों को उपचार के लिए दिल्ली और मुंबई की ओर रुख करना पड़ता था। वहीं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) बनने से बिहार के लोगों को राहत मिली हैं। बिहार के करोड़ों लोगों को बेहतर स्वास्थ सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से पटना में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की स्थापना हुई है। जिसका लाभ उन्हें मिल रहा हैं। विभिन्न विभागों के आइसीयू में करीब 150 बेड हैं। इसके अतिरिक्त सर्जरी आइसीयू, मेडिकल आइसीयू, पीडियाट्रिक, एनेस्थीसिया, न्यूरो सर्जरी, कॉॢडयोलॉजी विभाग में आइसीयू की सुविधा उपलब्ध है। यहां 22 ऑपरेशन थिएटर हैं। उक्त बातें शनिवार देर शाम पटना अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में पहुंचे अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा के पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री तरुण मिश्र ने एम्स के निदेशक डॉ गोपाल कृष्ण पाल से स्वास्थ्य क्षेत्र में हो रहें विकास को लेकर हुई चर्चा के दौरान कहीं।

उन्होंने कहा रोजगार के उद्देश्य से इसमें मुख्य रूप से खून जांच, ब्लड प्रेशर, शुगर, थॉयरॉयड, बुखार, डायरिया, इंजेक्शन देने, स्लाइन चढ़ाने सहित अन्य बीमारियों के प्राथमिक उपचारों का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अलावा प्रायोगिक प्रशिक्षण के तौर पर उन्हें विभिन्न विभागों में भी भेजा जाता है। बिहार में आमतौर पर देखा जाता है कि युवा रोजगार के लिए अन्य प्रदेशों में तो चले जाते हैं, लेकिन बुजुर्ग माता, पिता गांव में ही रह जाते हैं। ऐसे में उनकी सबसे बड़ी परेशानी चिकित्सकीय सुविधा को लेकर उत्पन्न होती है। ऐसे में अब इन युवाओं को रोजगार के लिए अन्द प्रदेशों की तरफ जाना नहीं पड़ रहा है। इस प्रशिक्षण के लिए न प्रशिक्षणार्थियों से कोई राशि नही ली जाती है।

उन्होंने बताया एम्स पटना की अपनी संस्कृति है। उसे सबको अपनाना होगा। एम्स पटना के कई विभाग आज बेहतर कार्य कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने निदेशक से कहा कि जिस तरह इलाज के लिए यहां दूर-दराज के लोग आते हैं। उनके रुकने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है। जिस पर ध्यान देना बहुत जरुरी हैं। क्योंकि यहां उपचार के लिए आने वाले इतन सक्षम नही होते, जो कि किसी होटल में रुक सकें। अगर उनके लिए शेल्टर हॉम जैसी कोई वैकल्पिक व्यवस्था की जाए तो उन लोगों को काफी राहत मिलेगी। निदेशक डॉ गोपाल कृष्ण पाल व्यहवारिक व्यक्ति हैं। लोगों की मदद के लिए वह हमेशा तैयार रहते हैं। साथ ही एम्स में उपचार के लिए आने वाले लोगों के स्वास्थ्य की खुद निगरानी करते हैं।

समय-समय पर डॉक्टरों को भी मरीजों के प्रति समर्पित रहने के लिए आवश्यक निर्देश देते रहते हैं। एम्स के निदेशक डॉ गोपाल कृष्ण पाल ने बताया कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के बनने से ग्रामीण क्षेत्रों के बजुर्गो को ही लाभ नहीं हुआ है, बल्कि प्रशिक्षण पा चुके युवाओं को भी लाभ पहुंचा है। प्रशिक्षण पाए युवाओं को गांव में स्वास्थ्य जांच करने के एवज में पैसे मिल रहे हैं। जिससे अब प्रशिक्षण पाए युवाओं को यहीं रोजगार मिल रहा हैं। उन्होंने बताया अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ग्रामीण क्षेत्र में बुजुर्गो की देखभाल के लिए युवाओं को श्रवण कुमार के रूप में तैयार कर रहा है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बुजुर्गों व गरीब,असहायों को सहारा देने के साथ ग्रामीण युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है। दूर-दराज क्षेत्रों से आने वाले लोगों के रुकने के लिए जल्द ही व्यवस्था की जाएगी। इस पर विचार किया जा रहा हैं। बता दें कि मेडिकल कार्यो में दक्ष हो जाने के कारण ऐसे युवाओं की मांग बढ़ जाती है।