उद्योगों की मुसीबत बढ़ाएगा वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का निर्देश, आईआईए ने उठाए जरूरी मुद्दे

सुचारू विद्युत आपूर्ति की अपील, निरीक्षण के नाम पर उत्पीड़न का विरोध

गाजियाबाद। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आईआईए) ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआई) के जिलों में एक अक्टूबर से उद्योगों में डीजल जेनरटिंग सेट्स के इस्तेमाल पर प्रतिंबध का मुद्दा एक बार फिर जोर-शोर से उठाया है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के निर्देशानुसार एक अक्टूबर से उद्योगों में डीजल जेनरटिंग सेट्स की बजाए पीएनजी आधारित जेनरेटर चलाए जा सकेंगे। आईआईए ने भविष्य में उद्यमियों के समक्ष आने वाली समस्याओं को उठाया है। संगठन का कहना है कि यदि उद्योगों को भरपूर विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था कर दी जाए तो जेनरेटर का प्रयोग करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके अलावा एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से नीचे होने की स्थिति में डीजल जेनरेटर सेटस का संचालन करने की अनुमति भी मांगी गई है।

आईआईए गाजियाबाद चैप्टर द्वारा शुक्रवार को होटल तुषार एलीजेंट कविनगर में आयोजित पत्रकार वार्ता में 7 जरूरी बिंदुओं को प्रमुखता से उठाया गया। आईआईए के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष नीरज सिंघल ने बताया कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने एनसीआर क्षेत्र के जिलों में एक अक्टूबर से एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से अधिक होने पर डीजल जेनरटिंग सेट्स चलाने पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया है। एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से अधिक होने पर एनसीआर क्षेत्र में सिर्फ पीएनजी आधारित जेनरेटर चलाए जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि पीएनजी की उपलब्धता अभी कुछ ही क्षेत्रों में है। ऐसे में उद्योगों के डिमांड के अनुसार सुचारू रूप से पीएनजी मिलना संभव नहीं है। सामान्यत: अधिकतम सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों में 5 केवीए से लेकर 85 केवीए तक के डीजी सेट का उपयोग हो रहा है। जिन्हें पीएनजी में परिवर्तित करने की कोई तकनीकी उपलब्ध नहीं है। जहां पीएनजी उपलब्ध भी है, वहां के लघु उद्योगों को पीएनजी में जनरेटर सेट का बदलना संभव नही है। जेनरेटर सेट स्टेंडवाई के रूप में तभी उपयोग होते है, जब विभागीय बिजली सप्लाई बाधित होती है।

डिवाईस आयातित उपकरण, प्रमाणित भी नहीं
जनरेटर सेट को पीएनजी में परिवर्तित करने के लिए लगने वाली डिवाईस आयातित उपकरण है, जिसकी तकनीक अभी तक केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा प्रमाणित नहीं की गई है। डीजी जेनरेटर सेट को पीएनजी में परिवर्तित करने की लागत भी काफी अधिक है तथा एनसीआर में पीएनजी की कीमतें भी पारंपरिक ईंधन की तुलना में ज्यादा है, जिससे उद्योगों के उत्पादों की लागत अधिक होने से उन्हें प्रतिस्पर्धा में बने रहना कठिन होगा। विभिन्न क्षेत्रों में आए दिन विद्युत कटौती होती रहती है, जिसके कारण यदि जेनरटेर सेट चलाना प्रतिबंधित हो जाएगा, तो उद्योगों को बंद ही रखना पड़ेगा, जिससे उन्हें बहुत हानि होगी। आईआईए गाजियाबाद चैप्टर के चेयरमैन राकेश अनेजा ने बताया कि औद्योगिक इकाइयों को बिना कारण बताओ नोटिस दिए तत्काल प्रभाव से बंद करने के आदेश और अर्थदंड लगा दिया जाता है।

जेनरेटर की यूनिट ग्रिड की यूनिट से महंगी
अप्रदूषणकारी उद्योगों जिन्हें अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने की आवश्यकता नहीं है, उन्हें भी प्रताड़ित करने की शिकायतें मिलती रहती हैं। इस प्रकार की समस्या का भी समाधान होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में ग्रेप लागू रहने की अवधि तक उद्योगों को निर्बाध विद्युत आपूर्ति की जानी चाहिए, जिससे जेनरेटर सेट का उपयोग कम से कम करना पड़े। बिजली कटौती की स्थिति में उद्योगों को जेनरेटर मजबूरी में चलाना पड़ता है। जबकि जेनरेटर की यूनिट ग्रिड की यूनिट से 3 से 4 गुणा महंगी पड़ती है। अगर जेनरेटर नहीं चलाया तो उत्पाद सहित मशीन खराब हो जाएगी। बिना पूर्व सूचना के विद्युत आपूर्ति बाधित होने पर विद्युत कंपनी के अधिकारी की भी जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाए। आईआईए की पीएनजी एवं इंवायरमेंट समित के चेयरमैन मनोज कुमार ने एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से ऊपर जाने पर उद्योगों को अपने जेनरेटर डिस्कनेक्ट करने और इंडैक्स 300 से नीचे आने पर कनेक्ट करने की अनुमति प्रदान की जाए।

उद्योग बंदी से पूर्व जारी किए जाए नोटिस
उद्योगों में किसी भी विभाग द्वारा निरीक्षण के समय स्थानीय औद्योगिक संघों का एक प्रतिनिधि शामिल किया जाए, जिससे उद्यमियों का अनावश्यक शोषण रोका जा सके। किसी भी उद्योग को बंद करने का नोटिस देने से पूर्व सुनवाई का मौका मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि एयर क्वालिटी इंडैक्स स्थानीय स्तर पर भी मोनिटर किया जाए, जिससे घनी आबादी में विद्यमान एयर क्वालिटी इंडेक्स के आधार पर स्थानीय उद्योग बंद न हो। उन्होंने कहा कि गाजियाबाद में 28 हजार उद्योग हैं। किसी भी उद्योग के बंद होने की स्थिति में उसमें कार्यरत कर्मचारियों के समक्ष भी बेरोजगारी का संकट पैदा हो जाएगा। इस मौके पर सीईसी सदस्य जेपी कौशिक, राष्ट्रीय सचिव प्रदीप कुमार गुप्ता, सचिव संजय अग्रवाल व कोषाध्यक्ष संजय गर्ग आदि मौजूद रहे। उधर, आईआईए के प्रतिनिधिमंडल ने इस संबंध में जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह को भी मांग पत्र सौंपा है। इसके अलावा उप्र सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) विभाग के मंत्री से भी जल्द मुलाकात कर उन्हें मांगपत्र सौंपा जाएगा।