यमुना प्राधिकरण स्थापना दिवस विशेष : कभी कर्मचारियों को वेतन देने के लिए लेना पड़ा था कर्ज आज 1000 करोड़ का शुद्ध लाभ अर्जित करने का बनाया रिकार्ड CEO डॉ. अरुणवीर सिंह ने बदल दी यमुना प्राधिकरण की सूरत

24 अप्रैल 2001 को यमुना प्राधिकरण का गठन हुआ था। शुरुआती दौर में प्राधिकरण की आर्थिक सेहत अच्छी नहीं थी। धीरे-धीरे हालत बिगड़ते चले गए। यमुना प्राधिकरण में काम करने वाले लोगों को वेतन तक नहीं मिल पाता था। आर्थिक स्थिति बद से बदतर होती चली गई। हालात इतने खराब हो गये कि यमुना प्राधिकरण को बंद करने या फिर इसका ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में विलय करने की चर्चाएं होने लगी। इन्हीं चर्चाओं के बीच वर्ष 2016 में यमुना अथॉरिटी की जिम्मेदारी डॉ. अरुणवीर सिंह के कंधों पर आई। सोच बदलो तो वक्त बदलेगा इस मंत्र के साथ डॉ. अरुणवीर सिंह ने प्राधिकरण को बचाने का बीड़ा उठाया। वर्ष 2016 में यमुना अथॉरिटी पर 4,800 करोड़ रुपए का भारी भरकम कर्ज था। लेकिन अरुणवीर सिंह की सोच ने प्राधिकरण की हालत ही बदल डाली। प्राधिकरण करीब एक हजार करोड़ के लाभ में है। यमुना प्राधिकरण के इस कायाकल्प का पूरा श्रेय सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह को जाता है। आज यमुना प्राधिकरण क्षेत्र उद्यमियों और निवेशकों के लिए निवेश के लिहाज से सबसे पसंदीदा क्षेत्र बन गया।

विजय मिश्रा (उदय भूमि ब्यूरो)
ग्रेटर नोएडा। सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह की दूरदर्शिता एवं नीतियों के चलते यमुना प्राधिकरण आज नई ऊंचाइयों पर है। कभी अपने कर्मचारियों को वेतन के लिए ऋण लेने वाला प्राधिकरण आज एक हजार करोड़ रुपये के लाभ में है। अब प्राधिकरण की देश के सबसे बड़े बन रहे एयरपोर्ट में हिस्सेदारी है। दर्जनभर से अधिक औद्योगिक कलस्टर विकसित किए जा रहे हैं। यह सब सीईओ डॉ अरुणवीर सिंह के प्रयासों से हो पाया है। 24 अप्रैल 2001 को यमुना प्राधिकरण का गठन हुआ था। शुरुआती दौर में प्राधिकरण की आर्थिक सेहत अच्छी नहीं थी। धीरे-धीरे हालत बिगड़ते चले गए। यमुना प्राधिकरण में काम करने वाले लोगों को वेतन तक नहीं मिल पाता था। वर्ष 2016 में यमुना अथॉरिटी की जिम्मेदारी डॉ.अरुणवीर सिंह के कंधों पर आई तो समय बदला। 2016 में यमुना अथॉरिटी पर 4,800 करोड़ रुपए का भारी भरकम कर्ज था। लेकिन अरुणवीर सिंह की सोच ने प्राधिकरण की हालत ही बदल डाली। प्राधिकरण करीब एक हजार करोड़ के लाभ में है।

डॉ. अरुणवीर सिंह
सीईओ
यमुना विकास प्राधिकरण

नो रॉकेट साइंस फार्मूला वोन्ली हार्ड वर्क
यमुना प्राधिकरण के कायाकल्प के लिए डॉ. अरुणवीर सिंह ने कोई रॉकेट साइंस का फार्मूला नहीं लगाया बल्कि उन्होंने प्राधिकरण की ब्रांडिंग, मार्केटिंग स्ट्रेजी, मांग के अनुरूप जमीन की खरीद, फाइनेंशियल कंट्रोल, फिजूलखर्ची पर रोक और इफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर जोर दिया। उनकी कार्यशैली का असर एक वर्ष के दौरान ही दिखाई देने लगा। वर्ष 2017 में प्राधिकरण का घाटा घटकर 165 करोड़ रुपये रह गया। वर्ष 2018 में नेट लॉस घटकर 1 करोड़ 38 लाख हो गया। वर्ष 2019 में यमुना प्राधिकरण ने पहली बार लाभ वाला बैलेंसशीट पेश किया। डॉ. अरुणवीर सिंह ने इस बात पर पूरा फोकस किया कि किस तरह से यमुना प्राधिकरण को कर्ज के मकडज़ाल से मुक्त कराया जाये। 2021 में प्राधिकरण ने 1000 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज का भुगतान किया और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और लैैंड एक्यूजेशन (भूमि अधिग्रहण) पर अधिक जोर दिया। वर्ष 2021 में प्राधिकरण को 154 करोड़ रुपये का लाभ मिला। यदि यही रफ्तार जारी रहा तो अगले कुछ वर्षों में यमुना प्राधिकरण उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा प्राधिकरण बन जाएगा।

दर्जनभर औद्योगिक कलस्टर बन रहे
सीईओ की दूरदर्शिता के चलते प्राधिकरण क्षेत्र में विकास की गति काफी तेज हे। यहां नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, फिल्म सिटी, हेरिटेज क्लब, लॉजिस्टिक पार्क, जापानी सिटी, कोरियन सिटी, मेडिकल डिवाइस पार्क और अपैरल पार्क जैसे कई बड़े प्रोजेक्ट विकसित किए जा रहे हैं। छह कंपनियां शुरू हो गई हैं। हजारों लोगों को रोजगार मिला है। अब तक यहां करीब 30 हजार भूखंड आवंटित किए जा चुके हैं। लोग यहां बसने आ रहे हैं।

Ghaziabad number-1 in the cleanliness security challenge, the hard work of the municipal corporation paid off
फाइल फोटो

एयरपोर्ट बदलेगा सूरत
यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में अकेले जेवर एयरपोर्ट का पहला चरण 30 हजार करोड़ रुपये में पूरा किया जा रहा है। उत्तर भारत का पहला मेडिकल डिवाइस पार्क यहां पर विकसित किया जा रहा है। मेडिकल उपकरण में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में यह बड़ा कदम है। अपैरल पार्क में एक लाख से अधिक महिलाओं को रोजगार मिलेगा। यह रोजागर देने के मामले में सबसे बड़ा कलस्टर साबित होगा। इंटरनेशनल एयरपोर्ट यमुना प्राधिकरण के लिए गेम चेंजर साबित हो रहा है। यह न केवल भारत बल्कि एशिया का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा होगा। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का असर यहां के औद्योगिक निवेश के प्रस्तावों पर साफ-साफ दिखाई दे रहा है। भविष्य में यमुना सिटी देश का प्रमुख फाइनैंसियल और इंडस्ट्रियल हब के रूप में स्थापित होगा।

इलेक्ट्रानिक कंपनियां दिखा रही हैं रुचि
यमुना प्राधिकरण इलेक्ट्रॉनिक उद्योग के लिए भूखंड आवंटन करके साढ़े सत्रह हजार करोड़ का निवेश जुटा चुका है। इसमें 45 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। जेवर एयरपोर्ट की वजह से यमुना प्राधिकरण क्षेत्र इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों के लिए निवेश की पसंदीदा जगह बनता जा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक इकाइयों की स्थापना के लिए यमुना प्राधिकरण ने अभी तक पांच सेक्टर आरक्षित कर दिए हैं। प्राधिकरण अभी तक 37 इलेक्ट्रॉनिक उद्योग के लिए भूखंड आवंटन कर चुका है। इसके जरिये प्राधिकरण ने 17631 करोड़ रुपये का निवेश जुटाया है। केवल वीवो कंपनी ही प्राधिकरण क्षेत्र में 15000 करोड़ का निवेश कर रही है।