भारत-नेपाल रिश्तों में नयापन

भारत और नेपाल के रिश्तों में लंबे वक्त से ठंडापन देखने को मिल रहा था। दोनों देशों के संबंध में पुन: गर्माहट बढ़ने लगी है। नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने बेहद महत्वपूर्ण समय में भारत का दौरा किया है। रूस और यूक्रेन में जंग की वजह से आज समूची दुनिया दो धड़ों में बंटी नजर आ रही है। रूस-यूक्रेन विवाद में भारत का तटस्थ रूख बरकरार है। इसकी जहां रूस ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की है, वहीं अमेरिका की बेचैनी बढ़ी हुई है। रूस और अमेरिका के दूत हाल-फिलहाल में भारत का दौरा कर चुके हैं। इस दौरान दोनों देशों ने अलग-अलग प्रतिक्रिया दी थी। अमेरिका के बयान में उसकी खिसियाहट और बेचैनी साफ देखने को मिली। जबकि रूस की तरफ से बेहद नपा-तुला बयान सामने आया। अब नेपाली पीएम का भारत आना कई मायनों में अह्म माना जा रहा है। वर्तमान में भारत की वैश्विक रणनीति और कुटनीति ने ताकतवर देशों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। ऐसे में नेपाल को भी अपनी कुटनीति में बदलाव करने को मजबूर होना पड़ा है। भारत-चीन का भूमि विवाद अभी हल नहीं हो सका है। इस मुद्दे पर लंबे समय से गतिरोध जारी है। इसके बावजूद चीन के प्रतिनिधि ने भी पिछले दिनों नई दिल्ली का रूख किया था। चीन के मन में भारत के प्रति एकाएक उदारता आना वाकई चौंकाने वाली बात है। भारत-नेपाल के संबंधों में काफी समय पहले ठंडापन आया गया था। दरअसल केपी शर्मा ओली ने नेपाल का पीएम पद संभालने के बाद चीन के प्रति ज्यादा सॉफ्ट रूख दिखाना शुरू कर दिया था। वह भारत को नजरअंदाज कर चीन से नजदीकी बढ़ाते रहे। इसका खराब असर नेपाल एवं भारत के संबंधों पर पड़ा। सीमा विवाद से लेकर भगवान श्रीराम के खिलाफ अनगर्ल बयानबाजी ने कई बार संबंधों को तल्ख कर दिया था। पीएम ओली के हटने के बाद शेर बहादुर देउबा ने नेपाल की कमान संभाली। इसके बाद से भारत-नेपाल के रिश्ते पहले की भांति सामान्य होते नजर आ रहे हैं। दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंध हैं। इन संबंधों को मजबूती देने के लिए पीएम मोदी ने 2018 में नेपाल के जनकपुर का दौरा किया था। वर्तमान में मोदी और देउबा पुरानी चीजों को भूलाकर नए स्तर से बातचीत में लगे हैं। उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में दोनों देश पुन: उसी रिश्ते को बनाने में कामयाब होंगे, जो हमेशा से रहा है। भारत यात्रा के दरम्यान नेपाली पीएम शेर बहादुर देउबा ने भारत के साथ व्यापार, निवेश, कनेक्टिविटी और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्रों में संबंधों को मजबूती देने पर जोर दिया है। इस बीच भारत द्वारा वित्त पोषित सीमा पार रेलवे परियोजना की भी शुरुआत हो गई है। इससे भारत-नेपाल के बीच आवागमन सुगम हो गया है। नेपाल ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) में सम्मिलित होने के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कुछ दिन पहले नेपाल यात्रा की थी। ऐसे में दोनों देशों ने 9 समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे, मगर उनमें से कोई भी बीआरआई से संबंधित नहीं था। इससे चीन को गहरा धक्का लगा। जानकारों का कहना है कि चीनी विदेश मंत्री की यात्रा के लिए बीआरआई सर्वोच्च प्राथमिकता थी। कर्ज के मकड़जाल में फंसाने की चीन की नीति से अब कई देश अच्छी तरह वाकिफ हो चुके हैं। ताजा उदाहरण श्रीलंका का सामने है। ऋण चुकाने में विफलता और बीआरआई शर्तों का पालन करने से श्रीलंका आज गंभीर वित्तीय संकट में फंस चुका है। इसके तइत भारत से ऋण बिना किसी परेशानी के मिल जाता है। भारत ने हमेशा निस्वार्थ भाव से नेपाल की मदद की है। नई दिल्ली ने विपरित परिस्थितियों में नेपाल को कभी निराश नहीं किया है। नेपाल को भारत की तरफ से आवश्यक वस्तुओं की सबसे ज्यादा आपूर्ति की जाती रही है। बड़ी संख्या में नेपाली नागरिक भारत में अपनी आजीविका चला रहे हैं। भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय भी भारत की तरफ से सबसे पहली प्रतिक्रिया देखने को मिली थी। कोरोना काल में भी भारत ने इस पड़ोसी देश की हरसंभव मदद की थी। कोरोना काल में भारी घरेलू डिमांड के बावजूद एकमात्र भारत की तरफ से नेपाल को लिक्विड ऑक्सिजन की आपूर्ति की गई थी। यूक्रेन के हमले के बीच भारत ने फंसे नेपालियों को निकालने में सहायता की। ऑपरेशन गंगा के तहत विभिन्न यूक्रेन के अलग-अलग शहरों से भारत ने कई नेपाली नागरिकों को सुरक्षित निकाला था। भारत ने 2021 में अफगानिस्तान संकट के दौरान फंसे कई नेपाली नागरिकों की जान बचाई थी। अब नेपाल ने यह महसूस किया है कि भारत उसका सच्चा और भरोसेमंद मित्र है। नेपाल पिछले एक साल से भारत के साथ रिश्तों में गर्माहट लाने को भरसक प्रयास कर रहा है। देउबा के नेपाली पीएम बनने के बाद इसे गति मिली है। दोनों देश एक-दूसरे को हमेशा सम्मान देते रहे हैं, मगर चालबाज चीन की वजह से मामला बिगड़ता रहा है। नेपाल के राजनीतिज्ञों और आम नागरिकों को यह भली-भांति मालूम है कि भारत से विश्वसनीय और मददगार मित्र उन्हें दूसरा कोई नहीं मिल सकता है।