65 दिन बाद मिली दंरिदें को फांसी की सजा बच्ची का अपहरण कर दुष्कर्म के बाद कर दी थी हत्या

गाजियाबाद। साहिबाबाद थाना क्षेत्र से साढ़े चार साल की बच्ची का अपहरण कर सिटी फॉरेस्ट में ले जाकर दुष्कर्म करने के बाद हत्या करने वाले दोषी को शनिवार को अदालत ने 65 दिन बाद फांसी की सजा सुनाई। शनिवार को विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट की अदालत ने 65 दिनों में फैसला सुनाते हुए फांसी की सजा सुनाई हैं। शुक्रवार को अदालत ने आरोपित को दोषी करार दिया था। अभियोजन की तरफ से कुल 16 लोगों की गवाही हुई।
विशेष लोक अभियोजक संजीव बखरवा ने बताया कि साहिबाबाद थाना क्षेत्र की कालोनी में राजमिस्त्री परिवार के साथ रहते हैं।एक दिसंबर 2022 की दोपहर ढ़ाई बजे उनकी साढ़े चार साल की बेटी घर के बाहर से खेलते हुए लापता हो गई थी।दो दिसंबर को अगले दिन सिटी फॉरेस्ट के जंगल में उसका शव पड़ा मिला था। परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने अपहरण,हत्या व दुष्कर्म के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी।

मामले की जांच में जुटी पुलिस ने सिटी फॉरेस्ट में लगे सीसीटीवी कैमरों के अलावा 100 से 150 सीसीटीवी कैमरे की फुटेज खंगालने और 450 से ज्यादा लोगों से पूछताछ करने के बाद बच्ची से मिले बाल के बाद और सिटी फॉरेस्ट की एंट्री पर्ची के जरिए आरोपित की पहचान नंदग्राम के रहने वाले सोनू गुप्ता पुत्र शिवकुमार गुप्ता के रूप में की। परिस्थिति जन्य साक्ष्य के आधार पर 28 गवाह के जरिए पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इसके बाद पुलिस ने 15 दिसंबर को आरोप-पत्र पेश किया। मामले में प्रतिदिन सुनवाई चल रही थीं। घटना के बाद दो माह चार दिन में ही इस मामले में फैसला आया है। स्पेशल कोर्ट ने 65 दिन में बच्ची के साथ रेप और हत्या के दोषी को सुनाई फांसी की सजा सुनाई है। आरोपी ने रेप का विरोध करने पर पीडि़त बच्ची के मुंह में डायपर डाल दिया था। इसके बाद आरोपी ने उसके मुुंह में कपड़ा ठूंस दिया। इसके बाद रेप किया। 1 दिसंबर की इस घटना में पुलिस ने 2 दिसंबर को केस दर्ज किया। 15 दिसंबर को चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी। 16 दिसंबर से मामले की नियमित सुनवाई हुई। इसमें कुल 16 लोगों की गवाही शामिल हुई है।

शनिवार को जैसे ही अदालत में आरोपी के खिलाफ दोष साबित हुआ। मृत बच्ची के पिता ने कहा जिस प्रकार आरोपी ने उनकी बच्ची के साथ दरिंदगी की है। अदालत को भी उसके साथ कोई नरमी नहीं बरतनी चाहिए। अब कलेजे को ठंडक मिलेगी। विशेष लोक अभियोजक संजीव बखारवा ने बताया कि मुकदमा पीडि़़ता के पिता ने लिखवाया था।1 दिसंबर को बच्ची को उसकी दादी लगभग दोपहर 1:00 बजे स्कूल से लेकर आई थी, परिवार के लोग घर के अंदर खाना खा रहे थे। बच्ची घर के बाहर खेल रही थी। तभी सोनू गुप्ता ने घर के बाहर से बच्ची का अपहरण कर लिया, सिटी फॉरेस्ट ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। दुष्कर्म के बाद में गला दबाकर उसकी हत्या कर दी। हत्या करते वक्त बच्ची की आवाज बंद करने के लिए पास में ही पोट्टी से सने डायपर को उठाकर बच्ची के मुंह में ठूंस दिया था। बच्ची की लाश हत्या के बाद वही छुपा दी।इस मामले में चार्जशीट 15 दिसंबर को दाखिल की गई थी। 3 फरवरी को अदालत ने सोनू गुप्ता को दोषी करार दिया। 4 फरवरी को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई। साथ ही 20 हजार के अर्थदंड से दंडित किया गया।

मामले में 16 गवाह पेश किए गए हैं। मामले में चार गवाह बहुत अहम थे। युवती जिसका पीछा कर रहा था, सोनू गुप्ता व संदीप जिससे युवती ने सोनू गुप्ता की शिकायत की थी।इस मामले में बहुत मशक्कत के बाद पुलिस ने अभियुक्त सोनू गुप्ता को गिरफ्तार किया था। मामले की अंतिम सुनवाई पोक्सो कोर्ट फास्ट की अदालत में हुई। सोनू गुप्ता को सजा दिलाने में पुलिस द्वारा दिए गए साक्ष्य हम रहे। अदालत में सोनू गुप्ता की सजा पर सुनवाई के लिए मृतक मासूम बच्ची का पूरा परिवार मौजूद था। पीड़िता के पिता, मां और दादी अदालत से सोनू गुप्ता के लिए फांसी की गुहार लगा रहे थे। अदालत में पीडि़ता की मां फूट-फूटकर रो रही थी, वहीं पीडि़ता की 3 साल की छोटी बहन अदालत में अपनी बहन को ढूंढ रही थी। जिसे कितना भी समझाने पर विश्वास नहीं है ,कि उसकी बहन अब इस दुनिया में नहीं रहीं।