गाजियाबाद में बिना रिश्वत नहीं होगा काम कलेक्ट्रेट में BJP विधायक को देनी पड़ी रिश्वत

गाजियाबाद कलेक्ट्रेट में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि BJP विधायक को भी रिश्वत देकर अपने काम करवाने पर रहे हैं। BJP विधायक ने गाजियाबाद के डीएम आरके सिंह को शिकायती पत्र लिखकर बताया है कि तीन लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए शस्त्र लिपिक (असलाह बाबू) ने 35,500 रुपए रिश्वत में लिए। उन्होंने उसे अपना परिचय भी दिया। इस पर भी उसने उनकी एक न सुनी। उसके दुस्साहस की हद तो तब हो गई जब उसने बेखौफ अंदाज में इतना तक कह दिया कि बिना सुविधा शुल्क दिए कोई काम नहीं होगा। BJP विधायक का कहना है कि अगर पारदर्शी तरीके से जांच नहीं हुई तो मैं इस मुद्दे को विधानसभा में भी उठाऊंगा।

उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। सरकारी विभाग के अधिकारी और कर्मचारी बेखौफ हो गए हैं। इन्हें किसी का डर नहीं है। आम आदमी की बात ही क्या अब तो रसूखदार और खास लोगो को भी रिश्वत देकर ही अपना काम करवाना पड़ता है। गाजियाबाद कलेक्ट्रेट में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी को लेकर जो मामला संज्ञान में आया है वह सभी को हैरान कर रहा है। कलेक्ट्रेट में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि BJP विधायक को भी रिश्वत देकर अपने काम करवाने पर रहे हैं। BJP विधायक की शिकायत पर जांच शुरू हो गई है। अब देखना है कि इस मामले में क्या कार्रवाई होती है और कलेक्ट्रेट में फल फूल रहे भ्रष्टाचार पर किस तरह से लगाम लगाया जाता है।
बुलंदशहर सदर के BJP विधायक प्रदीप चौधरी को शस्त्र लाइसेंस नवीनीकरण के लिए कलेक्ट्रेट में रिश्वत देनी पड़ी है। मजेदार बात यह है कि विधायक ने कलेक्ट्रेट में अपना परिचय भी दिया और यह भी बताया कि वह BJP विधायक हैं। इसके बावजूद उन्हें कहा गया कि बिना सुविधा शुल्क दिए यहां कोई काम नहीं होता है और मजबूरन विधायक को रिश्वत देनी पड़ी। गाजियाबाद के डीएम आरके सिंह को शिकायती पत्र लिखकर BJP विधायक ने बताया है कि तीन लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए शस्त्र लिपिक (असलाह बाबू) ने 35,500 रुपए रिश्वत में लिए। उन्होंने उसे अपना परिचय भी दिया। इस पर भी उसने उनकी एक न सुनी। उसके दुस्साहस की हद तो तब हो गई जब उसने बेखौफ अंदाज में इतना तक कह दिया कि बिना सुविधा शुल्क दिए कोई काम नहीं होगा। डीएम के निर्देश पर सीडीओ ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है।
BJP विधायक का परिवार गाजियाबाद के इंदिरापुरम में रहता है। उनके और परिजनों के शस्त्र लाइसेंस भी गाजियाबाद से ही बने हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें अपनी पिस्टल, रायफल और भाई जीत पाल की पिस्टल के लाइसेंस का नवीनीकरण कराना था। इसका कुल शुल्क 12,500 रुपये है लेकिन असलाह बाबू ने उनसे 48,000 रुपये मांगे। असलाह बाबू ने कहा कि जितनी रकम मांगी जा रही है, उतनी ही देनी होगी। मजबूरी में उन्हें पूरी रकम देनी पड़ी। उन्होंने 15 अप्रैल को इसकी शिकायत कर दी थी।
इस मामले में गाजियाबाद के डीएम का कहना है कि जांच सीडीओ को सौंप दी गई है। उधर, असलाह बाबू शैलेष गुप्ता का कहना है कि शस्त्र लाइसेंस के नवीनीकरण से संबंधी कार्य कई दफ्तर में होता है। विधायक से रिश्वत किसी और ने ली होगी। विधायक उनके पास आए ही नहीं। BJP विधायक का कहना है कि भाजपा की सरकार में भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह नहीं है। इस मामले में कड़ी जांच होनी चाहिए। अगर पारदर्शी तरीके से जांच नहीं हुई तो मैं इस मुद्दे को विधानसभा में भी उठाऊंगा। सीडीओ विक्रमादित्य सिंह मलिक ने बताया कि असलाह बाबू के बयान लिए गए हैं। चालान रिपोर्ट भी मांगी गई थी जो 2500 की है। गन हाउस संचालक के भीबयान लिखित में लिए गए हैं उन्होंने बयान दिया है कि इस मामले में कुछ गलतफहमी हुई है। राशि उनके पास रखी हुई है वह जल्द ही विधायक को सौंप दी जाएगी। जांच अभी चल रही है जल्द जिलाधिकारी को इसकी रिपोर्ट सौंप दी जाएगी।