ई-ऑफिस व्यवस्था लागू करने वाला प्रदेश का पहला नगर निगम होगा गाजियाबाद

– अब नगर निगम में नहीं गायब होंगी फाइलें, कंप्यूटर करेगा ट्रैक
– गाजियाबाद नगर निगम में लागू होगी ई-ऑफिस व्यवस्था
– सभी फाइल का रखा जाएगा अप टू डेट रिकॉर्ड, जेनरेट होगा कोड
– ऑनलाइन स्वीकृत होंगे कर्मचारियों और अधिकारियों की छुट्टियां
– बॉयोमैट्रिक सिस्टम को ऑनलाइन सॉफ्टवेयर से किया जायेगा कनेक्ट

उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। नगर निगम में बाबूगिरी पर लगाम लगाने एवं पुरानी कार्य पद्धति को सुधारने के लिए ई-आफिस व्यवस्था लागू होगी। इसके लिए योजना बनाने के बाद टेक्निकल एक्सपर्ट से जानकारी ली जा रही है। नवनियुक्त म्युनिसिपल कमिश्नर महेंद्र सिंह तंवर का कहना है कि ई-ऑफिस व्यवस्था के तहत नगर निगम के हर संभव कामकाज को कंप्यूटराइज किया जाएगा। सबसे बड़ी समस्या फाइलों के मूवमेंट को लेकर है। पता ही नहीं चलता कौन सी फाइल कहां है। उसे ढूढ़वाना टेढ़ी खीर है। ई-ऑफिस व्यवस्था लागू होने से इस तरह की परेशानियों से छूटकारा मिल जाएगा। सभी फाइलों का अलग-अलग कोड जेनरेट होगा और फाइल के मूवमेंट का पूरा ब्यौरा कंप्यूटर में दर्ज रहेगा। सिर्फ एक क्लिक करते ही फाइल के स्टेटस का पता चल जाएगा। इस व्यवस्था में कर्मचारियों एवं अधिकारियों के छुट्टी व कामकाज का रिकॉर्ड भी आॅनलाइन रहगो। यदि किसी कर्मचारी अधिकारी को छुट्टी पर जाना है तो उसे ऑनलाइन ही आवेदन करना होगा। निर्धारित अवधि में उसकी छुट्टी स्वीकृत या रद्द की जाएगी। यदि निर्धारित अवधि में उस आवेदन का निस्तारण नहीं किया गया तो स्वत: ही छुट्टी स्वीकृत माना जाएगा। बॉयोमैट्रिक अटेंडेंस को भी मेन सर्वर से कनेक्ट करके पूरा रिकार्ड रखा जाएगा।
दिल्ली से सटे होने के बावजूद गाजियाबाद नगर निगम की कार्यप्रणाली पुरातन पद्धति से चल रही है। अभी भी फाइलों के मामले में यहां पूरी तरह से बाबूगिरी हावी है। यदि कोई बाबू ना चाहे तो मजाल नहीं है कि कोई भी फाइल इधर से उधर हो जाए। कई ऐसे मामले संज्ञान में आए हैं जिसमें फाइल ही गायब कर दी जाती है और उसका कोई रिकॉर्ड भी नहीं होता है। ऐसे में उस फाइल को ढूंढना काफी मुश्किल भरा काम होता है। यह पता लगाना ही मुश्किल होता है की फाइल किस समय किस बाबू के या अधिकारी के टेबल पर है। ई-ऑफिस सिस्टम के तहत एक ऐसा सॉफ्टवेयर डेवलप किया जाएगा जिसमें समस्त रिकॉर्ड अप-टू-डेट रहेगा। कर्मचारियों की हाजिरी का रिकॉर्ड भी कंप्यूटरीकृत रहेगा और कभी भी कंप्यूटर को देखकर पता लगाया जा सकेगा कि फलां अधिकारी या बाबू कार्यालय में है या नहीं है। इसके जरिए ऐसे अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मनमानी पर भी लगाम लग सकेगी जो हाजिरी लगाकर कार्यालय से गायब रहते हैं। फाइलों का डिजिटलीकरण किया जाएगा। हर फाइल का एक ऑटोमेटेड कोड जनरेट होग। कोड के जरिए उस फाइल को कभी भी ट्रैक किया जा सकेगा। कंप्यूटर में इस बात का रिकार्ड रहेगा कि कौन सी फाइल कितने दिन किस टेबल पर रही और कहां-कहां से होकर फाइल गुजरी है। हालांकि अभी भी ई-ऑफिस योजना के कई बिंदुओं पर मंथन जारी है। लेकिन नवनियुक्त म्युनिसिपल कमिश्नर की प्राथमिकता में यह कार्य है। ऐसे में अगले महीने से इस अमलीजामा पहनाने का काम शुरू हो जाएगा।

कुछ अतिरिक्त करने से पहले मेरा उद्देश्य बेसिक्स को ठीक करना है। ई-ऑफिस उसी का हिस्सा है। ई-ऑफिस व्यवस्था लागू होते ही सिस्टम 50 फीसद स्वत: दुरूस्त हो जाएगा। नगर निगम का कामकाज कंप्यूटरीकृत हो और हर चीजों का रिकॉर्ड अप टू डेट रहे इसको लेकर प्राथमिकता के आधार पर काम किया जा रहा है। नगर निगम अधिकारियों एवं विशेषज्ञों से इसको लेकर बातचीत की गई है और प्लानिंग बनाई जा रही है कि किस तरह से नगर निगम में ई-ऑफिस व्यवस्था लागू की जाए।
महेंद्र सिंह तंवर
म्युनिसिपल कमिश्नर
गाजियाबाद।