नगर निगम का अंग बनेंगे कूड़ा बीनने वाले, मिलेगा रोजगार और सम्मान, आईएएस अधिकारी की अनूठी पहल

– कूड़ा बीनने वालों का बदलेगा नाम बढ़ेगा सम्मान, मिलेगा पहचान पत्र होगा ड्रेस कोड
– कूड़ा बीनने वालों के साथ बैठकर म्युनिसिपल कमिश्नर महेंद्र सिंह तंवर ने की वार्ता

उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। गाजियाबाद के नवनियुक्त म्युनिसिपल कमिश्नर महेंद्र सिंह तंवर ने कूड़ा बीनने वालों को नगर निगम से जोड़ने के साथ उन्हें सम्मान देने की अनूठी पहल की शुरूआत की है। कूड़ा बीनने वालों को नगर निगम द्वारा स्थायी रोजगार दिया जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई मीडिलमैन (बिचौलिया) इन कूड़ा बीनने वालों का शोषण ना करें। म्युनिसिपल कमिश्नर की यह पहल सराहनीय है। आईएएस अधिकारी महेंद्र सिंह तंवर की डाउन टू अर्थ सोच और ह्यूमन फीलिंगस का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां कूड़ा बीनने वालों को लोग अपने नजदीक नहीं आने देते हैं वहीं महेंद्र सिंह ने उन्हें अपने सामने कुर्सी पर बैठाकर वार्ता की। आईएएस अधिकारी की इस कार्यप्रणाली की काफी तारीफ की जा रही है।
दरअसल शहर में कूड़ा बीनने वालों को रोजगार की मुख्यधारा से जोड़ने के साथ उन्हें नगर निगम का अंग बनाने की योजना बनाई गई है। कूड़ा बीनने वालों की जीवन दशा में सुधार के साथ उनकी एक निश्चित आमदनी सुनिश्चित कराई जाएगी। बुधवार को म्युनिसिपल कमिश्नर महेंद्र सिंह तंवर ने अपर नगर आयुक्त प्रमोद कुमार, एसबीएम के नोडल अधिकारी अरूण कुमार मिश्रा, नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथलेश कुमार, मुख्य पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डॉ. अनुज कुमार सिंह, चीफ इंजीनियर मोइनुद्दीन आदि की मौजूदगी में निगम मुख्यालय स्थित पार्क मेंं कूड़ा बीनने वालों के साथ वार्ता की। कुर्सी पर आमने-सामने बैठाकर हुई इस वार्ता में कूड़ा बीनने वालों को समझाया गया कि किस तरह उन्हें नगर निगम द्वारा लाभान्वित किया जाएगा। कूड़ा बीनने वालों का पंजीकरण होगा और उन्हें ड्रेस के साथ पहचान पत्र उपलब्ध कराया जाएगा। नगर निगम की मंशा है कि कूड़ा बीनने वालों को नगर निगम का एक ऐसा अंग बनाया जाये जिसे सम्मान मिले और नगर निगम को शहर से निकलने वाले कूड़े की समस्या से निपटने में मदद मिले। म्युनिसिपल कमिश्नर ने कूड़ा बीनने वाले एवं कबाड़ा उठाने के कार्य में लगे महिलाएं एवं पुरूषों के साथ बैठक करते हुए उनके विचारों और कामकाज के तरीकों को जाना। बैठक का मुख्य उद्देश्य यह था कि किस तरह इन लोगों को संगठित कर इनके द्वारा किए जा रहे कार्यों को नगर निगम द्वारा मान्यता दी जाए। कूड़ा-कबाड़ा बीनने का कार्य करने वालों को नगर निगम में पंजीकृत कर उनके द्वारा पृथक की जाने वाली कूड़ा सामग्री प्लास्टिक, रद्दी, लोहा आदि को निगम द्वारा क्रय किए जाने के बाद सभी के बैंक में खाते खुलवाकर एकाउंट के माध्यम से भुगतान कराने की योजना पर चर्चा की गई। म्युनिसिपल कमिश्नर ने अपर नगर आयुक्त प्रमोद कुमार और नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथलेश कुमार को निर्देशित किया कि इस तरह की कार्य योजना बनाई जाए। जिससे कूड़ा बीनने वालों से जो यूजफुल मैटीरियल है, उसे नगर निगम ही खरीदें। कूड़ा बीनने वालों को नगर निगम द्वारा इसके बदले उचित मूल्य का भुगतान किया जाए। नगर निगम द्वारा खरीदी जाने वाली प्लास्टिक, रद्दी आदि का उपयोग गमले, कुर्सी, बैंच फाइल कवर आदि बनाने में किया जाए।

कूड़ा बीनने वालों को रैग पीकर्स या कूड़े वाला कहकर बुलाते हैं। जो कि एक सम्मानजनक शब्द नहीं है। इसके अलावा इन लोगों का मीडिलमैन (बिचौलियों) द्वारा शोषण किया जाता है। मेहनत का पूरा फल नहीं मिलता। ऐसे में नगर निगम की योजना है कि सबसे पहले इन्हें नगर निगम का हिस्सा बनाया जाये। इनके लिए सेगरीगेटर जैसे पदनाम का इस्तेमाल किया जाएगा। इन्हें नगर निगम द्वारा ड्रेस और पहचान पत्र भी उपलब्ध कराया जाएगा। शहर से निकले वाले कूड़े में से जो मैटेरियल सेग्रीगेट किया जाएगा उसे नगर निगम खरीदेगा और रीसाइकल करके उसका इस्तेमाल नगर निगम द्वारा किया जाएगा। इससे इन कामगारों की आर्थिक दशा भी सुधरेगी और इन्हें सम्मान मिलेगा साथ ही साथ नगर निगम को भी लाभ मिलेगा।
महेंद्र सिंह तंवर
म्युनिसिपल कमिश्नर
गाजियाबाद।