नगर निकाय चुनाव: गाजियाबाद को लेकर हाईकोर्ट से बड़ी खबर कोर्ट ने परिसीमन की अधिसूचना पर लगाई रोक

हाईकोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 4 जनवरी 2023 को करेगा। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि यदि सरकार इस दौरान चाहे तो वह परिसीमन की नई अधिसूचना जारी कर सकती है।

उदय भूमि संवाददाता
प्रयागराज। प्रयागराज स्थित इलाहाबाद हाईकोर्ट से नगर निकाय चुनाव को लेकर बड़ी ख़बर आई है। गाजियाबाद से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वार्ड परिसीमन की अधिसूचना पर रोक लगा दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एमके गुप्ता तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की बेंच ने दर्शन सिंह की याचिका पर यह आदेश जारी किया है।

वार्ड परिसीमन की अधिसूचना को लेकर आपत्ति दाखिल करने के लिए पर्याप्त अवसर नहीं दिए जाने के कारण हाई कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है। हाईकोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 4 जनवरी 2023 को करेगा। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि यदि सरकार इस दौरान चाहे तो वह परिसीमन की नई अधिसूचना जारी कर सकती है।

गाजियाबाद की एक नगर पालिका के वार्ड परिसीमन को लेकर 5 नवंबर 2022 को जारी वार्डों के परिसीमन की अधिसूचना पर रोक लगाकर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम की धारा-11 बी (2) के अंतर्गत परिसीमन की अधिसूचना में आपत्ति दाखिल करने के लिए न्यूनतम सात दिन का समय मिलना चाहिए, लेकिन इस अधिसूचना से आपत्ति दाखिल करने के लिए केवल दो दिन का समय दिया गया। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि इस 2 दिन में से एक दिन रविवार था।

याची का कहना है कि कानून के तहत वार्ड परिसीमन पर आपत्ति के लिए सात दिन का समय दिया जाना चाहिए। दो दिन देने से तमाम लोग आपत्ति नहीं दर्ज करा सके। सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि इससे पहले 14 सितंबर को अधिसूचना जारी की गई थी। सात दिन का आपत्ति के लिए समय दिया गया था। इसमें कुछ खामी थी। इसलिए दोबारा यह अधिसूचना जारी की गई है। कोर्ट ने इस तर्क को यह कहते हुए सही नहीं माना कि पहली अधिसूचना में 60 वार्ड थे, जबकि प्रश्नगत अधिसूचना में केवल 55 वार्ड ही शामिल हैं, जो कानून की आवश्यकता को पूरी नहीं करता।

विदित हो कि लोनी नगरपालिका में विस्तार किया गया है। इसमें लोनी के टीला, जावली, बंथला, सिखरानी, खानपुर जप्ती, निस्तोली समेत 11 गांवों को जोड़ा गया था। जोड़े जाने के बाद कुछ ग्रामीणों और ग्राम प्रधानों ने इसका विरोध किया था। प्रधानों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। ग्राम प्रधान व याचिकाकर्ता दर्शन सिंह के अधिवक्ता बृजेशचंद्र त्रिपाठी ने कोर्ट में प्रधान का पक्ष रखा था।

उन्होंने पक्ष रखते हुए कहा था कि नगरपालिका ने गांवों को जोड़ने की अधिसूचना जारी की गई थी। आपत्ति दर्ज करने के लिए मात्र दो दिनों का समय दिया गया था। जिसमें से एक दिन रविवार था जबकि कानून के तहत उक्त अवधि सात दिन से कम नहीं होनी चाहिए। बड़ी संख्या में व्यक्तियों को आपत्ति दर्ज करने के उनके बहुमूल्य अधिकार से वंचित कर दिया गया। 4 जनवरी को इस मामले में अगली सुनवाई होगी तब तक सरकार इस मामले में अपना हलफनामा दायर करेगी।