मेयर सुनीता दयाल बोली नगर निगम में भ्रष्टाचार नहीं किया जाएगा बर्दाश्त

-महापौर सुनीता की प्रदेश में सबसे बड़ी जीत, 40 साल बाद चमकी है किस्मत

गाजियाबाद। शहर की प्रथम नागरिक चुनीं गई नवनिर्वाचित महापौर सुनीता दयाल शहर के विकास से लेकर नगर निगम पर भ्रष्टाचार का कलंक धोने समेत अन्य बहुत कुछ सुधार के लिए बेताब दिख रही है। प्रदेश के 17 नगर निगमों में महापौर सीट पर सबसे ज्यादा 2,87,656 वोटों से जीत दर्ज कराने वाली नवनिर्वाचित महापौर सुनीता दयाल शहर को मध्यप्रदेश के इंदौर शहर से भी स्वच्छ बनाना चाहती हैं।
महापौर सुनीता दयाल को कुल 3,50,905 वोट मिले है। 2,87,656 वोटों से महापौर का चुनाव जीती हैं। इनके सामने बहुजन समाज पार्टी की निसारा खान दूसरे नंबर पर रहीं।निसारा खान को कुल 63,249 वोट मिले। उन्होंने कहा कि राजनीति में 40 साल के लंबे अनुभव के बाद शहर की जनता ने बड़े विश्वास व आशा से इतना बड़ा बहुमत देकर शहर की प्रथम नागरिक महापौर की जो जिम्मेदारी है। उस पर खरा उतरने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। उनका कहना है कि भाजपा की अब ट्रिपल इंजन की सरकार बन गई है। शहर के विकास में पहले से ही जुटी हैं। खास बात यह है कि नगर निगम को वर्ष-1995 में गठन होने के बाद वर्ष-2023 तक महापौर सीट पर भाजपा ने 7वीं बार परचम लहराया है।

इस बार भाजपा की सुनीता दयाल ने पूर्व के सभी महापौर की जीत के आंकड़े को ध्वस्त करते हुए प्रधानमंत्री मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विकास के एजेंडे का लगता है कुछ ज्यादा तरजीह दी हैं। महापौर ने शहर के लोगों को भरोसा दिलाया कि शहर में तेजी से विकास कार्य कराए जाएंगे। इससे शहर का विकास होगा। भाजपा की विचारधारा से प्रभावित होकर जनता ने इतने अधिक अंतर से जैसे जीत दिलाई है। इसकी खुद मुझे भी उम्मीद नहीं थी। विपक्ष को शहर की जनता ने आईना दिखाने का काम किया है। जनता का प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री पर भरोसा है। मुख्यमंत्री ने लखनऊ में फरवरी में हुई इन्वेस्टर्स समिट के बाद शहर के विकास की जो योजना बनाई है। नगर निगम अब उसमें पूरी भागीदारी के साथ काम करेगा।

हर वार्ड में बिना भेदभाव के होंगे विकास कार्य
नवनिर्वाचित महापौर सुनीता दयाल का कहना है कि नगर निगम सदन में पहुंचने वाले प्रत्येक वार्ड के पार्षदों में बगैर भेदभाव के समान विकास कार्यों को कराने की नीति अपनाई जाएगी। पार्षद इससे आश्वस्त रहे। सदन में पहुंंचने के बाद वहां कोई पार्टी व दल नहीं चलेगा। सिर्फ और सिर्फ विकास पर बात होगी। उनका कहना है कि नगर निगम में भ्रष्टाचार के बहुत संख्या में मुद्दे उठते आए है। वहीं,कुछ दलाल भी सक्रिय है। नगर निगम को इन दलाल व भ्रष्टाचार से मुक्त कराया जाएगा। किसी भी सूरत में भ्रष्टाचार सहन नहीं किया जाएगा। शहर वासियों की समस्याएं एवं शिकायतों को प्राथमिकता पर सुनने के बाद उनका निस्तारण कराया जाएगा। वहीं,महापौर का कहना है कि शहर के किसी भी नागरिक की समस्या नगर निगम से संबंधित है तो ऐसी व्यवस्था बनाई जाएगी कि उनसे मिलने में किसी को कोई परेशानी नहीं होगी। राजनीति का लंबा अनुभव रखने वाली नवनिर्वाचित महापौर सुनीता दयाल पर जिस तरह से भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने भरोसा जताया। उस पर वह भारी बहुमत से जीत पाकर खरा उतरी है।

भाजपा में प्रदेश उपाध्यक्ष सुनीता दयाल ने वर्ष-2017 में भी टिकट की मांग की थीं।लेकिन तब आशा शर्मा पर पार्टी ने भरोसा जताया था।खास बात यह है कि सुनीता दयाल भाजपा की उन नेत्री में से है,जब गाजियाबाद में भाजपा में कम संख्या में राजनीति में महिला सक्रिय हुआ करती थीं।नवनिर्वाचित महापौर सुनीता दयाल के पति और एक बेटी हैं। पति बैंक के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। वर्ष-1975 में सुनीता दयाल राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ी हैं। इंटर की पढ़ाई दौरान वह एबीवीपी संयोजिका के पद पर रहीं। वर्ष-1980 के दशक में यह भाजपा में सक्रिय हुईं। पार्टी में विभिन्न पदों पर रहते हुए भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महामंत्री भी बनीं। पार्टी में वह प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं। परास्नातक की पढ़ाई तक वह एबीवीपी में अलग-अलग पदों पर रहीं।इन्होंने साल 2004 में हुए शहर विधानसभा सीट पर उप चुनाव भी भाजपा के टिकट पर लड़ा, लेकिन तब वह सुरेंद्र मुन्नी से हार गई थीं।वह भाजपा संगठन की महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महामंत्री भी बनीं। पार्टी और राजनीति में लंबा अनुभव रखने वाली सुनीता दयाल ने महापौर सीट पर रिकॉर्डतोड़ मतों से जीत दर्ज की है।