निजी औद्योगिक पार्क: काश्तकारों को आसान किस्तों पर मिलेगा लोन

-20 करोड़ रुपए के लोन पर देना होगा सिर्फ एक प्रतिशत ब्याज

गाजियाबाद। प्रदेश सरकार द्वारा जिले में निजी औद्योगिक पार्क विकसित करने के लिए कई प्रकार की योजना ला रही है। योजनाओं के तहत औद्योगिक पार्क के लिए जमीन देने वाले किसानों को 20 करोड़ रुपए तक का लोन सिर्फ एक प्रतिशत ब्याज दर पर देना होगा। आसान किस्तों और सस्ती ब्याजदर पर लोन देने के पीछे प्रदेश सरकार की मंशा निजी औद्योगिक पार्क विकसित करने के लिए बड़े काश्तकारों को आगे लाना है।
लखनऊ में फरवरी माह में हुए ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट-2023 के बाद से औद्योगिक संगठनों द्वारा औद्योगिक निवेश के लिए भूखंडों की मांग की जा रही है। जनपद में सरकारी जमीन की उपलब्धता और भूमि अधिग्रहण की समस्या को देखते हुए यह संभव नहीं हो पा रहा है। जबकि जनपद के उद्यमी और बड़े घरानों के निवेशक 1.25 लाख करोड़ रुपए तक के निवेश के अनुबंध कर चुके हैं।

ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट के बाद से उद्यमी लगातार जिला प्रशासन, यूपीसीडा, जीडीए और जिला उद्योग केंद्र से औद्योगिक निवेश के लिए जमीन दिलाने की मांग कर रहे हैं। इसके बाद प्रदेश सरकार द्वारा निजी औद्योगिक पार्क विकसित करने की योजना लाई गई है। योजना के तहत 10 हेक्टेयर से बड़े काश्तकारों को निजी औद्योगिक पार्क विकसित करने की छूट दी गई है। औद्योगिक पार्क के विकसित करने के लिए बड़े काश्तकारों को पूंजी निवेश में कोई दिक्कत न आए। इसलिए प्रदेश सरकार द्वारा उद्योग विभाग से सस्ते और आसान किस्तों पर विकास शुल्क के रूप में लोन देने की योजना लाई गई है। जिला उद्योग केंद्र के उपायुक्त श्रीनाथ पासवान ने बताया कि निजी औद्योगिक पार्क विकसित करने वाले काश्तकारों को 20 करोड़ रुपए तक का लोन तीन साल के लिए मात्र एक प्रतिशत ब्याज दर पर देने की व्यवस्था की गई है।

उन्होंने बताया कि बड़े काश्तकारों को 50 लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से यह लोन मुहैया कराया जाएगा। ताकि इस धनराशि से काश्तकार अपनी जमीन पर औद्योगिक पार्क विकसित कर सकें। उन्होंने बताया कि औद्योगिक पार्क विकसित करने के लिए जमीन का भू-उपयोग औद्योगिक में परिवर्तित करने के लिए विभाग द्वारा पूरी मदद की जाएगी। उपायुक्त ने बताया कि निजी औद्योगिक पार्क विकसित करने के लिए जनपद के बड़े काश्तकारों से आवेदन मांगे गए हैं। उन्हें जमीन का मालिकाना हक और खसरा-खतौनी के कागजातों के साथ आवेदन करने के लिए कहा गया है। भू-अभिलेखों की जांच करने के बाद ही निजी औद्योगिक पार्क विकसित करने के लिए हरी झंडी दी जाएगी।