टीबी मरीज बीच में न छोड़ें दवा, बीमारी हो सकती है गंभीर: अभिनव गोपाल

-मुरादनगर सीएचसी पर 100 क्षय रोगी लिए गए गोद
-आरएचएएम संस्था ने उपलब्ध करायी पोषण पोटली

गाजियाबाद। टीबी रोगी नियमित रूप से दवा खाएं। बीच में दवा छोड़ने की गलती कतई न करें। एक भी दिन टीबी की दवा छोड़ने पर टीबी के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया टीबी की दवाओं के खिलाफ आवरण बनाना शुरू कर देता है। दवा छोड़ने के दौरान यह आवरण हर दिन मजबूत होता जाता है और दवाएं असर करना छोड़ देती हैं। ऐसी स्थिति में उपचार बदलना पड़ता है। यह उपचार ज्यादा लंबा और मुश्किल हो जाता है। यह बातें सोमवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर आयोजित क्षय रोगी एडॉप्शन कार्यक्रम के दौरान मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) अभिनव गोपाल ने क्षय रोगियों को संबोधित करते हुए कहीं। सीडीओ ने इस मौके पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण भी किया। रोटेरियन डा. अमिता महेंद्रु और रोटेरियन कैप्टन डा. अनिल महेंद्रु की शादी की सालगिरह के मौके पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर 100 क्षय रोगी गोद लिए गए।

इन रोगियों को आरएचएएम फाउंडेशन के द्वारा पुष्टाहार पोटली वितरण किया गया। क्षय रोगियों को संबोधित करते मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. भवतोष शंखधर ने कहा टीबी का बैक्टीरिया शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है लेकिन सबसे अधिक यह फेफड़ों को प्रभावित करता है। फेफड़ों की टीबी सांस के जर?िए फैलती है और संपर्क में रहने वालों को संक्रमण का खतरा रहता है। इसलिए सभी क्षय रोगी नियमित अंतराल पर अपने परिजनों की टीबी जांच अवश्य कराते रहें। टीबी का बैक्टीरिया रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने पर सक्रिय होता है, बेहतर खानपान से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रखकर टीबी से बचाव किया जा सकता है।

उन्होंने कहा क्षय रोग हो जाने पर अच्छी रिकवरी के लिए भी पोषण महत्वपूर्ण होता है, इससे मृत कोशिकाओं के पुनर्निर्माण में मदद मिलती है। उन्हें जो पोषण पोटल प्रदान की गई है, उसका स्वयं उपयोग करें। कार्यक्रम के दौरान जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. अमित विक्रम और एमओआईसी डा. राजेश तेवतिया के साथ एनटीईपी और सीएचसी स्टाफ का भी सहयोग रहा। कार्यक्रम के दौरान रो. डा. अमिता महेंद्रु, रो. डा. अनिल महेंद्रु, आरएचएएम फाउंडेशन के फाउंडर रो. डा. धीरज भार्गव, फांडेशन के सचिव रो. दयानंद शर्मा और ट्रेजरार रो. मनीषा भार्गव उपस्थित रहीं।