केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने वर्ल्ड डेयरी समिट में कहा कॉपरेटिव और डेयरी में परस्पर सहयोग से जैविक खेती को मिलेगा बढ़ावा

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि देश के छोटे किसानों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार कई महत्वपूर्ण योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर तेजी से काम कर रही है। सरकार की योजना है कि खेती की चुनौतियों को कम किया जा सके और किसानों की आमदनी को बढ़ाया जा सके। इसके साथ ही, भारत कृषि क्षेत्र में दुनिया में नंबर वन बनने की यात्रा पर चल रहा है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि देश में जैविक खेती को बढ़ाने जरूरत है।

उदय भूमि ब्यूरो
ग्रेटर नोएडा। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि देश के छोटे किसानों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार कई महत्वपूर्ण योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर तेजी से काम कर रही है। सरकार की योजना है कि खेती की चुनौतियों को कम किया जा सके और किसानों की आमदनी को बढ़ाया जा सके। इसके साथ ही, भारत कृषि क्षेत्र में दुनिया में नंबर वन बनने की यात्रा पर चल रहा है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि देश में जैविक खेती को बढ़ाने जरूरत है। कॉपरेटिव और डेयरी के सहयोग के बिना जैविक खेती को बढ़ावा देना मुमकिन नहीं है। उन्होंने कहा कि देश में कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ रहा है। 2021 में 3.75 लाख करोड़ के कृषि उत्पादों का निर्यात किया गया है। इसमें जैविक उत्पाद भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि पशु चारे की उपलब्धता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
बुधवार को ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में चल रहे वर्ल्ड डेयरी समिट 2022 में यह बातें कही। उन्होंने कहा कि फूड, फीड फॉर डेरी एनिमल्स के सत्र को संबोधित किया। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि डेयरी क्षेत्र को बढ़ाने के लिए पहले उसकी समस्या का समाधान करना है। इस काम में कॉपरेटिव सेक्टर और स्टार्टअप की बड़ी भूमिका होगी। आगे आना वाला समय जैविक खेती का होगा। इसके लिए डेयरी और कॉपरेटिव को मिलकर काम करना होगा। प्रधानमंत्री की गोवर्धन योजना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि खेती में अपशिष्ट पदार्थों के प्रयोग से पर्यावरण को फायदा मिलेगा।

केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि हमारे देश ने कृषि की प्रधानता को स्वीकार किया है, इस लिहाज से इसकी प्रगति, इसमें बदलाव, नीतियों का समावेशन, सहकार आदि की दिशा में काम किया जा रहा है। देश में 86 फीसदी छोटे किसान हैं, जिनके पास छोटा रकबा है और वे ज्यादा निवेश नहीं कर सकते। इन किसानों को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सरकार काम कर रही है, क्योंकि अगर इन 86 प्रतिशत किसानों का पलड़ा नीचे रहेगा तो न खेती आगे बढ़ेगी और न ही देश। दलहन और तिलहन के क्षेत्र में भी सरकार काम कर रही है। दोनों ही अभावग्रस्त क्षेत्र थे। दलहन में किसानों ने उपक्रम किया और उत्पादन में बड़ी छलांग लगाई है। तिलहन में अभी गैप है, जिसके लिए सरकार तिहलन मिशन पर काम किया जा रहा है। हम जानते हैं खाद्य तेलों को इंपोर्ट करना पड़ता है। हमारे देश में जितनी तेलों की खपत है, उसमें करीब 56 प्रतिशत पॉम आयल की खपत है, इसलिए पॉम आॅयल मिशन शुरू किया गया है, जिस पर सरकार 11 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी। देश में लगभग 28 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पॉम आॅयल की खेती के लिए मुफीद है। पहले चरण में 6 लाख हेक्टेयर में पॉम की खेती बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। तीन-चार साल बाद जब पॉम आॅयल की फसल आएगी तो आयात निर्भरता कम होगी।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि कूड़ा निस्तारण बड़ी समस्या है। इससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। पशुओं के लिए घातक है। जरूरी है कि कूड़ा निस्तरण पर काम किया जाए। तोमर ने कहा कि गर्मी के दिनों में पशुओं के लिए हरे चारे की कमी हो जाती है। इससे दुग्ध उत्पादन कम हो जाता है। उन्होंने बताया कि कई उपाय ऐसे हैं, जिससे गर्मी में हरा चारा मिल सकता है। उन्होंने कहा कि पूसा ने हाल ही में डी-कंपोजर बनाया है। पराली से मवेशियों को चारा मिलता है। इससे ?किसानों को भी फायदा मिलेगा। इससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचेगा। आज आवश्कता है कि कृषि क्षेत्र में तकनीक का प्रवेश कैसे हो, निजी निवेश की उपलब्धता कैसे बढ़े, रोजगार के अवसर कैसे पैदा हों, इन सबको लेकर प्रधानमंत्री मोदी जी को खेती की विशेष चिंता है। 2014 के पहले कृषि बजट लगभग 22 हजार करोड़ रुपये होता था, जो आज 1.32 लाख करोड़ रुपये का है। किसान को सुरक्षा कवच मिले, इसके लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना संचालित की जा रही है।