ई-कॉमर्स कंपनियों को लेकर स्पष्ट नीति की मांग

व्यापारी एकता समिति संस्थान ने सीएम को भेजा पत्र

गाजियाबाद। व्यापारी एकता समिति संस्थान ने ई-कॉमर्स कंपनियों को लेकर स्पष्ट नीति बनाने की मांग की है। इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजा गया है। व्यापारी एकता समिति संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदीप गुप्ता ने पत्र में लिखा है कि छोटे व्यापारियों को राहत देने के लिए ई-कॉमर्स कंपनियों को लेकर एक स्पष्ट नीति बनाने की जरूरत है। दीपावली का त्योहार कऱीब आ चुका है। पिछले 2 साल से दिवाली पर्व कोरोना महामारी की भेंट चढ़ चुका है। इस दिवाली सभी व्यापारी अच्छे कारोबार की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन इनकी राह अब इतनी आसान भी नहीं रही।

पिछले 2 साल के दौरान ऑनलाइन कारोबार ने बाज़ार में अपनी जड़ें और जमा ली हैं। क्योंकि कोरोना महामारी के दौरान लॉक डाउन की वजह से ज्यादातर दुकानें बंद रहीं। इस दौरान व्यापारी बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहे थे। एक तरफ कारोबार ठप्प था तो दूसरी ओर दुकान का किराया, लोन की किश्तें, स्टाफ का वेतन सब चालू रहा। इस सबको झेलने के बाद जब इस दिवाली अच्छे कारोबार की उम्मीद है तो ई कॉमर्स कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा ने व्यापारियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। किसी भी सरकारी नीति की अनुपस्थिति, एफडीआई नियमों में अस्पष्टता होने, संबंधित सरकारी विभागों के ढुलमुल रवैये ने विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों को भारत के ई-कॉमर्स परिदृश्य को एक मुक्त खेल के मैदान के रूप में व्यवहार करने की खुली अनुमति दे रखी है।

जहां उन्हें अपने नियम बनाने की खुली छूट है, जिसका खामियाजा देश के छोटे व्यापारियों को उठाना पड़ रहा है। अब तक सरकार द्वारा उन्हें रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है और ना ही कोई कार्रवाई की गई है। ये देश के व्यापरियों के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं है। प्रदीप गुप्ता का कहना है कि देश के लगभग 8 करोड़ व्यापारी लगभग 40 करोड़ लोगों को रोजगार दे रहे हैं। इसके अलावा लगभग 115 लाख करोड़ का वार्षिक कारोबार कर रहे हैं, मगर सबसे आश्चयर्य की बात यह है कि अर्थव्यवस्थ में प्रमुख योगदान देने वाले इस क्षेत्र को बुरी तरह उपेक्षित किया गया है। उन्होंने पत्र में कहा है कि व्यापारियों को मुख्यमंत्री से काफी उम्मीदें हैं। सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए ताकि व्यापारियों को राहत मिल सके। ऐसे में ई-कॉमर्स कंपनियों को लेकर एक स्पष्ट नीति बनाया जाना जरूरी है।