विकास कार्यों के नाम पर अंधाधुंध खर्च का देना होगा ब्यौरा

पूर्व 28 ग्राम प्रधानों की बढ़ी मुश्किले, 20 तक दें हिसाब

गाजियाबाद। जनपद की ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों के नाम पर अंधाधुंध खर्च का अब हिसाब-किताब तैयार हो रहा है। ऐसे में 28 पूर्व ग्राम प्रधानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इन पूर्व प्रधानों को 20 फरवरी तक विकास कार्यों का ब्यौरा उपलब्ध कराना होगा। जनपद में 161 ग्राम पंचायतों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियों से इतर कुछ पूर्व ग्राम प्रधानों पर कानूनी फंदा कसने लगा है। दिसंबर 2020 में कार्यकाल समाप्त होने के बाद घर बैठे पूर्व प्रधानों ने बेशक चुनावी तैयारी शुरू कर दी है, मगर 28 पंचायतों के पूर्व प्रधानों के पास चुनाव में उतरने से पहले वसूली का नोटिस पहुंच गया है। ऑडिट में 28 ग्राम पंचायत में बेहिसाब खर्च का मामला प्रकाश में आने पर संबंधित ग्राम पंचायत के पूर्व प्रधान और सचिव को जिला पंचायत राज अधिकारी ने विकास कार्य पर खर्च का 20 फरवरी तक हिसाब देने के लिए कहा है। यदि समय पर हिसाब नहीं दिया गया तो संबंधित ग्राम पंचायत के निवर्तमान प्रधान को नो ड्यूज का पत्र जिला पंचायत राज विभाग से नहीं मिलेगा। ऐसे में प्रधानी का चुनाव लडऩा मुश्किल होगा। जिला पंचायत राज अधिकारी अनिल कुमार त्रिपाठी के मुताबिक सहकारी समितियां एवं पंचायतों के जिला लेखा परीक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर ग्राम पंचायतों में ऑडिट के लिए भेजे गए ऑडिटर के बारे में जानकारी मांगी गई है। ताकि पूरे मामले की जानकारी हो सके। डीपीआरओ ने बताया कि जिले में पूर्व प्रधानों पर पिछले 2 साल में ग्राम पंचायतों के विकास को मिली धनराशि का दुरुपयोग करने का आरोप है। यह धनराशि प्रत्येक ग्राम पंचायत में लाखों और करोड़ों रुपए में हैं। चुनाव लडऩे से पहले पूर्व प्रधानों को ग्राम पंचायतों का हिसाब देना होगा नहीं तो धनराशि जमा करानी होगी। अगर ऐसा नहीं किया गया तो जिला पंचायत राज विभाग से इनको नो.ड्यूज का प्रमाण पत्र नहीं मिलेगा। इनके साथ ही संबंधित ग्राम पंचायत के सचिव पर भी कार्रवाई होगी, क्योंकि बिना उनकी मर्जी के रकम खर्च नहीं की जा सकती है। अगर इस धनराशि का दुरूपयोग किया गया तो आधे हिस्से की वसूली उनसे हो सकती है। डीपीआरओ का कहना है कि इन 28 ग्राम पंचायत में धनराशि के दुरुपयोग का मामला सामने आया है। इसकी वसूली को पूर्व ग्राम प्रधान को नोटिस जारी हो चुके हैं।