संकट में जीडीए, अधिग्रहित भूमि पर कब्जा पाना मुश्किल

-मंडलायुक्त के निर्देश के बाद हरकत में आया विभाग

गाजियाबाद। किसानों के विरोध के कारण जीडीए के लिए मधुबन-बापूधाम की 281 एकड़ भूमि पर कब्जा लेना मुश्किल हो रहा है। कमिश्नर सुरेंद्र सिंह ने कुछ दिन पहले समीक्षा बैठक में संबंधित भूमि पर जल्द कब्जा लेने के निर्देश दिए थे। उन्होंने भूमि में अवरोध पैदा करने पर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने के निर्देश भी दिए थे, मगर जीडीए अधिकारी इस प्रकरण में अब कार्रवाई करने से बचते दिख रहे हैं। जीडीए का मधुबन-बापूधाम योजना में सौ करोड़ की लागत से हाईटेक ऑफिस का निर्माण भी होना है, मगर किसानों के विरोध के कारण और एक समान मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलनरत किसान अब जमीन पर कब्जा नहीं होने दे रहे हैं। जीडीए ऑफिस के निर्माण का रास्ता वैसे तो साफ हो गया है। ऑफिस का निर्माण कराने के लिए कंपनियों से टेंडर मांगे गए हैं। टेंडर प्रक्रिया पूरी करने के बाद निर्माण होना है, मगर इसका निर्माण भी अधर में लटकता दिख रहा है। जीडीए की बोर्ड बैठक में निर्माण संबंधी प्रस्ताव पास हो चुका है। वहीं, जीडीए द्वारा मधुबन-बापूधाम में दूसरी बिल्डिंग के बेसमेंट की खुदाई कराई जा चुकी है। छह मंजिल के स्ट्रक्चर में कर्मचारियों का आवास भी बनाया जाएगा। बेसमेंट वाले स्थान में ऑफिस बनेगा। इसकी डिजाइन भी अब जल्द तैयार होगी। बता दें कि मधुबन बापूधाम योजना लंबे समय से उपेक्षित रही है। जीडीए का नवयुग मार्केट से मधुबन-बापूधाम योजना में ऑफिस शिफ्ट किया जाता है तो इस योजना के जल्द विकसित होने की संभावना है। इससे योजना में प्रस्तावित गु्रप हाउसिंग और कॉमर्शियल भूखंडों की बिक्री भी आसान हो जाएगी। मधुबन-बापूधाम योजना में नया हाईटेक ऑफिस का निर्माण कराने के लिए टेंडर जारी कर दिए गए हैं। टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसका निर्माण शुरू हो सकेगा, मगर जमीन का सबसे बड़ा रोड़ा अटक रहा है। जीडीए के चीफ इंजीनियर विवेकानंद सिंह ने बताया कि मधुबन-बापूधाम योजना में ऑफिस का निर्माण करने के लिए जीडीए कर्मचारियों के वहां रहने के लिए आवास भी बनाए जाएंगे। ऑफिस पर करीब सौ करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसके लिए जीडीए की बिल्डिंग को 40 करोड़ रुपए में बेचने के प्लान के अलावा नेहरू नगर और कपूर्रीपुरम में स्टाफ क्वार्टर को बेचा जा रहा हैं। मधुबन-बापूधाम योजना में नया हाईटेक तरीके से ऑफिस का निर्माण किया जाएगा। सौ करोड़ की लागत से बनने वाले नए ऑफिस को ग्रीन बिल्डिंग के फॉर्मेट में तैयार किया जाएगा ताकि नेचुरल रोशनी का पूरा इंतजाम रहे। इससे बिजली की खपत कम होगी। वाईफाई की सुविधा होगी। कर्मचारियों के रिफ्रेशमेंट के साथ-साथ फायर फाइटिंग का इंतजाम होगा। विजिटर के बैठने का भी पूरा इंतजाम होगा। वर्तमान ऑफिस में वाहन पार्किंग की समस्या के साथ कम जगह होने से दिक्कत हैं। नए ऑफिस का निर्माण कराने हेतु कंपनियों ने टेंडर डाले हैं। टेंडर की फाइनेंशियल और टेक्नीकल बिड फाइनल करने के बाद डिजाइन तैयार कराया जाएगा। इसके बाद निर्माण संभव हो सकेगा। मधुबन-बापूधाम योजना के लिए 6 गांवों के किसान एक समान मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हंै। जीडीए को जमीन पर कब्जा नहीं लेने दे रहे हैं। मधुबन-बापूधाम योजना 1234 एकड़ जमीन पर विकसित होनी है। इसमें से करीब 750 एकड़ जमीन पर कब्जा ले लिया गया, मगर सुप्रीम कोर्ट में किसानों द्वारा बढ़ाकर मुआवजा दिए जाने को लेकर दायर की गई याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट ने नंवबर-2016 में नए भूमि अधिग्रहण एक्ट के तहत दोगुना मुआवजा देने के आदेश दिए थे। 281 जमीन पर विवाद है। इस जमीन पर किसान कब्जा नहीं होने दे रहे हंै। ऐसे में जीडीए की योजना को अब झटका लगता दिख रहा है। जमीन पर कब्जा होने के बाद कार्य शुरू हो पाएंगे। वहीं, जीडीए उपाध्यक्ष कृष्णा करूणेश का कहना है कि मधुबन-बापूधाम योजना की 281 एकड़ जमीन पर जल्द कब्जा लेने के लिए किसानों से सीधे वार्ता की जाएगी। जिन किसानों को मुआवजा दिया जा चुका है, उस जमीन पर कब्जा लिया जाएगा।