कोर्ट केस के मकड़जाल को तोड़ेंगे IAS अतुल वत्स विभिन्न अदालतों में लंबित हैं GDA के 3300 केस जीडीए उपाध्यक्ष ने लंबित केस को लेकर की समीक्षा बैठक

इन केस के लंबित होने के चलते प्रत्येक साल जीडीए का करोड़ों रुपए वकीलों के पैनल पर खर्च हो रहा है। जबकि बहुत मामलों में जीडीए के पक्ष में कोर्ट निर्णय नहीं ले पाई। जीडीए उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने जीडीए सचिव राजेश कुमार सिंह, फाइनेंस कंट्रोलर अशोक कुमार वाजपेयी, विधि अनुभाग प्रभारी ओएसडी गुंजा सिंह, ओएसडी कनिका कौशिक, अधिशासी अभियंता अजित कुमार बघाड़िया, सहायक अभियंता रूद्रेश शुक्ला सहित जीडीए के अन्य अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की।

उदय भूमि संवाददाता
गाजियाबाद।।
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) के सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट, जनपद न्यायालय पर लंबित सीलिंग वाद रेरा, एससी-एसटी, जिला उपभोक्ता फोरम समेत अन्य न्यायालयों में लंबित केस की तारीख से 7 दिन पहले ही पूरी तैयारी करनी होगी। ताकि लंबित केस की बेहतर तरीके से कोर्ट में वकीलों के माध्यम से पैरवी कराकर उनका निस्तारण कराया जा सकें। शनिवार को जीडीए सभागार में जीडीए उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने विधि अनुभाग के कार्यों से संबंधित मुख्य बिंदुओं को लेकर अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। जीडीए उपाध्यक्ष अतुल वत्स का जीडीए के विभिन्न कोर्ट में चल रहे करीब 3300 केस का निस्तारण कराना प्राथमिकता पर हैं।

इन केस के लंबित होने के चलते प्रत्येक साल जीडीए का करोड़ों रुपए वकीलों के पैनल पर खर्च हो रहा है। जबकि बहुत मामलों में जीडीए के पक्ष में कोर्ट निर्णय नहीं ले पाई। जीडीए उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने जीडीए सचिव राजेश कुमार सिंह, फाइनेंस कंट्रोलर अशोक कुमार वाजपेयी, विधि अनुभाग प्रभारी ओएसडी गुंजा सिंह, ओएसडी कनिका कौशिक, अधिशासी अभियंता अजित कुमार बघाड़िया, सहायक अभियंता रूद्रेश शुक्ला सहित जीडीए के अन्य अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। जीडीए उपाध्यक्ष ने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही 1139 केस लंबित चल रहे हैं। जबकि करीब 800 केस सिविल कोर्ट में चल रहे है। उन्होंने बताया कि विधि अनुभाग को 4 लिपिक और पैरोकार तैनात किए गए है। इन्हें अब कोई भी केस के मामले की तारीख से 7 दिन पहले पूरी तैयारी करनी होगी। समन्वय बनाकर विभागों को भी आपस में काम करने के निर्देश दिए गए है। इसके साथ ही कोर्ट केस में सूचना अन्य विभाग क्यों समय पर नहीं दे रहे है। इस पर निर्देश दिए कि जिस विभाग से सूचना मांगी जाए वह तत्काल सूचना दें।

जीडीए के पैनल में शामिल वकीलों को पूरे बिंदुओं समेत सूचना दी जाएगी। ताकि वह कोर्ट में बेहतर तरीके से पैरवी कर केस का निस्तारण करा सकें। जीडीए उपाध्यक्ष ने बताया कि कोर्ट के पैरोकार के 750 रुपए से बढ़ाकर वेतन में वृद्धि कर इसे 3000 रुपए किया जाएगा। इसमें उनके तेल का खर्च शामिल होगा। फिलहाल विधि अनुभाग में 4 बाबुओं की तैनाती की गई है।यह विधि अनुभाग में केस से संबंधित पूरी सूचना तैयार कराएंगे। जीडीए उपाध्यक्ष ने विधि अनुभाग के कार्य-कलापों से संबंधित मुख्य बिंदुओं पर समीक्षा की। इसमें जनपद-न्यायालय स्तर पर लंबित सीलिंग केस की समीक्षा करने के अलावा हाईकोर्ट में लंबित केस,सुप्रीमकोर्ट में लंबित केस, उत्तर प्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) में लंबित वाद, जीडीए में वादों के कंप्यूटर फीडिंग के कार्य की समीक्षा,एससी-एसटी, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग एवं अन्य कोर्ट में लंबित वादों की समीक्षा की गई। जीडीए उपाध्यक्ष ने निर्देश दिए कि सभी न्यायालयों में संबंधित विचाराधीन सभी केस की पैरवी प्रभावी तरीके से अधिवक्ताओं के माध्यम से की जाए।

समीक्षा में पाया गया कि वादों की नियमित समीक्षा के लिए एक पोर्टल बनाया गया था। मगर उसका उपयोग न होने के कारण व अप्रचलित हो गया था। इसमें डाटा फीड कर शुरू करने के निर्देश दिए। जीडीए के पैनल में अधिवक्ताओं से भी यह अपेक्षा की जाएगी कि यदि किसी मुकदमे में जीडीए के विपरीत आदेश हुआ तो अग्रिम कार्रवाई के लिए स्पष्ट विधिक परामर्श उपलब्ध कराया जाएगा। प्रभावी तरीके से पैरवी एवं समीक्षा के अभाव में जीडीए के वादों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है। इसलिए सभी वादों को ससमय पटल प्रभारियों से समन्वय स्थापित करते हुए उच्चाधिकारियों को भी व्यक्तिगत रूप से सूचित करते हुए प्राथममिकता के आधार पर निस्तारित किया जाए। भविष्य में सहायक प्रभारी विधि का यह दायित्व होगा कि वह अपने न्यायालय से संबंधित अधिवक्ता से एक सप्ताह पूर्व केस के तथ्यों पर चर्चा कर अधिवक्ता को अवगत करा दें। नई दायर याचिकाओं की उपयोगिता पर भी उन्हें चुनौती करें। इसके अलावा अन्य सभी स्थानीय न्यायालयों में विचाराधीन सभी वादों का डेटा जीडीए के पैरोकार व लिपिक द्वारा पूरे करने के निर्देश दिए।