अगवा हुई 11 साल की बच्ची का दो दिन बाद 65 किलोमीटर दूर मिला शव, परिजनों से मांगी थी 30 लाख की फिरौती

गाजियाबाद। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के शहर में आगमन से ठीक तीन दिन पहले तीसरी कक्षा में पढऩे वाली 11 वर्षीय छात्रा खुशी का शव बुलंदशहर में मिलने से हड़कंप मच गया। हत्या की सूचना से परिवार में कोहराम मच गया। एक तरफ पुलिस अपहणकर्ताओं को ट्रेस करने में लगी थी और आरोपी बच्ची को लेका गाजियाबाद से फरार हो चुके थे। पुलिस की नाकामी के चलते एक मासूम बच्ची की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि अगर पुलिस इस मामले को गंभीर से लेती तो शायद इनती बच्ची आज जिंदा होती। अपहरणकर्ताओं बच्ची को छोडऩे की एवज में उसके पिता को फोन कर 30 लाख रुपए की फिरौती मांगी थी। इस बीच अपहरणकर्ताओं ने उसके पिता को दो बार फोन भी किया। मगर पुलिस फिर भी उन्हें ट्रेस नही कर सकी। नंदग्राम थाना पुलिस ने अपहरणकर्ताओं की निशानदेही पर मंगलवार को बुलंदशहर क्षेत्र के गांव नगला पूठी के जंगलों में फेंका शव बरामद किया है। शव का बुलंदशहर में ही पोस्टमार्टम कराया गया। सोनीपत गांव टोकी मनोली निवासी मोन सिंह की शादी वर्ष 2009 में नंदग्राम के नई बस्ती में रहने वाली ममता से हुई थी, जिनसे उनकी दो संतान खुशी और विवेक हैं। मोन सिंह की जून 2015 में सड़क हादसे में मृत्यु के बाद ममता की शादी उसके देवर सोनू से हो गई। दोनों से एक बेटा अर्जुन है। सोनू के पास तीन जेसीबी मशीन हैं, जिसे वह चलवाते हैं। उनकी बेटी खुशी अपनी नानी के घर नंदग्राम के नई बस्ती मोहल्ला में रहती थी। सोनू ने बताया कि रविवार दोपहर पौने दो बजे उनके पास एक अनजान नंबर से कॉल आई। कॉलर ने उनसे पूछा कि खुशी तुम्हारी बेटी है। हां कहने पर कॉलर ने बेटी के अपहरण करने की बात कहते हुए 30 लाख रुपए की फिरौती मांगी। कॉल खत्म होने के बाद सोनू ने अपने साले सतीश को फोन किया। सतीश ने घर पर देखा तो खुशी वहां नहीं मिली। उस वक्त खुशी की नानी शांति और नाना बिजेंद्र खेत पर पशुओं के लिए चारा लेने गए थे। काफी तलाश के बाद खुशी नहीं मिली तो सतीश ने मामले की नंदग्राम थाने में सूचना दी थी। आरोप है कि अगर पुलिस समय रहते अगर कार्रवाई करती तो आज बेटी जिंदा होती। हालांकि पुलिस ने हत्या मामले में कुछ लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। जल्द ही हत्या का खुलास करने का पुलिस ने दावा किया है।