फंगस के मरीजों के लिए पर्याप्त इंजेक्शन : सीएमओ

-जिले में ब्लैक फंगस से अब तक 10 मरीजों की मौत

गाजियाबाद। कोरोना संक्रमण के मरीज कम होने के बाद अब जिले में ब्लैक-येलो फंगस के मरीज बढऩे से जिले में इन मरीजों को अब दवाई और इंजेक्शन मिलने लगे है। जिले में ब्लैक फंगस से अब तक 10 मरीजों की मौत हो चुकी हैं। मरीजों को अब इंजेक्शन के लिए मेरठ तक की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी, जिले में इजेक्शन मिलने शुरू हो गए है। पहले दिन सीएमओ कार्यालय को 80 इंजेक्शन मिले हैं। अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती 12 मरीजों के परिजन दो-दो इंजेक्शन ले गए। सीएमओ की संस्तुति पर रेड क्रॉस सोसायटी में शुल्क जमा करके मरीजों के परिजन इंजेक्शन ले सकेंगे। जिले में सरकारी स्तर पर ब्लैक फंगस के मरीजों को भर्ती करके उपचार की कोई व्यवस्था नहीं है। सरकारी अस्पताल में आने वाले मरीज को मेरठ मेडिकल कॉलेज रेफर किया जाएगा। सीएमओ डॉ.एनके गुप्ता ने बताया कि अब मरीजों को डाक्टर के पर्चे पर प्रतिदिन कार्यालय से 6 हजार रुपए प्रति इंजेक्शन दिए जाएंगे। एंफेटेरोसिन-बी इंजेक्शन अब यही मिल सकेंगे। जिले में पहली मौत 18 मई को सिहानी के एक किसान की हुई थी। अब तक जिले में 88 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से अभी 16 मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं, जबकि अन्य मरीजों का घर से इलाज चल रहा है।सीएमओ का कहना है कि जिले में ब्लैक-येलो फंगस के मरीजों को रोजाना इंजेक्शन मिल सकेंगे। इसके लिए व्यवस्था की गई है। ब्लैक-येलो फंगस के मरीजों को अभी तक न तो इंजेक्शन मिल पा रहे थे, जबकि दवाई के लिए भी मरीजों के परिजनों को भटकना पड़ रहा था। चिकित्सक ब्लैक व येलो फंगस के मरीज को एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन लगाने की सलाह दे रहे हैं। इस इंजेक्शन के लिए अभी तीमारदार भटक रहे थे। लेकिन अब इंजेक्शन मिलने शुरू हो गए हैं। मई माह के दूसरे सप्ताह से कोरोना के सक्रिय मरीजों में कमी होने के बाद स्वस्थ होने वाले कुछ मरीजों में ब्लैक फंगस के लक्षण दिखने लगे थे। इसके इलाज के लिए मरीज भटक रहे थे। राजनगर डिस्ट्रिक सेंटर(आरडीसी) स्थित हर्ष ईएनटी पॉलीक्निक अस्पताल में ब्लैक फंगस के मरीज भर्ती हो रहे है। जहां चिकित्सक साइनेस आदि ऑपरेशन करके मरीजों का इलाज कर रहे हैं। डॉ.बीपी त्यागी का कनहा है कि इसके लिए मरीज को एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन की भी सलाह दी जा रही है। अभी तक मरीज के तीमारदारों को इंजेक्शन की व्यवस्था के लिए दूसरे जिलों में दौड़ लगानी पड़ रही थी। लेकिन अब जिले में यह इंजेक्शन मिलने लगे है। बता देंं कि जिले में 19 अप्रैल को ब्लैक फंगस के मरीज की मौत हुई थी। नूरनगर के रहने वाले राजाराम का निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। लेकिन इंजेक्शन नहीं मिलने कारण दम तोड़ दिया था। जबकि सेक्टर-23 संजयनगर के रहने वाले 52 वर्षीय एक व्यक्ति ने येलो फंगस होने के बाद इलाज के अभाव में 25 मई को दम तोड़ दिया था। परिजन मेरठ समेत आसपास के जिलों में इंजेक्शन के लिए परेशान रहे। लेकिन कहीं से इंजेक्शन की व्यवस्था नहीं हो सकी। जिले के चार अस्पतालोंं में फिलहाल ब्लैक और येलो फंगस के मरीजों का इलाज किया जा रहा हैं। आरडीसी स्थित हर्ष ईएनटी अस्पताल,मैक्स अस्पताल, पल्मोनिक अस्पताल,यशोदा अस्पताल नेहरू नगर शामिल हैं। इन अस्पतालों में चार मरीजों की हालत गंभीर है। उधर फंगस के मरीजों को दिए जाने वाले एंफोटेरेसिन-बी इंजेक्शन की मांग तेजी से बढ़ी है। स्वस्थ होने के बाद भी मरीजों को इंजेक्शन दिया जा रहा है। जिले में अब तक 84 मरीजों को ब्लैक फंगस हुआ है। इनमेें फंगस के सक्रिय केस 16 रह गए है। सीएमओ डॉ.एनके गुप्ता का कहना है कि पहले मेरठ के मंडलायुक्त की संस्तुति के बाद इंजेक्शन मिल रहा था। लेकिन अब जिले में ब्लैक-येलो फंगस के मरीजों को इंजेक्शन दिए जा रहे हैं। जिला एमएमजी अस्पताल में रोज पांच मरीज जांच कराने पहुंच रहे हैं।जिले में फंगस की दवा की उपलब्धता के लिए शासन को पत्र भेजा गया है। शासन से अनुमति और दवा की उपलब्धता के बाद मरीजों को जिले में ही दवाई उपलब्ध कराई जाएगी।