गाजियाबाद शहर की आबोहवा सुधारने को जापानी तकनीक का सहारा

रंग लाने लगे नगर निगम के प्रयास, मियावाकी तकनीक से बढ़ेंगे सघन वन क्षेत्र

गाजियाबाद। शहर को हरा-भरा और प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए नगर निगम की नई पहल कारगर साबित हो रही है। इसके तहत जापानी तकनीक मियावाकी का प्रयोग कर पौधरोपण किया जा रहा है। इस तकनीक से पौधरोपण कर कम समय में सघन वन क्षेत्र विकसित करने में सफलता मिल रही है। ऐसे में हरियाली बढ़ने से प्रदूषण की रोकथाम करने में भी कामयाबी मिल रही है। जापानी तकनीक मियावाकी को अमल में लाने का श्रेय नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर को जाता है। शहर को साफ-सुथरा, खूबसूरत और प्रदूषण मुक्त रखने की दिशा में वह निरंतर प्रयासरत हैं।

सफाई व्यवस्था और पर्यावरण से खिलवाड़ करने वालों को नगरायुक्त के निर्देश पर निरंतर सबक भी सिखाया जा रहा है। शहर में कम समय में हरियाली विकसित करने के मकसद से नगरायुक्त ने जापानी तकनीक मियावाकी की तरफ ध्यान दिया था। इस तकनीक का बारीकी से अध्य्यन करने के बाद उन्होंने इसे गाजियाबाद शहर में अपनाने का निर्णय लिया। नगरायुक्त तंवर का यह कदम फलदायी साबित हो रहा है। दरअसल यह तकनीक कम से कम समय में सघन वन क्षेत्र विकसित करने का नायाब तरीका है। देश के सबसे प्रदूषित शहरों में गाजियाबाद शुमार है। वायु गुणवत्ता सूचकांक की रिपोर्ट आए दिन गाजियाबाद शहर की असलियत को सामने रखकर सभी को शर्मिंदा करती है।

देश की राजधानी से सटे इस शहर को स्वच्छ एवं प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए गाजियाबाद नगर निगम ने लंग्स ऑफ गाजियाबाद स्कीम लॉन्च की है। यह जापानी तकनीक मियावाकी बेहद कारगर है। इससे पौधरोपण कर कम समय में ज्यादा फायदा देखने को मिलता है। जहां-जहां भूमि खाली है, वहां इस तकनीक से पौधरोपण कर डेढ़-दो साल में सघन वन क्षेत्र विकसित किया जा सकता है। नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर के मुताबिक हिंडन नदी के पास साईं उपवन की भूमि पर मियावाकी तकनीक की पहल की गई। महज एक साल में वहां सघन वन तैयार हो चुका है।

इसके अलावा कविनगर औद्योगिक क्षेत्र में सात हजार पौधे रोपित किए गए हैं। लाइनपार क्षेत्र में भी मियावाकी तकनीक पर काम आरंभ हो चुका है। वहां 10-12 हजार से पेड़ होंगे। जंगल उगाने की मियावाकी तकनीक जापान से निकली है। इस तकनीक को बॉटेनिस्ट अकीरा मियावाकी ने विकसित किया था। इसकी सहायता से बहुत कम और बंजर भूमि में भी तीन तरह के पौधे (झाड़ीनुमा, मध्यम आकार के पेड़ और छांव देने वाले बड़े पेड़) लगाकर जंगल विकसित करना आसान है। तेलंगाना, महाराष्ट्र, बंगलुरु व मध्य प्रदेश में भी मियावाकी तकनीक पर काम शुरू हो चुका है। इस तकनीक से 2 फीट चौड़ी और 30 फीट पट्टी में 100 से अधिक पौधे रोपे जा सकते हैं। पौधे को 10 गुना तेजी से उगाने के साथ 30 गुना ज्यादा घना बनाया जा सकता है।