अधिग्रहित भूमि पर जल्द कब्जा लेगा जीडीए, कार्ययोजना तैयार

मधुबन-बापूधाम से जुड़ी समस्या को निपटाने की तैयारी

गाजियाबाद। मधुबन-बापूधाम योजना में अधिग्रहित भूमि पर कब्जा न मिलने से जीडीए की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। ऐसे में मधुबन-बापूधाम में विकास कार्यों पर असर पड़ने के अलावा प्राधिकरण को आर्थिक तंगी दूर करने में भी सफलता नहीं मिल पाई है। किसानों द्वारा अड़ंगा लगाए जाने से यह मामला सुलट नहीं पाया है। भूमि पर कब्जा लेने का कृषकों द्वारा निरंतर विरोध किए जाने से प्रस्तावित कार्य अधर में लटक गए हैं। इस योजना को पूर्णत: विकसित करने की प्लानिंग बार-बार फेल हो रही है। प्रस्तावित कार्यों को पूरा कराने और आर्थिक संकट से निपटने के लिए जीडीए अब इस काम में शिद्दत से जुट गया है।

जीडीए उपाध्यक्ष कृष्णा करूणेश का कहना है कि मधुबन-बापूधाम योजना की 281 एकड़ भूमि पर जल्द कब्जा लेने की कार्रवाई की जाएगी। वहां भूखंड एवं भवनों सहित संपत्ति को बेचकर जीडीए को लगभग 7 हजार करोड़ रुपए की आमदनी होने की उम्मीद है। पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों के साथ मिलकर जमीन पर कब्जा लेने की प्लानिंग कर ली गई है। अधिगृहित भूमि पर जल्द कब्जा ले लिया जाएगा। इसके बाद जीडीए योजना के अनुसार क्षेत्र में नियोजित विकास करेगा। इस 281 एकड़ जमीन पर भूखंड काटे जाएंगे। व्यवसायिक भूमि 262670 वर्गमीटर है।

ग्रुप हाउसिंग में 565910 वर्गमीटर, स्कूल व कॉलेज 233973 वर्ग मीटर जमीन, सी शॉप्स 2228 वर्गमीटर, पेट्रोल व सीएनजी पंप 4820 वर्गमीटर, अस्पताल व हेल्थ सेंटर 78602 वर्ग मीटर, गेस्ट हाउस 2506 वर्गमीटर, धार्मिक भूखंड 24950 वर्गमीटर जमीन पर विकसित करने की प्लानिंग की गई हैं। जीडीए मधुबन-बापूधाम आवासीय योजना बसाने की प्लानिंग वर्ष-2004 से कर रहा है। इसके लिए 6 गांवों की जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई थी। 1234 एकड़ जमीन में विकसित होने वाली मधुबन-बापूधाम योजना में 800 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने के लिए करार कर लिया गया।

शेष 434 एकड़ जमीन के मालिक किसान व सहारा ग्रुप अधिग्रहण के खिलाफ हाई कोर्ट चले गए। हाईकोर्ट ने जीडीए के पक्ष में फैसला दिया। इसके बाद जीडीए को धीरे-धीरे 153 एकड़ जमीन और मिल गई, लेकिन 281 एकड़ जमीन का विवाद नहीं सुलझ सका। इस मामले में किसानों की ओर से वर्ष-2010 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई। सुप्रीम कोर्ट ने छह साल की सुनवाई के बाद नवंबर-2016 में नए भू-अधिग्रहण कानून के तहत किसानों को दोगुना मुआवजा देकर जमीन लेने के आदेश दिए।

इसके बाद जीडीए ने करीब 800 करोड़ रुपए का लोन लेकर किसानों को जमीन का बढ़ा मुआवजा देने के लिए करीब 1200 करोड़ रुपए जिला प्रशासन को जमा करा दिया। इसके तहत किसानों को मुआवजा दिया गया। लेकिन अब छह गांव के किसान एक समान बढ़ा मुआवजा दिए जाने की मांग को लेकर जीडीए के खिलाफ कई बार आंदोलन कर चुके हैं। जीडीए को किसान जमीन पर कब्जा नहीं लेने दे रहे है। जीडीए अधिकारियों का कहना है कि किसान मुआवजा ले चुके हैं। अब फिर से मुआवजा दिए जाने का कोई औचित्य नहीं है।