मन का मुहल्ला: सशक्त महिला से ही होता है सशक्त समाज का निर्माण: ज्योति स्पर्स

-कथा समरस कार्यक्रम आयोजित, प्रसिद्ध साहित्यकार राजी सेठ हुईं भावविह्वल

गाजियाबाद। गाजियाबाद साहित्य से जुड़ी संस्थान मन का मुहल्ला द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में ऑनलाइन 12 दिवसीय कथा समरस कार्यक्रम का आयोजन किया गया समरस समाज के लक्ष्य की तरफ बढ़ते हुए महिला और पुरुष कथाकारों ने एक दूसरे की स्त्री संवेदना की कहानियों का मिलजुल पाठ किया। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष में अपनी कहानी खाली लिफाफा का राकेश बिहारी द्वारा पाठ सुनकर राजी सेठ भावविभोर हो गईं। मन का मुहल्ला की सम्पादक ज्योति स्पर्स ने बताया की इस ऑनलाइन कार्यक्रम में साहित्य से जुड़ी देश की कई जानेमाने साहित्यकारों ने भाग लिया। उन्होने कहा अधिकारों को लेकर महिलाओं को जागरूक होना होगा। इसके लिए जरूरी है कि वह अपने उत्थान व स्वावलंबी बनने की राह खुद चुनें। महिलाओं को सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए। ज्योति स्पर्स ने कहा सशक्त महिला से ही सशक्त समाज का निर्माण हो सकता है। सफल पुरुष के पीछे एक सफल नारी का हाथ है। महिलाओं को आगे बढ़कर समाज और गांव, देश में विकास की भागीदारी निभानी चाहिए। कार्यक्रम में बारह कहानियों का पाठ हुआ। नैना जोगिन (फणीश्वरनाथ रेणु), खाली लिफाफा (राजी सेठ), रसपिरिया पर बज्जर गिरे (पंकज मित्र), लौट आना ली (कविता), पंच परमेश्वरी प्रेमरंजन अनिमेष), बिसात (राकेश बिहारी), नक्शा और इबारत (वंदना राग), झूलनी का रंग साँचा (राकेश दूबे), यही ठइयाँ नथुनी हेरानी (आशुतोष), निर्वसन (रश्मि शर्मा), वाइन कलर (सिनीवाली), शव यात्रा (निवेदिता) पाठ करने वालों में भारती दीक्षित एवं सुनील शर्मा भी रहे। जिसे हजारों लोगों ने देखकर भरी-भूरी प्रशंसा की।