औरों से अलग है अंदाज … गाजियाबाद के जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह ने पहले दिन ही बता दिया कैसा होगा प्रशासन का कामकाज

नवनियुक्त जिलाधिकारी बोले पहले में गाजियाबाद का निवासी हूं और बाद में हूं जिलाधिकारी। नवागत डीएम ने जता दिया कि शहर और शहरवासियों की भलाई के लिए वह किस तरह से काम करेंगे।

विजय मिश्रा (उदय भूमि ब्यूरो)
गाजियाबाद। कहावत है कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। ठीक इसी तरह किसी अधिकारी का कामकाज कैसा होगा, इसका आंकलन भी कमोबेश शुरुआत में ही हो जाता है। आईएएस इंद्र विक्रम सिंह ने बृहस्पतिवार को गाजियाबाद के जिलाधिकारी का चार्ज संभाल लिया। कलेक्ट्रेट का निरीक्षण किया और अधिकारियों के साथ संक्षिप्त बैठक की। लेकिन, उनके कार्यशैली की चर्चा अभी से होने लगी है। दरअसल इंद्र विक्रम सिंह की छवि लकीर के फकीर और परंपरागत ढंग से काम करने वाले अधिकारी की नहीं बल्कि व्यवहारिकता के अनुसार धरातल पर परिणाम दिखाने वाले अधिकारी की है। इंद्र विक्रम सिंह पूर्व में भी गाजियाबाद में तैनात रहे हैं, लेकिन सबसे अधिक चर्चा अलीगढ़ के जिलाधिकारी के रूप में उनके कामकाज को लेकर हो रही है। लेस मात्र का अहंकार नहीं और हर किसी की बात को इत्मिनान से सुनकर उसकी समस्या का निदान कराने की कार्यशैली इन्हें उत्तर प्रदेश के अन्य प्रशासनिक अधिकारियों से अलग कतार में खड़ा करता है। गाजियाबाद के जिलाधिकारी का चार्ज संभालने के बाद मीडियाकर्मियों से बातचीत में भी उनकी यही शैली दिखी। शहर की समस्याओं और जिलाधिकारी के रूप में प्राथमिकता को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में इंद्र विक्रम सिंह ने कहा कि मैं पहले गाजियाबाद का निवासी हूं और फिर बाद में यहां का जिलाधिकारी। इस एक जवाब से ही नवागत डीएम ने जता दिया कि शहर और शहरवासियों की भलाई के लिए वह किस तरह से काम करेंगे।

उदय भूमि संवाददाता द्वारा गाजियाबाद में व्याप्त प्रदूषण की समस्या को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में जिलाधिकारी ने कहा कि समस्या है और अच्छी बात यह है कि पहले के मुकाबले अब प्रदूषण में कमी आई है। इस समस्या को व्यावहारिकता के साथ कैसे खत्म किया जाये। इसको लेकर काम करूंगा। प्रदूषण के कई कारक हैं। जागरूकता, जनसहभागिता और नियमों का सख्ती से पालन कराकर इसे कम किया जाएगा। लेकिन सभी काम प्रैक्टिकल अप्रोच के साथ किया जाएगा। मीडियाकर्मियों द्वारा पूछे गये एक अन्य सवाल के जवाब में धनिया और पनीर का नाम उदाहरण के रूप में लिया। उन्होंने कहा कि आप धनिया और पनीर शब्द पर मत जाइये। इन शब्दों के भावार्थ को समझिये। दरअसल जिलाधिकारी का कहना था कि सिर्फ नियम से या लकीर के फकीर की तरह काम नहीं किया जा सकता। शासन की लोक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों को मिले। प्रशासनिक अधिकारियों को आम जनता अपना हितैषी और पैरोकार समझे, इस तरह से अधिकारियों को काम करना चाहिये।

इंद्र विक्रम सिंह ने कहा कि हमेशा सकारात्मक भाव से काम करना चाहिये। मैं अच्छा काम करूंगा इसका यह कतई मतलब नहीं है कि मेरे पिछले अधिकारियों ने खराब काम किया है। उन्होंने कहा कि पुराने अधिकारियों और शासन की पुरानी जिन योजनाओं पर काम चल रहा है उसे पूरा किया जाएगा। नये कामों को भी शुरू किया जाएगा। 2010 बैच के आईएएस अधिकारी इंद्र विक्रम सिंह गाजियाबाद से पूर्व अलीगढ़ में जिलाधिकारी थे। पीसीएस की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद पहली पोस्टिंग अलीगढ़ में मिली। अलीगढ़ में अतरौली और इगलास तहसील के एसडीएम के पद पर कार्य किया। इसके बाद उन्हें वर्ष 2008 में अलीगढ़ में ही एडीएम राजस्व के पद पर तैनाती मिली। पूर्व में गाजियाबाद में एडीएम के पद पर तैनात रहे हैं। मिलनसार और फरियादियों के लिए हमेशा दरवाजा खुला रखने वाले प्रशासनिक अधिकारी के रूप में इनकी पहचान है।