यूपी की सबसे बड़ी विधान सभा सीट पर दिल्ली से लखनऊ तक की नजर, साहिबाबाद में रोचक मुकाबले की उम्मीद

गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े विधान सभा क्षेत्र साहिबाबाद में चुनावी सरगर्मी शबाव पर है। साहिबाबाद सीट के परिणाम पर दिल्ली से लखनऊ तक की नजर है। इस सीट पर विधान सभा का तीसरा चुनाव होने जा रहा है। अब तक बसपा और भाजपा एक-एक बार कामयाब रही हैं। अबकी बार भाजपा और सपा-रालोद गठबंधन के बीच दिलचस्प मुकाबला होने की संभावना जाहिर की जा रही है। मौजूदा विधायक सुनील शर्मा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। जबकि पूर्व विधायक एवं सपा-रालोद गठबंधन के उम्मीदवार अमरपाल शर्मा को भी नए राजनीतिक मुकाम की तलाश है। साहिबाबाद विधान सभा क्षेत्र को उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा विधान सभा क्षेत्र होने का दर्जा प्राप्त है। इसका मुख्य कारण खोड़ा कॉलोनी है।

2012 में विधान सभा का पहला चुनाव
जनपद गौतमबुद्धनगर और गाजियाबाद के मध्य आबाद खोड़ा कॉलोनी की आबादी और मतदाता काफी अधिक हैं। इस कारण साहिबाबाद सीट में मतदाताओं की संख्या भी बहुत ज्यादा है। 2012 में पहली बार साहिबाबाद सीट पर विधान सभा का चुनाव कराया गया था। 2012 के चुनाव में बसपा प्रत्याशी अमरपाल शर्मा ने भाजपा प्रत्याशी सुनील शर्मा को पराजित कर दिया था। इसके बाद 2017 के चुनाव में सुनील शर्मा ने अमरपाल शर्मा को हराकर हिसाब-किताब बराबर कर दिया था। 2017 में अमरपाल बसपा की बजाए कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे थे। इस बार वह सपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशी बनकर चुनाव मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं। वैसे देखा जाए तो साहिबाबाद सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा-रालोद गठबंधन के मध्य होने की प्रबल संभावना है। प्रत्याशियों की मुश्किलें भी कम नहीं
प्रत्याशी सुनील शर्मा और अमरपाल शर्मा की अपनी-अपनी मुश्किलें भी कम नहीं हैं। भाजपा से सुनील शर्मा को टिकट मिलने का विभिन्न संगठन विरोध कर चुके हैं। खासकर वैश्य समाज और पूर्वांचल एवं बिहार के प्रवासी मतदाता भाजपा के निर्णय से संतुष्ट नहीं हैं। वैश्य समाज की तरफ से शिक्षाविद डॉ. सपना बंसल को उम्मीदवार भी चुन लिया गया है। डॉ. बंसल के मैदान में आने से भाजपा की मुश्किलें बढ़ना तय हैं। दूसरी तरफ सपा-रालोद गठबंधन के उम्मीदवार अमरपाल शर्मा पर दागी और बागी होने का ठप्पा है। पिछले कुछ साल में वह 2 राजनीतिक दल बदल कर तीसरे दल के साथ जुड़े हैं। यानि प्रत्येक चुनाव में अमरपाल की विचारधारा बदल जाती है। इसके अलावा उनके विरूद्ध पुलिस में आधा दर्जन से ज्यादा केस दर्ज हैं।

10 मार्च को साफ होगी तस्वीर
एक चर्चित मामला भाजपा नेता गजेंद्र भाटी हत्याकांड से जुड़ा है। इस हत्याकांड में अमरपाल शर्मा को षडयंत्रकर्ता बताया जाता है। एफआईआर दर्ज होने के बाद उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। अलबत्ता साहिबाबाद सीट पर मतदाताओं का प्यार और सपोर्ट किस उम्मीदवार को मिलेगा, इसका पता आगामी 10 मार्च को चलेगा। फिलहाल दिन-प्रतिदिन माहौल और चर्चाएं अलग हो रही हैं। सुनील शर्मा और अमरपाल शर्मा के साथ एक कॉमन बात यह भी है कि दोनों का अपना व्यक्तिगत वोट बैंक भी है। जिसके सहारे वह चुनाव नाव को किनारे लगाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं।

2008 में मिला निर्वाचन क्षेत्र का दर्जा
साहिबाबाद को विधान सभा क्षेत्र बनाने की मंजूरी 2008 में मिली थी। इस निर्वाचन क्षेत्र की पहचान संख्या-55 है। 2012 में साहिबाबाद सीट पर विधान सभा का पहला चुनाव कराया गया था। दिल्ली से सटा होने के कारण यह क्षेत्र राजनीतिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस क्षेत्र में वसुंधरा, वैशाली, कौशाम्बी व इंदिरापुरम जैसी पॉश कॉलोनियां भी आती हैं। जहां काफी शिक्षित व्यक्ति रहते हैं। देश की कई नामचीन हस्तियां भी इस क्षेत्र में रह रही हैं।

साहिबाबाद विधान सभा क्षेत्र पर एक नजर

2012 में बसपा उम्मीदवार अमरपाल शर्मा विजयी
2017 में भाजपा उम्मीदवार सुनील कुमार शर्मा विजेता
2017 में सुनील कुमार शर्मा ने डेढ़ लाख से ज्यादा के अंतर से जीत दर्ज की
वर्तमान में दस लाख से ज्यादा मतदाता
2012 में साहिबाबाद सीट पर बसपा का वोट शेयर 36.6 प्रतिशत
2012 में साहिबाबाद सीट पर भाजपा का वोट शेयर 29.97 प्रतिशत
2012 में साहिबाबाद सीट पर कांग्रेस का वोट शेयर 15.34 प्रतिशत
2017 में साहिबाबाद सीट पर भाजपा का वोट शेयर 62.41 प्रतिशत
2017 में साहिबाबाद सीट पर कांग्रेस का वोट शेयर 26.05 प्रतिशत
2017 में साहिबाबाद सीट पर बसपा का वोट शेयर 09.85 प्रतिशत