ब्राह्मण सेवक तरुण मिश्रा ने काली मन्दिर (कालीघाट) में की पूजा

-ब्राह्मण समाज के उत्थान को लेकर पहुंचे कोलकाता

कोलकाता। ब्राह्मण समाज के उत्थान को लेकर सोमवार को ब्राह्मण सेवक तरुण मिश्रा ने प्रसिद्ध काली मन्दिर
(कालीघाट) में पहुंचकर पूजा अर्चना की। तरुण मिश्रा ने कहा ब्राह्मण समाज का कल्याण हो, इसी उद्देश्य के साथ आज कालीघाट में पूजा-अर्चना की गई। कोलकाता में कई प्राचीन मंदिर स्थित हैं। यहां के मंदिरों में भक्तों की असीम आस्था है। देश ही नहीं विदेश से भी लोग इन मंदिरों में दर्शनार्थ के लिए आते हैं। 51 शक्तिपीठों में से एक कालीघाट मंदिर को भारत का सबसे सिद्ध काली मंदिर कहा जाता है। इस शक्तिपीठ में स्थित प्रतिमा की प्रतिष्ठा कामदेव ब्रह्मचारी ने की थी। इस मंदिर की भक्तों के बीच काफी महत्वता है। हर साल बड़ी संख्या में देवी के भक्त मंदिर में दर्शनों के लिए आते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार कोलकाता के कालीघाट मंदिर में माता सती के दाहिने पैर का अंगूठा गिरा था तब से ही इसे शक्तिपीठ कहा जाने लगा।

गौरतलब है कि शक्तिपीठ वे स्थान हैं जहां माता सती की मृत देह के अंग गिरे थे। ये पवित्र स्थान भारत ही नहीं बांग्लादेश व नेपाल में भी स्थित हैं। कोलकाता में कालीघाट मंदिर का निर्माण सन् 1809 में हुआ था। कोलकाता के कालीघाट मंदिर में देवी काली की प्रचण्ड रूप की प्रतिमा स्थापित है। इस प्रतिमा में देवी काली भगवान शिव की छाती पर पैर रखे नजर आ रही हैं और उनके गले में नरमुंडों की माला है, उनके हाथ में कुछ कुल्हाड़ी और कुछ नरमुंड हैं, कमर में कुछ नरमुंड भी बंधे हुए हैं। उनकी जीभी बाहर निकली हुई है और जीभ से कुछ रक्त की बूंदे टपक रह हैं। गौरतलब है कि प्रतिमा में मां काली की जीभ स्वर्ण से बनी हुई है।

उन्होंने कहा आज के भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग इतने व्यस्त हो गए है कि उनके पास समय ही नही है। जबकि लोगों को अपनी भागदौड़ भरी जिंदगी से कुछ समय निकाल कर धार्मिक स्थलों का भ्रमण करना चाहिए। जिससे मन की शांति के साथ ही भारत की संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा और हमारी आने वाली पीढ़ी भी संस्कारवान बनेगी। आज इसी उद्देश्य के साथ काली मां के दर्शन किए। जिससे ब्राह्मण समाज का कल्याण हो और उनकी कृपा सदैव बनी रहे।