नया साल है कुछ नया सोचने का

(विष्णु देव मिश्र )
मार्गदर्शक एवं
संपादकीय सलाहकार

‘नव गति, नव लय, ताल छंद नव, नवल कंठ नव जलद मंद्र रव। नव नभ के नव विहग वृंद को, नव पर नव स्वर दे।।’ महाप्राण सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की पंक्तियों की तरह ही हमें नये साल में अपने जीवन में नई सोच, नई उमंग और नए उत्साह के साथ कुछ नया करने का प्रयास करना चाहिये। नये साल का मौका बहुत से नये संकल्पों का भी रहता है। संकल्प दो प्रकार के होते हैं, पहला जिसमें पूरी सिद्दत के साथ संकल्प को पूरा करने का प्रयास किया जाये, दूसरा जितने वक्त तक संकल्प को ढोया जा सके, ढो लिया जाए, और बाद में उन्हें सहूलियत के साथ भुला दिया जाए। लेकिन जिन लोगों के संकल्प पहले प्रकार के होते हैं, वही लोग कामयाब होते हैं। नया साल निजी अच्छी और बुरी आदतों को पकड़ने और छोड़ने से परे एक सरोकार की सोच का भी रहना चाहिए, जिसमें हम उन लोगों के बारे में सोचें जिनसे हमारी जिंदगी अपरोक्ष रूप से जुड़ी हुई है। नए साल का मौका यह तय करने का भी हो सकता है कि लोग अपने-अपने दायरे में किस तरह एक दूसरे की मदद कर सकते हैं। देश, समाज और परिवार के लिए कुछ सार्थक कार्य कर सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण हमें नकारात्मकता का त्याग कर सकारात्मकता को अपनाना होगा। हमें यह हमेशा याद रखना चाहिये कि एक अकेले इंसान की शुरू की हुई एक पहल, उसका रोपा गया एक पौधा किस तरह इतिहास का सबसे बड़ा बरगद बन सकता है। एक पहल, एक नई शुरूआत ही किसी महान कार्य की जननी है। नेक काम शुरूआत में कुछ महत्वहीन से दिखते हैं, चर्चा से परे रहते हैं, लेकिन जब वे पनपते हैं, तो दूर-दूर तक उनकी हरियाली का खूबसूरत नजारा दिखता है, और खूब सारे लोगों को उनकी छांह मिलती है, उसके फल मिलते हैं। तो आईये हम सब कुछ नया करने की सोच के साथ साल 2023 का स्वागत करें।
जय हिंद