रिश्वतखोरी के मामले में सरकारी कर्मचारी को मरने के 21 महीने बाद कोर्ट ने किया बरी, एक हजार की रिश्वत का 18 साल तक चला केस

नई दिल्ली। सिर्फ एक हजार रुपए की रिश्वत की तोहमत के खिलाफ वन विभाग के कर्मचारी को लम्बे समय तक संघर्ष करना पड़ा। करीब 18 साल बाद कोर्ट ने कर्मचारी को निर्दोष भी साबित कर दिया, मगर न्याय मिलने से 21 माह पहले वह दुनिया से चल बसा। खुद को ईमानदार साबित करने की कर्मचारी की ख्वाहिश जीते जी पूरी नहीं हो सकी। कर्मचारी की मौत के बाद कोर्ट का फैसला आने पर चर्चाओं का बाजार गरम है। देश में न्याय मिलने की लंबी प्रक्रिया का यह ताजा उदाहरण है।

छत्तीसगढ़ राज्य में अपनी तरह का यह अनूठा मामला प्रकाश में आया है। बताया गया है कि यह मामला छत्तीसगढ़ के जनपद दुर्ग निवासी शिव प्रसाद से जुड़ा था। वर्ष-1999 में शिव प्रसाद दुर्ग जिले में फॉरेस्ट बिड गार्ड के पद पर तैनात थे। एक रोज लकड़ी चोरी होने की सूचना मिलने पर वह मौके पर जांच-पड़ताल करने पहुंचे। मौके से उन्होंने लकड़ी का स्टॉक भी जब्त कर लिया। बाद में आरोपी ने शिव प्रसाद के खिलाफ एक हजार रुपए रिश्वत मांगने की शिकायत की। विशेष कोर्ट में इस केस की सुनवाई हुई। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत शिव प्रसाद को सजा सुना दी गई।

स्पेशल कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ शिव प्रसाद ने वर्ष-2003 में हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट में इस प्रकरण की सुनवाई चलती रही। इस दरम्यान याचिकाकर्ता और उसका परिवार विभिन्न मुश्किलों का सामना करना पड़ा।  दिसंबर-2019 में याचिका कर्ता शिव प्रसाद की मौत हो गई थी। अब 2021 में कोर्ट ने शिव प्रसाद को सभी आरोपों से बरी कर दिया है। देर-सवेर शिव प्रसाद को न्याय तो मिल गया, मगर इसकी खुशी महसूस करने के लिए वह अब दुनिया में नहीं हैं।