पंचतत्व में विलीन हुए पं. शिवकुमार पारीक, जयपुर में हुआ अंतिम संस्कार

जयपुर। पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के निजी सचिव एवं अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं. शिवकुमार पारिक रविवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। जयपुर में पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक संगठनों के दिग्गज उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे। उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पं. पारीक के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं. शिवकुमार पारिक का शनिवार को देश की राजधानी दिल्ली में निधन हो गया था। वह 83 साल के थे। पं. पारीक का अंतिम संस्कार रविवार को जयपुर के चांदपोल में किया गया। उनके अंतिम संस्कार के मौके पर राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक जगत की कई नामचीन हस्तियां पहुंची। पं. शिवकुमार पारीक जाना-पहचाना नाम थे। उनके निधन से भाजपा एवं अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा मेंं शोक की लहर है। ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री तरूण मिश्र भी पं. पारीक के अंतिम संस्कार के अवसर पर मौजूद रहे। दिग्विजय दीक्षित राष्ट्रीय अध्यक्ष (महिला), डॉ सतीश शर्मा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, विशन कौशिक राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन), हरिओम शर्मा मंत्री (अनुशासन), देवेंद्र भारद्वाज मंत्री प्रचार, पीताम्बर शर्मा उतर प्रदेश अध्यक्ष, मांगे राम शर्मा नगर अध्यक्ष दादरी समेत हजारों विभिन्न संगठन के लोगों ने जयपुर में पहुंच कर उनके निधन पर गहरा दुख जताया। उन्होंने कहा कि पं. पारीक का असमय जाना संगठन के लिए भी बड़ी क्षति है। पं. शिवकुमार पारीक लंबे समय तक अटल बिहारी वाजपेयी के बेहद विश्वस्त रहे थे। शिव कुमार पारिक का परिवार जयपुर का मूल निवासी है। पारीक के निधन पर कई पार्टियों ने नेताओं ने शोक जताया है। पारीक के दो पुत्र महेश और दिनेश हैं।

अटल बिहारी वाजपेयी की अंतिम समय तक की थी सेवा
उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी की अंतिम समय तक सेवा की थी। पं. शिवकुमार निजी सहायक के तौर पर अटल जी के साथ काम करते थे। जब अटल जी दिल्ली में रहते थे तो पं. शिवकुमार लखनऊ स्थित उनके संसदीय क्षेत्र के काम-काज को संभालते थे। कई अवसर पर अटल बिहारी वाजपेयी ने शिवकुमार पारीक के घरेलू कार्यक्रमों में भी शिरकत की थी।काफी समय तक शिवकुमार पारीक आरएसएस से जुड़े रहे। चित्रकूट के नानाजी देशमुख ने अटल जी को शिवकुमार पारीक का नाम सुझाया था। वह जयपुर के रहने वाले थे। एक बार उन्होंने अटल जी के साथ काम करना शुरू किया तो अंतिम समय तक उनकी सेवा की। शिवकुमार जी को अटल जी का हनुमान कहा जाता था।
उन्होंने अटल जी के राजनीतिक उत्थान को भी काफी करीब से देखा था। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पं. शिवकुमार पारीक जी के निधन से दुखी हूं। पार्टी की विचारधारा को एक साथ और मजबूती से लाना उनका लक्ष्य रहा है। उन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र के निर्माण को समर्पित किया और अटल जी के साथ मिलकर काम किया।

जयपुर में अटल बिहारी वाजपेयी के दत्तक पुत्र के नाम से थी पहचान
शिव कुमार पारीक को राजधानी जयपुर के लोग अटल बिहारी वाजपेयी के दत्तक पुत्र के नाम से भी जानते हैं। अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन में पारिक जी का अहम रोल था। लोकसभा चुनाव में राजनाथ सिंह लखनऊ से उम्मीदवार थे। लखनऊ अटल बिहारी वाजपेयी की परम्परागत सीट थी। राजनाथ को अच्छी तरह पता था कि जीतना है तो मतदाताओं को यह भी संदेश देना जरूरी है कि वाजपेयी का आशीर्वाद उनके सिर पर है। बीमार होने के कारण अटल जी लखनऊ नही जा सकते थे तो उन्होंने शिव कुमार पारीक को राजनाथ के साथ लखनऊ भेजा था। जहां राजनाथी सिंह ने पारीक जी को साथ लेकर प्रेसवार्ता भी की और जिसके बाद चुनाव आसानी से निकल गया।

अटल-शिवकुमार के ‘अटल रिश्ते की कहानी
अटल बिहारी वाजपेयी जी ने अपना पहला लोकसभा चुनाव 1955 में लड़ा था। जहां उनकी हार हुई थी। दो साल बाद 1957 में वो पहली बार लोकसभा चुनाव में जीत कर संसद में कदम रखा। फिर अटल जी की ख्याति दिनों दिन बढऩे लगी, कुछ ही दिनों में अपनी वाकपटुता से वो देश की राजनीति के उभरते सितारे बन चुके थे। तभी जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई, उनकी मौत से अटल जी स्तब्ध थे। जिसके बाद लोगों को अटल की सुरक्षा को लेकर चिंता हुई। किसी ने सुझाव दिया कि वाजपेयी को एक ऐसे सहयोगी की जरूरत है, जो उनकी रक्षा भी करे। काफी तलाश के बाद चित्रकूट के नानाजी देशमुख ने राजस्थान के जयपुर के निवासी शिवकुमार का नाम सुझाया। यह शिवकुमार का अटल बिहारी वाजपेयी से जुडऩा किसी इत्तेफाक से कम नही था। पहले शिवकुमार आरएसएस के हार्डकोर स्वयंसेवक थे। लंबी कद-काठी, गठीले शरीर और बड़ी रौबदार मूंछो के कारण वह और लोगों से अलग दिखाई देते थे।