ठेकेदार का फर्जीवाड़ा, ब्लैकलिस्ट हुई फर्म

यमुना प्राधिकरण के डीजीएम एके सिंह ने ठेकेदार के फर्जीवाड़े को पकड़ लिया और फर्म के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। ठेकेदारों के खिलाफ हुई इस कार्रवाई की जानकारी गाजियाबाद नगर निगम सहित अन्य सरकारी विभागों को भी भेज दी गई है। ऐसे में ठेकेदार अब निर्धारित अवधि तक अन्य सरकारी विभागों में भी काम नहीं कर सकेगा। 

उदय भूमि ब्यूरो
ग्रेटर नोएडा। ठेकेदारों के फर्जीवाड़े को रोकने को लेकर शासन से सख्त निर्देश हैं। ऐसे में अब विभागीय अधिकारियों ने भी सख्ती दिखानी शुरू कर दी है। ऐसे ठेकेदारों पर शिकंजा कसा जा रहा है, जो फर्जी दस्तावेज लगाकर काम हासिल कर लेते हैं और दस्तावेज सहित अन्य रिपोर्ट फर्जी लगाते हैं। पकड़े जाने पर ऐसे ठेकेदारों की फर्म को तत्काल ब्लैक लिस्ट की श्रेणी में डाल दिया जा रहा है।

यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण और ग्रेटर नोएडा औद्योगिक प्राधिकरण ने अलग-अलग मामलों में 2 ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई की है। ग्रेटर नोएडा के सेक्टर-2 व नॉलेज पार्क -5 में विकास कार्यों का ठेका लेने के बाद तय समय पर काम न पूरा करने पर ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है। अब वह 2 साल तक ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में काम नहीं कर सकेगा।

वहीं, यमुना प्राधिकरण में विकास कार्य कराने का ठेका लेने के लिए एक फर्म ने अनुभव प्रमाण पत्र गलत लगाया। यमुना प्राधिकरण के डीजीएम एके सिंह ने ठेकेदार के इस फर्जीवाड़े को पकड़ लिया और फर्म के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। ठेकेदारों के खिलाफ हुई इस कार्रवाई की जानकारी गाजियाबाद नगर निगम सहित अन्य सरकारी विभागों को भी भेज दी गई है। ऐसे में ठेकेदार अब निर्धारित अवधि तक अन्य सरकारी विभागों में भी काम नहीं कर सकेगा।

ग्रेटर नोएडा का सेक्टर-2 रिहायशी सेक्टर है। इन दोनों सेक्टरों में लोग प्लॉट पर कब्जा ले चुके हैं। प्राधिकरण ने सेक्टर के आंतरिक विकास कार्यों के लिए 2016 में टेंडर जारी किया था। इन सेक्टरों में लगभग 4.36 करोड़ रुपये का काम होना था। सर्वांगिक इंफ्रा प्रा.लि. को बिड के जरिए इन कार्यों का कॉन्ट्रैक्ट मिला। ठेकेदार को एक साल में काम पूरा करना था, लेकिन वहां अभी तक काम अधूरा है। इसी तरह सर्वांगिक इंफ्रा को ही 2015 में नॉलेज पार्क- फाइव में 12 मीटर, 24 मीटर व 60 मीटर रोड और ड्रेन का निर्माण करने का ठेका मिला था।

इन सड़कों को बनाने में करीब 4.37 करोड़ रुपये खर्च होने थे। एक वर्ष से अधिक बीत जाने के बाद यहां भी काम पूरा नहीं हो सका है। इस बीच प्राधिकरण की तरफ से कई बार ठेकेदार को मौखिक व लिखित चेतावनी भी दी गई। लेकिन ठेकेदार पर इन चेतावनी का कोई असर नहीं पड़ा। जिसके बाद मुख्य महाप्रबंधक (परियोजना) ए.के. अरोड़ा ने ठेकेदार की फर्म को 2 साल के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया। प्राधिकरण बचे हुए कार्यों के लिए नए सिरे से टेंडर जारी करेगा। देरी होने के कारण शेष कार्यों को पूरा कराने में जो भी अतिरिक्त खर्च आएगा, प्राधिकरण उसकी भरपाई भी ब्लैक लिस्ट की गई फर्म सर्वांगिक इंफ्रा प्रा.लि. से ही करेगा।
उधर, यमुना प्राधिकरण ने जगनपुर अफजलपुर में विकास कार्य कराने के लिए ई टेंडर निकाले थे। इसमें तीन कंपनियों ने आवेदन किये थे। इसमें एक कंपनी मैसर्स सचिन भाटिया एंड कंपनी शामिल थी। इस कंपनी ने बुलंदशहर के पीडब्ल्यूडी विभाग के अनुभव प्रमाण पत्र लगाए थे। यमुना प्राधिकरण ने इन अनुभव प्रमाण पत्रों की जांच कराई। जांच में बुलंदशहर के पीडब्ल्यूडी विभाग ने बताया कि उनके यहां से इस तरह का कोई अनुभव प्रमाण पत्र जारी ही नहीं किया गया है।

इसके बाद प्राधिकरण ने फर्म पर कार्रवाई की है। परियोजना विभाग के उप महाप्रबंधक एके सिंह ने इस फर्म को डीबार कर दिया है। अब यह फर्म प्राधिकरण में काम नहीं कर पाएगी। एके सिंह को कड़क अधिकारियों में गिना जाता है और गलत काम करने वाले ठेकेदारों के साथ वह सख्ती से पेश आते हैं। प्राधिकरण द्वारा ब्लैक लिस्ट की कार्रवाई किए जाने के बाद से ठेकेदारों में हड़कंप मचा है।