प्राधिकरण में हुआ भ्रष्टाचार का बड़ा खेला : सपा सरकार में अधिकारियों और नेताओं के कॉकटेल ने बिजलीघर बनाने के नाम पर किया 177 करोड़ का घोटाला

विजय मिश्रा
उदय भूमि ब्यूरो
ग्रेटर नोएडा। सपा सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार के एक बड़े खेल से भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने पर्दा उठाया है। सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक बड़े ही संगठित तरीके से भ्रष्टाचार का खेल खेला गया। क्षेत्र की बिजली आपूर्ति व्यवस्था सुधारने के नाम पर किए गए इस खेल में सरकारी कंपनी के साथ निजी कंपनी की सांठ-गांठ की और प्राधिकरण व प्रशासनिक अधिकारियों का नापाक गठजोड़ हुआ। सभी ने मिलकर सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाया। यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के जहांगीरपुर में 765 केवी के विद्युत सब-स्टेशन बनाने के नाम पर लगभग 177 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ। घोटाले से संबंधित रिपोर्ट यूपी विधान सभा के पटल पर रखी जा चुकी है और अब इसमें आगे की कार्रवाई होगी।

इस घोटाले में कई अधिकारियों और नेताओं के नाम सामने आ सकते हैं। घोटाला उजागर होने के बाद से उस समय तैनात रहे कई अधिकारियों के चेहरे की हवाइयां उड़ी हुई है। जिस तरह से योगी सरकार द्वारा भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्त रूख अपनाया जा रहा है। ऐसे में यह लग रहा है कि इस मामले में भी बड़ी कार्रवाई होगी। सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक जहांगीरपुर में 765 केवीए विद्युत सब-स्टेशन के निर्माण के लिए जरूरत से ज्यादा जमीन खरीद ली गई। यही नहीं जितनी जमीन का मुआवजा दिया गया, उतनी जमीन मौके पर उपलब्ध ही नहीं है। विद्युत सब-स्टेशन के लिए 3,46,423 वर्ग मीटर जमीन की जरूरत थी। जबकि प्राधिकरण ने 5,43,650 वर्ग मीटर जमीन खरीद डाली। इसमें 98 करोड़ रुपये अधिक खर्च किए गए। सीएजी रिपोर्ट बताती है कि यह परियोजना पीपीपी मॉडल पर आधारित थी।

यूपीपीसीएल ने यह काम डब्ल्यूयूपीपीटीसीएल को दिया। डब्ल्यूयूपीपीटीसीएल एक निजी कंपनी बनाई गई। निजी कंपनी होने के बावजूद इस कंपनी को तय दर से कम रेट पर जमीन का आवंटन किया गया। पहले जमीन का आवंटन 2560 रुपये में किया गया। उस समय प्राधिकरण की आवंटन दर 4100 रुपये प्रति वर्ग मीटर थी। बाद में 2870 रुपये की दर से आवंटन हुआ। इस समय आवंटन के समय दर 4850 रुपये प्रति वर्ग मीटर थी। यह छूट गलत तरीके से दी गई। सीएजी की रिपोर्ट बताती है कि इससे प्राधिकरण को करीब 65 करोड़ का नुकसान हुआ। इसके साथ ही करीब 14 करोड़ के लीज रेंट की भी चपत लगी। रिपोर्ट के मुताबिक 25 हेक्टेयर जमीन विद्युत सब-स्टेशन के अंदर है। 13 हेक्टेयर जमीन ऐसी है, जिसका कुछ हिस्सा विद्युत सब-स्टेशन के अंदर आता है।

14 हेक्टेयर जमीन विद्युत सब-स्टेशन के बिल्कुल बाहर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ जमीन का सीएजी भौतिक सत्यपान नहीं कर पाई है। 7 प्रतिशत जो जमीन किसानों को आबादी के लिए दी जानी थी, वह नहीं दी गई। बल्कि उसके बदले पैसा दिया गया। ऐसा एक सोची समझी रणनीति के तहत किया गया। क्योंकि यह जमीन पहले नेता व अफसरों ने किसानों से बेहद कम कीमत पर खरीदी और बाद में जमीन को प्राधिकरण के अफसरों से सांठ-गांठ कर प्राधिकरण को बैनामा के जरिए बेच डाली।

बेलाना गांव में भी इसी तरह का घोटाला
इसके अलावा जहांगीरपुर की तरह ही बेलाना गांव में भी इस तरह का घोटाला सामने आया है। बेलाना गांव में मास्टर प्लान से बाहर जाकर अधिकारी और नेताओं ने जमीन खरीदी। इसके बाद यमुना प्राधिकरण को बेच दी गई, जिसमें प्राधिकरण को हजारों करोड़ रुपए का चूना लगाया गया। इस मामले की भी जांच की गई। मथुरा में भी मास्टर प्लान से बाहर जमीन खरीदी गई। इसमें 126 करोड़ का चूना लगाया गया। इसमें पूर्व सीईओ समेत दर्जनभर लोग जेल गए थे।

रिपोर्ट नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत की तरफ कर रही है इशारा
विद्युत सब-स्टेशन निर्माण के लिए खरीदी गई जमीन के घोटाले में सीएजी ने कई बिंदुओं पर विस्तार से रिपोर्ट दी है। यह घोटाला समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान हुआ और इसमें यमुना प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारियों की महती भूमिका रही। नेताओं और अधिकारियों के करीबियों ने पहले जमीन औने-पौने दाम पर खरीदी और फिर इसमें मनमाना लाभ कमाया। सीएजी की रिपोर्ट में 176.73 करोड़ रुपए के घोटाले की बात सामने आई है। सीएजी की इस रिपोर्ट को बुधवार को यूपी विधानसभा में पटल पर रखा गया। घोटाले को जांच और आगे की कार्रवाई के लिए विधानसभा की समिति के सामने सरकार की ओर से इसे भेजा जाएगा।