जल्दी करें, ग्रेनो में महंगा हो जाएगा आशियाना बनाना

नए वित्त वर्ष में भूमि के रेट बढ़ाने की तैयारी

ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने नए वित्त वर्ष में भूमि के दाम बढ़ाने के लिए कवायद आरंभ कर दी है। यानि अगले वित्त वर्ष में ग्रेटर नोएडा में भूमि और महंगी हो जाएगी। अगली बोर्ड बैठक में इस बावत प्रस्ताव रखा जा सकता है। भूमि महंगी होने के बाद ग्रेटर नोएडा में आशियाने बनाने का सपना भी महंगा हो जाएगा। जानकारी के अनुसार ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में उप्र शासन ने चेयरमैन की नियुक्ति कर दी है। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संजीव मित्तल ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के चेयरमैन बनाए गए हैं। चेयरमैन की नियुक्ति के बाद प्राधिकरण ने बोर्ड बैठक की तैयारी आरंभ कर दी है। बोर्ड बैठक में खासकर अगले वित्त वर्ष 2021-22 का बजट प्रस्तुत किया जाएगा। इसके अलावा कुछ और महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखे जाने की तैयारी है। बताया जाता है कि प्राधिकरण भूमि के रेट बढ़ाने को उतावला है। इसके लिए प्रस्ताव तैयार हो रहा है। यह प्रस्ताव आगामी बोर्ड बैठक में रखा जाएगा। प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद लागू कर दिया जाएगा। प्रस्ताव पास होने के बाद ग्रेटर नोएडा में आशियाना बनाने का सपना और महंगा हो जाएगा। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण बोर्ड बैठक की तैयारियों में जुट गया है। बोर्ड बैठक के लिए प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया जा रहा है। नोएडा और यमुना प्राधिकरण भी भूमि के रेट बढ़ाने की तैयारी में हैं। तीनों प्राधिकरण में जल्द बोर्ड बैठक होगी। इस बैठक में इन प्रस्तावों को रखा जाएगा। प्रस्ताव पर मंजूरी मिलने के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा।

बढ़ता खर्च, दरें बढ़ाना जरूरी
ग्रेटर नोएडा में पिछले साल अप्रैल से सभी आवासीय, औद्योगिक व संस्थागत सेक्टरों को उनकी लोकेशन व सुविधाओं के हिसाब से अलग-अलग श्रेणी में रखा गया था। मसलन सेक्टर में बसावट, विकास कार्य, मेट्रो व परिवहन की कनेक्टीविटी, स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल आदि की सुविधा को ध्यान में रखा गया है, जिस सेक्टर में जितनी सुविधाएं हैं, उसे ए, बी, सी व डी श्रेणी में रखकर रेट तय किया गया है। अब इन सेक्टरों की श्रेणी के हिसाब से आवंटन दरों में वृद्धि करने की तैयारी है। अप्रैल के प्रथम सप्ताह में बोर्ड बैठक प्रस्तावित है। उसमें मुहर लगने के बाद बढ़ी दरें लागू होंगी। रेट बढ़ाने के पीछे प्राधिकरण का तर्क है कि प्रदेश सरकार ने बिजली से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने की जिम्मेदारी प्राधिकरण को दी है। अगले दस साल में बिजली की जरूरत को ध्यान में रखकर कई बिजलीघर प्लान किए गए हैं, जिन पर नौ सौ करोड़ रुपये से अधिक रकम खर्च होगी। इस रकम को जुटाने के लिए आवंटन दरों में मामूली वृद्धि करना जरूरी है।