मेडिकल डिवाइस पार्क : निवेशकों के लिए सरकार ने दिखाया बड़ा दिल, मिलेंगी अनेक रियायतें

यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में विकसित होना है यूपी का पहला डिवाइस पार्क

ग्रेटर नोएडा। यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) क्षेत्र में प्रस्तावित मेडिकल डिवाइस पार्क में निवेशकों को आमंत्रित करने को उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ा दिल दिखाया है। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में निवेश की इच्छुक कंपनियों के लिए अच्छी खबर है। इन कंपनियों को काफी सहूलियत एवं रियायतें दी जाएंगी। यूपी मंत्रिपरिषद की बैठक में इस संबंध में फैसले को स्वीकृति मिलने से डिवाइस पार्क में विभिन्न कंपनियों की दिलचस्पी पहले से ज्यादा बढ़ना तय है। देशभर में 4 मेडिकल डिवाइस पार्क का निर्माण होना है।

यूपी का पहला डिवाइस पार्क यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में स्थापित होना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में 14 जून को आयोजित कैबिनेट बैठक में मेडिकल डिवाइस पार्क से संबंधित प्रस्ताव को रखा गया था। कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव को स्वीकृति मिल गई। अलबत्ता डिवाइस पार्क में निवेश करने पर कंपनियों को काफी सहूलियत एवं रियायतें प्रदान की जा सकेंगी। इन कंपनियों को पूंजीगत ब्याज सब्सिडी, एसजीएसटी प्रतिपूर्ति, एयर कार्गो हैंडलिंग चार्ज और फ्रेंट इन्सेंटिव, ईपीएफ प्रतिपूर्ति, गुणवत्ता प्रमाणन प्रतिपूर्ति, लैंड लीज दर, शून्य अपशिष्ट प्रोत्साहन, कौशल विकास, पेटेंट फाइलिंग शुल्क प्रतिपूर्ति, उपयोगिता शुल्क और स्टाम्प ड्यूटी में छूट एवं विपणन सहायता प्रदान की जाएगी।

कैबिनेट के इस फैसले से मेडिकल डिवाइस विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा। काफी संख्या में रोजगार सृजन होने के अलावा परोक्ष एवं अपरोक्ष रूप से व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। यमुना प्राधिकरण के सेक्टर-28 में 350 एकड़ में मेडिकल डिवाइस पार्क विकसित किया जाना है। 2 चरण में पार्क का विकास किया जाएगा। पहला चरण 110 एकड़ में विकसित होना है। इसमें 85 भूखंड रखे गए हैं। इस योजना में 3800 करोड़ रुपये का निवेश आने का अनुमान है। प्रत्यक्ष रूप से इसमें 15 हजार नागरिकों को रोजगार मिलेगा।

जबकि अप्रत्यक्ष रूप से 50 हजार से ज्यादा रोजगार के अवसर सृजित होंगे। केंद्र सरकार के सहयोग से इस प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन किया जाना है। मेडिकल डिवाइस पार्क की योजना को 23 मई को लॉन्च कर दिया गया था। पहले चरण में चार हजार वर्ग मीटर तक के 85 भूखंड कंपनियों को आवंटित किए जाएंगे। वहां देश-विदेश की मेडिकल उपकरण निर्माता कंपनियों को भूमि आवंटित की जानी है। इस पार्क में प्रयोगशाला में उपयोग में आने वाले उपकरण, सर्जिकल उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस, रेडियोथैरेपी में प्रयुक्त उपकरण, किडनी संबंधी इलाज में प्रयुक्त उपकरण आदि का निर्माण होगा।

इस योजना में आवेदन करने की अंतिम तिथि 22 जून निर्धारित है। बता दें कि भारतीय दवा उद्योग दुनियाभर में तीसरे नंबर पर है। तमाम दवाओं के कच्चे माल के लिए भारत फिलहाल चीन पर निर्भर है। कुछ दवाओं के कच्चे माल के लिए यह निर्भरता 80 से 100 प्रतिशत तक है। कोरोना काल के समय कच्चे माल का संकट उत्पन्न हो गया था। ऐसे में केंद्र सरकार ने दवाओं व चिकित्सीय उपकरण के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने को मेडिकल डिवाइस पार्क स्थापित करने का फैसला लिया था। देश में चार मेडिकल डिवाइस पार्क बनने हैं।