जानलेवा है डायबिटिज, लक्षणों को ना करें नजरअंदाज

गौरव पांडेय
(लेखक वरिष्ठ स्वस्थ्यविद्, सामाजिक, पर्यावरण एवं धार्मिक कार्यों से जुड़े रहते हैं। यह लेख उदय भूमि में प्रकाशन के लिए लिखा है।) इन विषयों पर अक्सर लिखते रहते है। यह लेख उदय भूमि के लिए लिखा है)

बच्चों, युवाओं, प्रौढ़ एवं वृद्धों सभी आयु वर्ग में मधुमेह अब विश्व में बड़ी समस्या के रूप में उभरी है। भारतीय युवा आबादी में डायबिटीज के काफी रोगी हैं और यह संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। मधुमेह बीमारी में जागरूकता एवं बचाव की सबसे अहम भूमिका है क्योकि मधुमेह का नियंत्रण तो किया जा सकता हैं, पर इसे जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता। डायबिटीज को अगर नियंत्रित ना किया जाये, तो इसका असर किडनी (गुर्दा), आंख, हृदय तथा ब्लड प्रेशर (बीपी) पर पड़ता हैं। डायबिटिज की बीमारी में शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। ऐसा तब होता है, जब शरीर में हार्मोन इन्सुलिन की कमी हो जाती है या इन्सुलिन का शरीर की क्रियाओं के साथ संतुलन बिगड़ जाता है।

लोगों के सवालों का जवाब देते हुए डॉ. अमित छाबड़ा ने कहा कि हम सामान्यत: मधुमेह रोग से बचने के लिए चीनी खाना कम कर देते हैं, किंतु यह सही नहीं है। चीनी से ज्यादा हमें कैलोरी का ध्यान रखना चाहिए, जैसे कि पराठे में चीनी नहीं होती लेकिन उसमें कैलोरी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। ऐसे में वह पराठा यदि किसी को डायबिटीज होने का खतरा बना हुआ है तो उसके लिए घातक सिद्ध हो सकता है। डॉक्टर छाबड़ा ने कहा कि बैलेंस डाइट एवं एक साथ ज्यादा खाना खाने की बजाय 2-3 घंटे के अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा खाना खाना एवं दिनभर की एक उचित समय सारणी बनाएं तथा उसका पालन करें, यह मधुमेह को नियंत्रित रखने के लिए एक अच्छा उपाय है।

डॉक्टर छाबड़ा ने तनाव को डायबिटीज का एक प्रमुख कारण बताया और कहा कि पारिवारिक या कार्य से जुड़ा हुआ या अन्य किसी भी प्रकार का तनाव डायबिटीज करने के लिए एक प्रमुख कारण हो सकता है, इसे कम करने का प्रयास करें एवं पर्याप्त 6-7 घंटे की नींद लें। मॉर्निंग वॉक एवं योग को दिनचर्या में शामिल करें। उन्होंने लोगों से अपील की कि लोग उचित समय अंतराल में ब्लड शुगर की जांच कराएं एवं साल में एक बार 3 महीने की मधुमेह रोग की जानकारी देने वाले टेस्ट भी कराते रहें। डॉ. छाबड़ा ने बताया कि डायबिटीज शुरू होने के कई लक्षण आरंभ में दिखने लगते हैं। जिन्हें हमें इग्नोर नहीं करना चाहिए। इन लक्षणों को व्यक्ति आसानी से शुरूआत में ही पता लगा सकता है और डायबिटीज होने से बच सकता है। यदि व्यक्ति में लगभग 6-7 लक्षण मौजूद हैं तो शुगर पहचानने में देरी न करें।

तुरंत डॉक्टर की सलाह लें और शुगर होने से छुटकारा पायें और स्वस्थ जीवन यापन करें। डायबिटीज के महत्वपूर्ण लक्षणों में व्यक्ति का वजन अचानक घटने लगता है या फिर वजन तेजी से बढ़ने लगता है। बार-बार पेशाब आना डायबिटीज होने का मुख्य लक्षण है। व्यक्ति को तेज भूख लगाना, खाना खाने के तुरंत बाद फिर तेज खाने की इच्छा आदि भूख से संबंधित समस्याएं डायबिटीज के शुरूआती लक्षण है। डायबिटीज के शुरूआती लक्षण प्यास बार-बार लगना से भी पाया गया है। बार-बार फोडे-फुंसी होना या फिर शरीर पर चोट लगने, कटने इत्यादि पर घाव का देर तक बना रहना डायबिटीज के लक्षण हैं। व्यक्ति को शरीर के अंगों हाथों, कन्धे, जोड़ों, गर्दन में झुनझुनहाट महसूस होनी शुरू हो जाती है। इस तरह के शारीरिक लक्षण डायबिटीज के संकेत हैं।

ऐसे में तुरंत चिकित्सक से सलाह लें। आंखों का कमजोर होना, सामने धुंधलापन होना, दूर की नजर साफ नजर नहीं आना, अचानक आंखों में अंधेरा छाना, इस तरह की समस्याएं डायबिटीज के संकेत माने जाते हैं। डायबिटीज के शुरूआती लक्षण में व्यक्ति के शरीर में लगे चोट, ठोकर घाव, चटने पर शीघ्र ठीक नहीं होते। व्यक्ति चोट घाव से लंबे समय तक ग्रस्त रहता है। ठीक होने में ज्यादा वक्त लगता है। डायबिटीज का संकेत कान से भी है। ऐसे में व्यक्ति के कानों के सेल्स डैमेज हो जाते हैं और सुनने में असर पड़ता है। कानों के अंदर झन-झन की हल्की आवाज महसूस होती है। व्यक्ति को बिना वजह कभी कभी सुनाई देता है। जोकि डायबिटीज के संकेत हैं।

डायबिटीज के शुरूआत में व्यक्ति की त्वचा जैसे गर्दन की पिछले भाग, घुटनों पर, कोहनियां, हथेली के पीछे हिस्से आदि पर डार्क पैचेस बढ़ जाते हैं। कालापन साफ दिखने लगता है। व्यक्ति का शुगर लेवल बढ़ने पर त्वचा के इस तरह के लक्षण दिखने लगते हैं। डायबिटीज के लक्षणों को इग्नोर करने पर शरीर में कई तरह की समस्यऐं उत्पन हो जाती है। जो किड़नी, फेफडे, गैस, पाचन को प्रभावित करती है। इसलिए शुगर को इग्नोर न करें और डॉक्टर से सलाह लें। इस तरह के लगभग 6-7 लक्षण यदि व्यक्ति में दिखने शुरू हो जाएं तो ये डायबिटीज होने के संकेत हैं, तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।