राष्ट्रीय परिदृश्य में आम आदमी पार्टी का बढ़ता कद

चुनावी मौसम में आम आदमी पार्टी (आप) एकाएक सुर्खियों में आ गई है। राष्ट्रीय परिदृश्य में आप का बढ़ता कद विरोधियों की पेशानी पर बल डाल रहा है। दिल्ली के इतर विभिन्न राज्यों में आप की सक्रियता निरंतर बढ़ रही है। विरोधियों को यह कतई पसंद नहीं आ रहा है। वह आप की राह में अड़चन पैदा करने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं, मगर आप की नीतियां और कार्यशैली सीधे जनता को प्रभावित करती है। इसके चलते नागरिक आप के सपोर्ट में खड़े होते दिखाई दे रहे हैं। अगले साल कुछ राज्यों में विधान सभा चुनाव होने हैं।

आप ने अब दिल्ली से बाहर अपना दायरा बढ़ाने की ठोस कार्ययोजना पर काम शुरू कर दिया है। इसके मद्देनजर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा आदि राज्यों में सक्रियता बढ़ाई गई है। गोवा में आप के बढ़ते वर्चस्व ने ना सिर्फ भाजपा बल्कि प्रयोग के तौर पर गोवा का रूख करने वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को भी बेचैन कर दिया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गोवा में टीएमसी के चुनावी मुकाबले में उतरने पर तंज पर भी कसा है। केजरीवाल ने कहा है कि मेरे हिसाब से टीएमसी सरकार के पास एक फीसदी वोट शेयर भी नहीं।

वह पार्टी 3 माह पहले गोवा में आई है। लोकतंत्र ऐसे नहीं चलता। आपको कड़ी मेहनत करने और जनता के बीच काम करने की जरूरत है। सीएम केजरीवाल ने साफ कहा है कि गोवा में टीएमसी रेस में नहीं है। दिल्ली के सीएम केजरीवाल की यह बात सोलह आने सच है। गोवा में अब से पहले टीएमसी की कतई सक्रियता नहीं थी। विधान सभा चुनाव को देखकर इस पार्टी ने एकाएक वहां सक्रियता दिखाई है। अलबत्ता जनता भी जानती है कि कौन किसके साथ है। सिर्फ सत्ता कब्जाने के लिए आनन-फानन में सक्रियता दिखाना किसी सूरत में ठीक नहीं है।

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब के अलावा गोवा में भी आप ने जनता के बीच खुद को स्थापित किया है। गोवा में भी अगले साल विधान सभा चुनाव होने हैं। ऐसे में इस राज्य में आप की बढ़ती सक्रियता ने विरोधियों को बेचैन कर दिया है। अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की जोड़ी की चर्चा सियायत में अक्सर होती है। दरअसल इस जोड़ी ने देश की राजधानी में जिस प्रकार से 2 बार सत्ता में आकर जनता के बीच काम कर अपनी पहचान कायम की है, वह काबिले गौर है। केजरीवाल और सिसोदिया को जनता के बीच का आदमी माना जाता है।

वह जनता की पीड़ा को भली-भांति जानते हैं। जनहित में वह हमेशा जो फैसले लेते हैं, वह पसंद किए जाते हैं। उधर, अरविंद केजरीवाल द्वारा गोवा में टीएमसी पर टिप्पणी करने को लेकर भी चर्चाओं का बाजार गरमा गया है। दरअसल टीएमसी और आप कभी एक-दूसरे के बेहद करीब माने जाते रहे हैं। अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी ने कई अवसर पर एक-दूसरे के प्रति सम्मान प्रकट किया है, मगर गोवा में दोनों दलों के बीच तल्खी सामने आ गई है। इसे लेकर चर्चाएं होना लाजमी बात है। देश की राजधानी में जनता को सुविधाएं देने के लिए आप सरकार ने जो कदम उठाए हैं, वह काबिले-तारीफ हैं।

दिल्ली सरकार के कार्यों की चर्चा विभिन्न राज्यों में होती है। दिल्ली में सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार पर रोक लगी है। अफसर और कर्मचारी अब जनता के काम को हाथों-हाथ निपटाने को तत्पर रहते हैं। जबकि पहले ऐसा नहीं था। आप अब अपनी नीतियों एवं कार्यक्रमों को लेकर यूपी, गोवा, पंजाब और उत्तराखंड में पहुंची। जनता को कल्याणकारी योजनाओं से अवगत कराया जा रहा है। जनता भी आप की नीतियों से प्रभावित हो रही है। अगले विधान सभा चुनाव में इन राज्यों में निश्चित रूप से आप की ताकत देखने को मिलेगी। उत्तराखंड की तरह पंजाब में भी सत्ता पर कांग्रेस-भाजपा की मजबूत पकड़ रही है। गोवा में भी कमोवेश यही हाल रहा है।

यूपी में जरूर लंबे समय बाद भाजपा को सत्ता में लौटने का मौका मिला था। जबकि कांग्रेस के लिए यूपी की राह लंबे समय से मुश्किल साबित हो रही है। ऐसे में इन राज्यों में आम आदमी पार्टी (आप) को नए विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। दरअसल आप के खैवरनहार जनता की नब्ज को टटोलने में काफी दक्ष हैं। वह जानते हैं कि किन योजनाओं और सुविधाओं से जनता को सीधा लाभ मिल सकता है। इसके चलते वह उन योजनाओं और कार्यक्रमों को धरातल पर उतारने का प्रयास करते हैं। आप की जन-कल्याणकारी नीतियां एवं कार्यक्रम आम आदमी को काफी प्रभावित कर रहे हैं।

दिल्ली में पिछले कुछ साल में आप सरकार ने जिस तरीक का शासन कर बिगड़ी व्यवस्थाओं को पटरी पर लाने का प्रयास किया है, वह अब रोल मॉडल की भांति देखा जा रहा है। केजरीवाल सरकार के सुशासन की सियासत और जनता के बीच अक्सर चर्चाएं होती रहती हैं। आम आदमी पार्टी (आप) ने कुछ साल पहले देश की राजधानी में धमाकेदार तरीके से एंट्री कर विपक्ष को चौंका दिया था। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गोवा में पहुंच कर जनता को इस कदर प्रभावित किया है कि वहां अब आप चर्चाओं के केंद्र में आ गई है।

आप को लेकर नागरिक विचार-विमर्श में लग गए हैं। जबकि टीएमसी को लेकर किसी प्रकार की सरगर्मी ना देखने और ना सुनने को मिल रही है। माना जा रहा है कि जैसे-जैस गोवा में चुनावी माहौल गरम होगा वहां राजनीति दलों के बीच टकराव भी बढ़ेगा। खासकर आप और टीएमसी के बीच तकरार ने नागरिकों का ध्यान अपनी ओर खींचा हैं। चूंकि ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल के संबंध अब तक मधुर रहे हैं, मगर गोवा में दोनों दल एक-दूसरे को पटकनी देकर सत्ता में आने को आतुर दिखाई दे रहे हैं।