भारत में इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट प्रबंधन: एक नई चुनौती

लेखक- राकेश कुमार भट्ट

भारत में तेजी से हो रहे शहरी विकास की कई चुनौतियां में से उत्सर्जित अपशिष्ट का प्रबंधन और निपटान शहरी क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियों में से एक है। विभिन्न प्रकार के निरंतर हो रहे कचरे के उत्सर्जन से यह समस्या और विकराल रूप ले रही हैे इस कारण यह पर्यावरण और भूमिगत जल को भी दूषित कर रही है, जिसका सीधा प्रभाव हमारे स्वस्थ्य पर पड़ रहा हैे आज भी हम कई प्रकार के उत्सर्जित कूड़े के निपटान के प्रति सजग नहीं हैे अगर यही हाल रहा तो वो दिन दूर नहीं जब हम कई प्रकार के कचरे से घिरे रहेंगे और अस्वस्थ जीवन भी जी रहे होंगे इसलिए हमें कचरे के निपटान के सम्बन्ध में जानना होगा और उसकी निपटान प्रक्रिया को भी अपनाना पड़ेगा। वर्तमान में भारत में ई-कचरे की बढ़ती समस्या और कई नए समस्यों को जन्म दे रही हैे भारत के शहर और और नगर निगम अभी तक इसे नियंत्रित करने में असफल प्रतीत हो रहे हैे ई-कचरा मनुष्यों, जानवरों और पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा खतरा है। पारा, लेड, बेरिलियम और कैडमियम जैसे भारी धातुओं और अत्यधिक विषैले पदार्थों की मौजूदगी पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण खतरा पैदा करती है।आईटी और संचार क्षेत्रों में हुए तेज विकास ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के विक्री और उपयोग को समाज में तेजी से बढ़ाया है। इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद का तेज उत्पादन, उन्नयन, विज्ञापन, विक्री और उपयोग उपभोक्ताओं को पुराने इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को बहुत जल्दी छोड़ने और अपग्रेड करने के लिए मजबूर कर रहा है, और यह एक समयसीमा के बाद बड़ी मात्रा में ई-कचरे को उत्पन्न कर रहा है। ई-कचरे की बढ़ती समस्या नए प्रकार के ई-कचरा प्रबंधन को सक्रियता से लागू करने और इसे को पुनर्चक्रित करने पर अधिक जोर देती है। इलेक्ट्रॉनिक कचरा या ई-कचरा तब उत्पन्न होता है जब इलेक्ट्रॉनिक और बिजली के उपकरण अपने मूल रूप से उपयोग किए गए या उपयोग के लिए अयोग्य हो जाते हैं या सेवा समाप्ति की तारीख को पार कर लेते हैं, जैसे कंप्यूटर, सर्वर, मेनफ्रेम, मॉनिटर, कॉम्पैक्ट डिस्क (सीडी), प्रिंटर, स्कैनर, कॉपियर, कैलकुलेटर, फैक्स मशीन, बैटरी सेल, सेलुलर फोन, टीवी, आईपॉड, मेडिकल उपकरण, वाशिंग मशीन, रेफ्रिजरेटर और एयर कंडीशनर आदि इसके उदाहरण हैं। लगभग सभी ई-कचरे में पुनर्नवीनीकरण सामग्री के कुछ प्रकार शामिल हैं, जिनमें प्लास्टिक, कांच और कई प्रकार की धातु शामिल हैं। हालांकि, इसके अनुचित और असुरक्षित निपटान विधियों और तकनीकों के कारण इन सामग्रियों को अन्य उद्देश्यों के लिए पुनर्प्राप्त करना कठिन है। यदि ई-कचरे को गलत तरीके से नष्ट कर दिया जाता है तो इसके रसायन और जहरीले घटक मानव शरीर पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं। ई-कचरे में सामान्य तौर पर विविध प्रकार की धातु, प्लास्टिक, कैथोड रे ट्यूब (सीआरटी), मुद्रित सर्किट बोर्ड, केबल आदि शामिल होते हैं। यदि वे वैज्ञानिक रूप से संसाधित होता है तो तांबा, चांदी, सोना और प्लैटिनम जैसी मूल्यवान धातुएँ ई-कचरे से बरामद की जा सकती हैं। लिक्विड क्रिस्टल, लीथियम, मरकरी, निकेल, पॉलीक्लोराइनेटेड बाइफिनाइल (पीसीबी), सेलेनियम, आर्सेनिक, बेरियम, ब्रोमिनेटेड फ्लेम रिटारडेंट्स, कैडमियम, क्रोम, कोबाल्ट, कॉपर और लेड जैसे जहरीले पदार्थों की मौजूद होते है जो इसे मानव जीवन के लिए बहुत खतरनाक बना देती है।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने ई-कचरा उत्पादन को कम करने और रीसाइक्लिंग को बढ़ाने के लिए 2016 में ई-वेस्ट (प्रबंधन) नियमों को लागू किया। इन नियमों के तहत, सरकार ने ईपीआर की शुरूआत भी की, जो उत्पादकों को उनके द्वारा उत्सर्जित ई-कचरे को एकत्र करने और उसके उचित निपटानके लिए उत्तरदायी बनाती हैे विकसित देशों में, ई-कचरा प्रबंधन को उच्च प्राथमिकता दी जाती है, जबकि विकासशील देशों में इसके उचित निपटान के लिए बुनियादी ढांचे का अभाव है और विशेष रूप से ई-कचरे से निपटने के लिए उपयुक्त विधानों की अनुपस्थिति भी है, और इस सम्बन्ध में जो भी नियम बने है वो अभी तक अप्रभावी प्रतीत हो रहे है। इसके अलावा, ई-कचरा प्रबंधन हेतु 2016 में, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (टङ्मएऋउउ) ने अद्यतन ई-कचरा (प्रबंधन) नियम जारी किए है। एक रिपोर्ट के अनुसार 2018 के बाद से, भारत सालाना लगभग दो मिलियन टन से अधिक ई-कचरा उत्पन्न करता है।वर्तमान परिदृश्य में भारत में सरकार के लिए ई-कचरा प्रबंधन एक नई और बड़ी चुनौती के रूप में सामने आ रही है। यह दिन-प्रतिदिन तेजी से सार्वजनिक स्वास्थ्य, पर्यावरण और नियमो के संस्थागत अनुपालन का मुद्दा बन रहा है। ई-कचरे को अलग-अलग एकत्र करने, प्रभावी ढंग से उपचारित करने और इसके समुचित निपटान के लिए, औपचारिक क्षेत्र के साथ अनौपचारिक क्षेत्र को एकीकृत करना भी आवश्यक है। इसके साथ ही इस कार्य में सक्षम अधिकारियों को सुरक्षित और प्रभावी तरीके से ई-कचरे से निपटने और उपचार के लिए सम्बंधित तंत्र को सुदृढ़ और मजबूती से स्थापित करने की आवश्यकता है। इस सम्बन्ध में पर्यावरण के अनुकूल ई-कचरा प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए सूचना अभियान, क्षमता निर्माण और जन जागरूकता बढ़ाना अति महत्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त, ई-कचरे के संग्रह पर नियमानुसार अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सरकार को नियमित रूप से समीक्षा करने की आवश्यकता है।