एसेंशियल ऑयल (एरोमा): एक चमत्कारी प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली

लेखिका – नीति तोमर

वनस्पति विज्ञान विशेषज्ञ

(लेखिका वनस्पति विज्ञान विशेषज्ञ हैं। वनस्पति विज्ञान पर कई रिसर्च किया है। कई प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में वनस्पति विज्ञान एवं महिलाओं से जुड़ी विषयों पर लेख लिखती हैं। )

वर्तमान की आपाधापी वाली व्यस्त जीवनशैली हमारी जीवनचर्या पर खराब असर डालकर हमें शारीरिक व मानसिक रूप से बीमार कर रही है। सारी सुख-सुविधाओं के बावजूद हमें स्वस्थ रहने के लिए जतन करने पड़ रहे हैं। विगत कुछ वर्षों से वैकल्पिक प्राकृतिक चिकित्सा पद्वति अपना कर जीवनशैली में बदलाव लाने पर ज़ोर बढ़ रहा है। हालांकि यह प्राचीन मिश्र देश की चिकित्सा व्यवस्था थी। उसी समय चीन और भारत जैसे देश जड़ी-बूटियों की खोज करके आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्वति को शिखर पर ले जा रहे थे।
1970-80 के दौर में प्राकृतिक चिकित्सा में एसेंशियल ऑयल (एरोमा ऑयल) की मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य में उपयोगिता देखते हुए व्यापक लोकप्रियता बढ़ी। वर्ल्ड वॉर-2 के दौरान इनसे घायल सैनिकों का सफलता पूर्वक इलाज किया गया।
एसेंशियल ऑयल (एरोमा ऑयल)
ये एक प्रकार के एरोमेटिक कंपाउंड होते हैं। जिन्हें पौधों के विभिन्न भाग जैसे फूल, पत्ती, छाल, तना, फल आदि से डिस्टीलेशन प्रक्रिया के द्वारा प्राप्त किया जाता है। ये फाइटोकेमिकल प्रत्येक पौधे में विशेष एरोमा (सुगंध) देते हैं । इसलिए इसे एरोमा ऑयल भी कहते हैं। जिसे विभिन्न थैरेपी में प्रयोग में लाया जाता है। जिसको एरोमा थैरेपी के रूप में जाना जाता है। यह वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में भी प्रसिद्ध है। इसमें विभिन्न तेल जैसे यूकेलिप्टस, लौंग, पिपरमिंट , बेसिल, सिट्रोनेला, लेमन ग्रास, बर्गामोट, सिडारवुड , कैमोमाइल, सिनमोन, लैवेंडर, नेरोली, सेज, जिंजर, लेमन, रोज़, रोज़मेरी, टी-ट्री, जैस्मीन, सेण्डलवुड, थाइम आदि का प्रयोग होता है।
एरोमा थैरेपी 
इस थैरेपी में एरोमा ऑयल द्वारा व्यक्ति को मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य लाभ दिया जाता है। केरल की विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदिक हीलिंग इस विधि को अपनाती है। जिसे “शिरोधारा” कहते हैं। एसेंशियल ऑयल में पाए जाने वाला एरोमा मस्तिष्क के लिम्बिक सिस्टम को उत्प्रेरित कर मानवीय भावनाएं, व्यवहार और स्मृति क्षमता को नियंत्रित और प्रभावित करता है, जिससे अन्य गतिविधियां जैसे हार्ट रेट, बी.पी., श्वसन तंत्र भी नियंत्रित होता है।
*नेशनल एसोसिएशन फॉर होलिस्टिक एरोमाथैरेपी (एनएएचए)* के अनुसार विभिन्न एसेंशियल ऑयल के द्वारा विविध रोगों का उपचार संभव हो रहा है। कई वैज्ञानिक शोधों द्वारा प्रमाणित हुआ है कि इन एरोमा ऑयल के द्वारा मानवीय संवेदनाएं और व्यवहार को संतुलित करके स्वास्थ्य संबंधित छोटे-मोटे रोगों को हम स्वयं ठीक कर सकते हैं। जिसके लिए अस्पताल जाने की जरूरत नहीं होती। दूसरे एलोपैथिक दवाइयों के दुष्प्रभाव भी होते हैं।
*नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ* ने एसेंशियल ऑयल को वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली के रूप में “पबमेडसेंट्रलडॉटकॉम” में एक डेटाबेस के रूप में प्रस्तुत किया है।
एसेंशियल ऑयल के गुण
इनमें विभिन्न प्रकार के माइक्रोन्यूट्रिएन्ट्स और फाइटोकेमिकल्स होते हैं। जो एंटी-ऑक्सीडेंट्स, एंटी- माइक्रोबियल, एंटी-वायरल, एंटी-फंगल, इंसेक्टीसाइडल, निमेटीसाइडल, एंटी- स्पाज़मोडिक होते हैं।
लाभ
इनका प्रयोग करके निम्न रोगों में लाभ मिलता है। जैसे अवसाद, चिंता, तनाव, अनिद्रा, सिर दर्द, मांसपेशियों और शरीर में दर्द, पाचन तंत्र और श्वसन तंत्र की गड़बडिय़ां, रक्त व मासिक धर्म, एलोपेशिया, हेयर लॉस व त्वचा संबंधी रोग जैसे एक्ज़िमा, सोरियेसिस आदि।
प्रयोग के तरीके
एसेंशियल ऑयल को कभी सीधे प्रयोग में नहीं लाते, क्योंकि ये (कसंटै्टड) सांद्र अवस्था में होते हैं। इसकी कुछ बूंदे ही बहुत असरकारक होती हैं। इनको पहले किसी कैरियर ऑयल (कोकोनट ऑयल, ऑलिव ऑयल, बादाम तेल) के साथ डायल्यूट करते हैं। सामान्यत: कुछ बूंदे ही एक आउंस तेल में मिलाई जाती हैं। प्रयोग में लाने से पूर्व कलाई पर लगाकर टेस्ट कर लेना चाहिए कि यह त्वचा के लिए संवेदनशील ना हो। कभी-कभी इसकी सुगंध से किसी व्यक्ति को एलर्जी भी हो सकती है। अतः सावधानी आवश्यक है।
अपनी सुविधा अनुसार और आवश्यकतानुसार निम्न तरीके हैं।
1-ऑयल डिफ्यूज़र द्वारा-इसमें लेमन ग्रास, टी-ट्री, बर्गामोट, कैमोमाइल, बेसिल, सिट्रोनेला, लैवेंडर, जैस्मिन, रोज़ जैसे ऑयल का प्रयोग करते हैं। इस विधि का उपयोग घर, स्पा, ऑफिस, होटल आदि स्थानों पर किया जाता है।
2-पॉटप्यूरी मे या  कॉटन बॉल में वुडन स्टिक्स को ऑयल में डुबोकर रखते हैं।
3-मसाज द्वारा-सिरदर्द, थकान, तनाव, अनिद्रा, अवसाद, दर्द को दूर करने के लिए बर्गामोट, एनीसीड, सेज, जिंजर, ब्लैकपिप्पर, लेमन ग्रास, नेरोली, मारजोरम आदि प्रयोग में लाते हैं।
4-बाथ वाटर (स्नान)-यह तरीका त्वचा संबंधी रोगों में अत्यन्त लाभकारी है। जैसे नीम ऑयल, कैमोमाइल, यूकेलिप्टस, लैवेंडर, लेमन ग्रास, नेरोली, रोज़, रोज़मेरी, टी-ट्री।
5-बॉडी क्रीम, लोशन, शैम्पू* में मिलाकर ।
6- विभिन व्यंजनों में-रोज़, कुरक्यूमिन, मिंट, लेमन ग्रास, ऑरिगेनो ऑयल। लेकिन इन उपायों को अपनाने से पूर्व हेल्थ एक्सपर्ट की राय अवश्य लें।
 कुछ खास एसेंशियल (एरोमा) ऑयल की जानकारी निम्नवत हैं।
1- यूकेलिप्टस ऑयल-यह इसकी पत्तियों से मिलता है। एंटीमाइक्रोबियल गुणों के कारण इसे कोल्ड, कफ, वायरल फीवर, माउथ वॉश, सोप, इन्हेलर में भी प्रयोग करते हैैं। एंटीफंगल और एंटीसेप्टिक गुणों की वजह से डैंड्रफ दूर करता है। ब्लड वैसेल्स को रिलैक्स कर मस्तिष्क को सक्रिय करता है। इसमें ‘सिनिओल’कंपाउंड होता है। जो अस्थमा में लाभकारी है। ये घाव, कटे-फटे व जलने में भी लाभदायक है।
2-टी-ट्री ऑयल-यह ऑयल एक प्रभावशाली इंसेक्टरिपैलैंट हैं, जो कि पत्तियों से मिलता है। एंटी बैक्टीरियल होने के कारण बॉडी ऑडर दूर करने में नेचुरल डिओडरेंट की तरह प्रयोग कर सकते हैं। साथ ही एैक्ने, डैंड्रफ और त्वचा के संक्रमण को दूर करने में इसे ‘ऑल पर्पज़ क्लींज़र’और सैनिटाइज़र के रूप में प्रयोग कर सकते हैं।
3-पिपरमिंट ऑयल-यह बहुमुखी प्रतिभा वाला ऑयल है, जिसको पोषक तत्वों की प्रचुरता से वाह्य और आंतरिक रूप से प्रयोग कर सकते हैं। एंटीस्पाज़मोडिक होने से जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द को दूर करता है। इसकी कुछ बूंदे ही एनर्जी को बढ़ाने का काम करती हैं। यह प्राकृतिक रूप से हेयर-थिकनेस बढ़ाता है। इसकी एस.पी.एफ. वेल्यू बहुत अधिक होने से प्राकृतिक रूप से यू.वी. किरणों से सुरक्षा प्रदान करता है।
4-बर्गामोट-यह चिकन पॉक्स, यूरीनरी और डायजेस्टिव इंफेक्शन में लाभकारी है। इसको यूकेलिप्टस ऑयल के साथ प्रयोग करते हैं।
5-कैमोमाइल-एक्जिमा में ।
6-सिट्रोनेला-इंसेक्ट रिपैलैंट के रूप में
7-बेसिल-माइग्रेन, अवसाद, सिरदर्द को दूर करके मस्तिष्क की एकाग्रता बढ़ाता है।
8-लैवेंडर-यह स्लीप इन्हेलर के रूप में दर्द, तनाव, अवसाद को दूर करता है।
9 रोज़मेरी-यह मेमोरी और हेयर ग्रोथ को बढ़ाता है। मसल्स स्पाज़्म को दूर करता है।
10 थाइम-तनाव, थकान, नर्वसनैस को दूर करता है।
11-लेमन ग्रास-मॉस्क्यूटो रिपैलैंट के रूप में घर में प्राकृतिक रूप से उगाकर उपयोग कर सकते हैं। यह स्किन इंफेक्शन, मांसपेशियों के दर्द और तनाव में बहुत लाभदायक है। इसको ग्रीन टी के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं।
12-मारजोरम-यह अनिद्रा की स्थिति में बहुत लाभकारी है।
13-नैरोलीऑयल-यह मानसिक तनाव, ड्राई स्किन और पाचन तंत्र की परेशानियों को दूर करता है।
उपरोक्त गुणों के आधार पर यह निश्चित है कि अपने दैनिक जीवन में इनका उपयोग करके मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है, जिससे होने वाली गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है। यूरोपीय देशों में एसेंशियल ऑयल द्वारा प्राकृतिक चिकित्सा को मुख्यधारा में शामिल किया जा चुका है। क्योंकि औषधि के रूप में इन्हें कई वर्षों से उपयोग में लाया जा रहा है। विगत दिनों में महामारी की वजह से तनाव व अवसाद में गंभीर परिणाम देखने को मिले थे। शरीर की सेहत मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी होती है। अत: समय रहते लक्षणों को जानकर समुचित उपाय अपनाने चाहिए। इस थैरेपी के साथ ही डॉक्टर का परामर्श भी लेना चाहिए।