महंगाई की जबरदस्त मार, अब तो कुछ रहम करे सरकार

लेखक:- प्रदीप गुप्ता
(समाजसेवी एवं कारोबारी हैं। व्यापारी एकता समिति संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष है और राजनीतिक एवं सामाजिक विषयों पर बेबाकी से राय रखते हैं।

सखी सैंया तो खूब ही कमात हैं, मगर महंगाई डायन खाए जात है। आमदनी उतनी ही लेकिन लगातार बढ़ती महंगाई ने आम आदमी का जीना मुहाल कर दिया है। आम आदमी करे तो क्या करे ? इन दिनों महंगाई आसमान छू रही है। समाज का हर वर्ग महंगाई से जूझ रहा है। पेट्रोल-डीजल के दामों में आग लगी हुई है। आलम यह है कि रोजाना इनकी कीमतों में इजाफा हो रहा है और आम आदमी की जेब ढीली हो रही है। सब कुछ महंगा होता जा रहा है। आम लोग इन दिनों बढ़ती और बेकाबू महंगाई से बेहाल हैं। दरअसल 22 मार्च से पेट्रोल एवं डीजल की कीमतें बढऩे का सिलसिला शुरू हुआ था। लेकिन उसके बाद से तेल की कीमतों में लगातार बढ़त देखने को मिल रही हैै। देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के बाद पेट्रोल-डीजल से लेकर एलपीजी, सीएनजी, पीएनजी सभी प्रकार के दामों में भारी बढ़ोतरी हो रही है।

इसकी वजह से खाने-पीने की चीजों से लेकर लॉजिस्टिक्स की कीमतों में भी अब धीरे-धीरे वृद्धि देखने को मिल रही है। जिसके कारण महंगाई रोज एक नया रिकॉर्ड कायम कर रही है और इसकी क़ीमत आम आदमी चुकाने को मजबूर है। 16 दिन में 14 बार पेट्रोल एवं डीजल की कीमत बढ़ाई गई है। पिछले 16 दिन में पेट्रोल एवं डीजल 10 रुपए प्रति लीटर बढ़ गया है। एक अनुमान के मुताबिक पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी से केंद्र सरकार ने आठ साल में 26 लाख करोड़ रुपए वसूले हैं। ऐसे में सरकार चाहे तो एक्साइज ड्यूटी में कटौती कर पेट्रोल- डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों से आमजन को फौरन राहत दे सकती है। पिछले कुछ माह में महंगाई चरम सीमा को पार कर गई है। रिटेल इंफ्लेशन रेट 6 फ़ीसदी को पार कर चुका है। जबकि होल सेल इंफ्लेशन रेट भी 13.11 फ़ीसदी के आस-पास है।

यह आंकड़े भी बेहद डराने वाले हैं। इनमें भी सुधार की बेहद जरूरत है। लगातार बढ़ती महंगाई ने आमजन की कमर तोड़ दी है। एक तरफ जहां पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ रही कीमतों ने लोगों की जेब ढीली कर रखी है, वहीं अब सब्जियों के बढ़ते दामों ने घरेलू बजट बिगाड़ दिया है। वजह चाहे जो भी हो, मगर सब्जी मंडी में नींबू और हरी मिर्च से लेकर तमाम सब्जियों के भाव आसमान छू रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से पेट्रोल-डीजल, सीएनजी, पीएनजी व एलपीजी की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई है, इसे देखकर सरकार को तत्काल ठोस कदम उठाना चाहिए। सरकार को महंगाई रोकने के लिए उपरोक्त वस्तुओं के दामों में कमी करनी चाहिए ताकि आमजन को राहत मिल सके।

सरकार को आमजन की पीड़ा को भी समझना चाहिए। कोरोना महामारी के बाद घटी आय के बीच आसमान छूती महंगाई से आम आदमी पर चौतरफा मार पड़ी है। बीते एक साल में पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस, दूध, चीनी, दाल से लेकर खाने के तेल की कीमत में भयंकर उछाल आया है। इससे कम आय, नौकरीपेशा और मध्यमवर्ग की मुश्किलें बढ़ गई हैं। हालत यह है कि मार्च 2021 के मुकाबले इस साल मार्च तक सभी जरूरी वस्तुओं की कीमतों में जोरदार तेजी दर्ज की गई है। सबसे अधिक उछाल सरसों के तेल में आई है। रही-सही कसर को पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस और सब्जियों के बढ़े दामों ने पूरा कर दिया है। यह हम नहीं कह रहे बल्कि केंद्र सरकार के उपभोक्ता मंत्रालय पर दिए गए आंकड़े कह रहे हैं।

बीते एक साल में देश की प्रमुख एफएमसीजी कंपनियों ने अपने उत्पादों के दाम में कई बार बढ़ोतरी की है। हिंदुस्तान यूनीलीवर ने सर्फ साबुन के दाम बीते छह माह में 30 फीसदी तक बढ़ा दिए हैं। नेस्ले ने मैगी के दाम में 2 रुपये की बढ़ोतरी की है। वाहन कंपनियां भी दोपहिया से लेकर कार की कीमतों में कई बार बढ़ोतरी कर चुकी हैं। देश में खुदरा महंगाई दर 299 सामानों की कीमतों के आधार पर तय होती है। इसमें कई सामान ऐसे हैं जो दशकों पुराने हैं और इनको सीपीआई की गणना में शामिल करने का अब कोई औचित्य नहीं है। सीपीआई बास्केट में कम से कम 10 से 12 फीसद सामान निष्क्रिय हैं। इसमें सीडी, ऑडियो कैसेट या नोकिया के फोन जैसी वस्तुएं भी शामिल हैं।

ऐसे में महंगाई की गणना में इनके इस्तेमाल का कोई औचित्य नहीं हो सकता है। अन्य निष्क्रिय सामानों में केबल टीवी कनेक्शन, वीसीडी या डीवीडी का किराया, सीडी, डीवीडी, ऑडियो-वीडियो कैसेट, टू-इन-वन रेडियो, टेप रिकॉर्डर शामिल हैं। फलों और सब्जियों के दाम बढ़ते जा रहे हैं, जिससे महंगाई की मार लोगों पर साफ नजर आ रही है। सब्जियां लगातार लोगों की पहुंच से बाहर हो गई हैं। देश के हर कोने में खाद्य पदार्थों की चीजों में बढ़ोतरी ने रसोई घर का बजट बिगाड़ दिया है।

पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दाम के बाद सब्जियों के दाम जिस तरीके से आसमान छू रहे हैं, उसने आम लोगों के लिए एक बड़ी परेशानी खड़ी कर दी है। पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दाम जिस तरह से बढ़ रहे हैं, उसी तरह नवरात्र में सब्जियों के दामों ने भी आसमान छू लिया था। एक्सपट्र्स का मानना है कि पेट्रोल-डीजल के दाम बढऩे से यातायात किराया बढ़ जाने से ये हालात पैदा हुए हैं। अगले 15 दिनों तक त्योहारों का सीजन खत्म हो जाने के बाद भी महंगाई खत्म नहीं होने