महंगाई रोकने को रेपो रेट में वृद्धि

लेखक:- प्रदीप गुप्ता
(समाजसेवी एवं कारोबारी हैं। व्यापारी एकता समिति संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष है और राजनीतिक एवं सामाजिक विषयों पर बेबाकी से राय रखते हैं।

मुद्रास्फीति में कमी के कोई संकेत नहीं दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने फिर से नीतिगत दरों यानी रेपो रेट में बढ़ोतरी कर दी है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास पहले ही इसके संकेत दे चुके थे। पिछले महिने रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.40 फीसदी की बढ़ोत्तरी की थी और अब इस महीने फिर से 0.50 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी की गई है। अब रेपो रेट की नई दर 4.90 फीसदी हो गई है। इस वृद्धि के चलते फिर से आपकी ईएमआई महंगी हो जाएगी। रिजर्व बैंक की तरफ से इस बार रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट यानी 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है।

रेपो रेट बढऩे का सीधा सा मतलब है कि रिजर्व बैंक की तरफ से बैंकों को लोन महंगी दर पर मिलेगा। ऐसे में बैंक इस बढ़ोतरी को ग्राहकों तक ट्रांसफर करेंगे और उनके लिए भी कर्ज लेने की दरें महंगी हो जाएंगी। वहीं, अगर आपका होम लोन चल रहा है तो उसकी ईएमआई में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। हालांकि, इससे उन लोगों को फायदा होगा जो बैंक एफडी कराते हैं, क्योंकि इससे एफडी की दरें भी बढ़ जाएंगी। रेपो रेट में बढ़ोतरी का व्यापक असर देखने को मिलेगा। आरबीआई द्वारा रेपो रेट बढ़ाने से होम लोन, कार लोन जैसे लोन की ईएमआई का बोझ बढ़ जाएगा।

रेपो रेट बढऩे का असर सेविंग बैंक अकाउंट और एफडी पर भी पड़ेगा। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की यह दलील है की रेपो रेट में बढ़ोतरी के बाद महंगाई पर काबू पाने में असानी हो सकती है। रेपो रेट बढऩे का सबसे ज्यादा असर उद्योग जगत पर होगा। क्योंकि उनके लिए भी लोन और ब्याज दरें पहले के मुकाबले बढ़ जाएंगी। रेपो रेट में बढ़ोतरी के बीच खुदरा महंगाई दर 7.79 फीसदी पर पहुंच गई है। खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में लगातार सातवें महीने बढ़ते हुए आठ साल के उच्चतम स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। इसकी मुख्य वजह यूक्रेन-रूस युद्ध के चलते ईंधन सहित जिंस कीमतों में बढ़ोतरी है। थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति 13 महीने से 2 अंक में बनी हुई है और अप्रैल में यह 15.08 प्रतिशत के रिकॉर्ड उच्च स्तर को छू गई।

इन आंकड़ों से साफ है कि महंगाई रोकने के मक़सद से सरकार ने रेपो रेट में इज़ाफ़ा तो कर दिया, लेकिन मौजूदा हालात में अर्थव्यवस्था को इससे कितना फ़ायदा हो सकता है, इसका आंकलन बहुत मुश्किल है। देश में पिछले काफी समय से महंगाई चरम पर है। घरेलू जरूरत की वस्तुओं के दाम में वृद्धि होने से आम आदमी की हालत खराब है। महंगाई के मुद्दे पर विपक्ष निरंतर केंद्र सरकार को घेर रहा है। ऐसे में महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार हरसंभव कदम उठा रही है। इसके चलते रेपो रेट में वृद्धि की गई है।