महंगाई को रोते-रोते ही गुजरेगा त्योहारी सीजन ?

लेखक:- प्रदीप गुप्ता
(समाजसेवी एवं कारोबारी हैं। व्यापारी एकता समिति संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष है और राजनीतिक एवं सामाजिक विषयों पर बेबाकी से राय रखते हैं।

देश में बेतहाशा बढ़ती महंगाई पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। बढ़ती महंगाई ने आमजन का जीना मुहाल कर दिया है। पेट्रोल एवं डीजल के दामों में लगी आग ने प्रत्येक वर्ग का बजट बिगाड़ दिया है। बची-खुची कसर खाद्य तेलों की कीमतों के साथ अन्य खाद्य सामग्री के मूल्यों में निरंतर वृद्धि ने पूरी कर दी है। बेतहाशा बढ़ती महंगाई के बीच जीएसटी परिषद की लखनऊ में हाल में संपन्न बैठक से भी लोगों को निराशा हाथ लगी। इस बैठक से पहले इस बात की चर्चा जोरों पर थी कि पेट्रोल एवं डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है, जिससे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में काफी राहत मिलने के आसार थे, लेकिन इस बैठक में भी इस पर कोई फैसला नहीं हो सका। कहा जा रहा है कि दिल्ली, केरल समेत कुछ राज्यों ने इस बात का विरोध किया कि अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो इससे राज्य सरकार के राजस्व पर असर पड़ना तय है। भारत में जीएसटी प्रणाली एक जुलाई 2017 से लागू हुई थी। उस वक़्त पांच पेट्रोलियम उत्पादों को इससे बाहर रखा गया था, जिनमें डीजल और पेट्रोल भी शामिल थे। इसकी वजह यह थी कि इन दोनों से होने वाली कमाई पर केंद्र और राज्य बहुत ज्यादा निर्भर हैं। खाद्य तेल के मोर्चे पर आम आदमी को फिलहाल राहत मिलने के असर दिखाई नहीं दे रहे है। बाजार के जानकारों की मानें तो अक्टूबर-नवंबर महीने तक खाने के तेल के दाम कम नहीं होने वाले हैं। बीते 6 महीने में घरेलू स्तर पर खपत होने वाले सरसों, मूंगफली या पाम तेल की कीमतों में बड़ी तेजी देखने को मिली है। इसके अलावा सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल के दामों में भी बढ़ोतरी हुई है। आधिकारिक आंकड़ों की मानें तो खुदरा बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में पिछले साल की तुलना में जुलाई महीने के दौरान 52 फीसदी का इजाफा हुआ है। सरकार ने राज्य सभा में इस बारे में लिखित जानकारी दी है। मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई माह में मूंगफली का औसत भाव पिछले साल की सामान अवधि के दौरान 19.24 फीसदी तक बढ़ा है। इसी प्रकार सरसों तेल का भाव 39.03 फीसदी, वनस्पति का भाव 46.01 फीसदी, सोया का भाव 48.07 फीसदी, सूरजमुखी का भाव 51.62 फीसदी और पाम तेल का भाव 44.42 फीसदी तक बढ़ा है। हालांकि, सरकार ने इन पर टैक्स कम किया है, लेकिन आम आदमी को इसका कुछ खास लाभ नहीं मिला है।
ये सच है कि कोरोना महामारी के बाद केंद्र सरकार ने अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए कई फैसले लिए हैं, जिससे कि सरकार के पास पैसा आए। लेकिन दूसरा सच ये भी है कि सरकार ने महंगाई को रोकने के लिए अब तक कोई खास प्रयास नहीं किए हैं। इसका खामियाजा सीधे तौर पर आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। महंगाई मीटर तय करने वाले लगभग सभी सरकारी आंकड़ें इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि आने वाले त्योहारी सीजन महंगाई में ही बीतने वाले हैं। मतलब आम आदमी को बेतहाशा बढ़ती महंगाई से फिलहाल राहत के कोई आसार दिखाई नहीं दे रहा है।