शानदार डेढ़ साल, विकास को मिली रफ्तार, गाजियाबाद के म्युनिसिपल कमिश्नर डॉ. दिनेश चंद्र अब डीएम के रूप में संभालेंगे कानुपर की कमान

डेढ़ साल की महत्वपूर्ण उपलब्धियां
– फिजूलखर्ची रोककर नगर निगम की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का म्युनिसिपल कमिश्नर को जाता है श्रेय
– 2000 करोड़ रुपये की जमीन को कराया कब्जामुक्त, प्रवर्तन दस्ते का गठन कर निगम की बेसकीमती जमीनों को बचाया
– जीयो टैगिंग से भ्रष्टाचार और फर्जीवारे पर लगा रोक, टेंडरिंग पर जोर देकर निगम के बचाये लगभग 100 करोड़ रुपये
– बीओटी-होर्डिंग्स माफिया को सिखाया सबक, काटे अवैध होर्डिंग्स, नगर निगम के खाते में जमा कराया करोड़ों रुपये
– शहर की सफाई व्यवस्था हुई बेहतर, मानसून से पहले कराई नालों की सफाई बारिश में भी नहीं हुआ जल भराव

उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। आईएएस डॉ. दिनेश चंद्र सिंह कानपुर देहात के डीएम बन गये हैं। 15 फरवरी 2019 को गाजियाबाद के म्युनिसिपल कमिश्नर का चार्ज संभालने वाले डॉ. दिनेश चंद्र 18 अगस्त 2020 को महेंद्र सिंह तंवर को गाजियाबाद नगर निगम का चार्ज सौंपेंगे। आईएएस महेंद्र सिंह तंवर वर्तमान में शाहजहांपुर में सीडीओ के पद पर तैनात हैं। म्युनिसिपल कमिश्नर के रूप में डॉ दिनेश चंद्र का पिछले डेढ़ वर्ष का कार्यकाल शानदार और काफी उपलब्धियों भरा रहा। अपने कार्यकाल के दौरान राजनैतिक दवाब डालकर प्रभुत्व कायम करने की कोशिश करने वालों को जहां करारा झटका दिया वहीं आम शहरी और जन समस्याओं को लेकर आने वाले हर सख्स की मदद की। यही वजह है कि एक सख्त आईएएस अधिकारी होने के बावजूद शहरवासियों के बीच में उनकी छवि जनसरोकारी अधिकारी की है। चंद राजनैतिक लोगों को छोड़ दें तो सभी को डॉ. दिनेश चंद्र के तबादले का मलाल है। हालांकि गाजियाबाद शहर संभालने वाले दिनेश चंद्र को बड़ी जिम्मेदारी के रूप में कानपुर देहात जिले की जिम्मेदारी सौंपी गई है। गाजियाबाद के म्युनिसिपल कमिश्नर के रूप में उनके बेहतरीन काम को देखते हुए शासन से उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी है।

म्युनिसिपल कमिश्नर के डेढ़ साल के सफल कार्यकाल के लिए बुके देकर शुभकामनाएं देते पार्षद अरविंद चौधरी चिंटू।

डॉ. दिनेश चंद्र के पिछले डेढ़ वर्षों के कामकाज का लेखा-जोखा करें तो गिनाने के लिए ढ़ेरो उपलब्धियां हैं। बात चाहे नगर निगम की आमदनी बढ़ाने की हो या फिर भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की या फिर विकास कार्यों को रफ्तार देने की। सभी मानकों पर रिकार्ड काफी दुरूस्त है। भू-माफियाओं पर नकेल कसकर जहां नगर निगम की 2000 करोड़ रुपये से अधिक की जमीन कब्जामुक्त कराया वहीं होर्डिंग्स माफिया की कमर तोड़ दी। इस कार्रवाई से विज्ञापन शुल्क से नगर निगम को होने वाली आमदनी में करोड़ों रुपये का इजाफा हुआ। डॉ. दिनेश चंद्र की दुरदर्शिता, वक्त पाबंद और काम को प्राथमिकता के आधार पर पूरा कराने की नीति का नतीजा है कि शहर की सफाई व्यवस्था बेहतर हुई और इस वर्ष मानसून में पूरे शहर में कहीं भी जलभराव की गंभीर समस्या नहीं हुई। जबकि गाजियाबाद से सटे देश की राजधानी में सड़क पर पानी में डूबकर लोगों की जान गई। कभी हाथों में झाड़ू लेकर सड़कों की सफाई करते हुए तो कभी पोकलेन मशीन से नालों की सफाई करते हुए म्युनिसिपल कमिश्नर की कई फोटो और वीडियो भी खूब वायरल हुए और लोकप्रियता भी काफी बढ़ी। दिनेश चंद्र को जब गाजियाबाद के म्युनिसिपल कमिश्नर का चार्ज मिला तो यह कांटों भरा ताज था। एक तरफ नगर निगम का खजाना खाली था दूसरी तरफ राजनैतिक दखलंदाजी हद से ज्यादा थी। भ्रष्टाचार और अनियमितता के मामलों को लेकर नगर निगम लगातार समाचार पत्रों में सुर्खियां बटोर रहा था। डॉ. दिनेश चंद्र ने टैक्स वसूली के साथ आमदनी के अन्य श्रोत बढ़ाकर निगम के खजाने को भरा वहीं, जीयो टैगिंग पॉलीसी लाकर फिजूलखर्ची और भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगाया। प्लास्टिक एवं पॉलीथिन के खिलाफ गाजियाबाद की जंग म्युनिसिपल कमिश्नर की सबसे बड़ी उपलब्धी है। गाजियाबाद के बर्तन बैंक, प्लास्टिक फ्री कांवड़ शिविर, प्लास्टिक वेस्ट मैटेरियल से सड़क का निर्माण सहित प्लास्टिक एवं पॉलीथीन को लेकर चलाये गये जन जागरूकता अभियान की राष्टÑीय स्तर पर सराहना हुई। नंदी पार्क गौशाला को प्रदेश में मॉडल गौशाला के रूप में स्थापित करने का श्रेय दिनेश चंद्र को जाता है।

नंदी पार्क गौशाला में गायों को चारा खिलाते म्युनिसिपल कमिश्नर डॉ. दिनेश चंद्र

कोरोना योद्धा के रूप में शहर करेगा याद
दिल्ली से सटे होने के कारण गाजियाबाद में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैलने लगा। ऐसे विषम परिस्थियों में बेहतर सफाई और नियमित सैनेटाइजेशन के जरिये शहर में कोरोना को काबू करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए जहां कई अधिकारी फील्ड में उतरने से परहेज कर रहे थे वहीं डॉ. दिनेश चंद्र नियमित रूप से सुबह शाम सड़कों पर निकल कर व्यवस्था का जायजा लेते रहे। सेतु ऐप डाउनलोड कराने, काढ़ा उपलब्ध कराने, योग के प्रति लोगों को जागरूक करने और कोरोना से बचाव को लेकर चलाये गये जागरूकता कार्यक्रमों का असर रहा कि गाजियाबाद में संक्रमण की स्थिति विकट नहीं हुई। जहां अन्य शहरों में नगर निगम में कोरोना काफी तेजी से फैला, लखनऊ नगर निगम में दर्जनों लोगों संक्रमित हुए। जीडीए में लोगों की एंट्री बैन होने के बावजूद कोरोना फैला वहीं नगर निगम के कर्मचारियों और अधिकारियों में अब तक सिर्फ चार मामले आये।

2000 करोड़ की जमीन कराई कब्जामुक्त
गाजियाबाद शहर भू-माफियाओं की कारस्तानी के लिए बदनाम रहा है। नगर निगम की अरबों रुपये की संपत्ति पर इन भू-माफियों ने कब्जाकर रखा था। डॉ. दिनेश चंद्र ने नगर निगम की संपत्ति को बचाने के लिए सबसे पहले एक सशक्त प्रवर्तन दल का गठन किया। शासन से वार्ता करके सेना से रिटायर्ड कर्नल को प्रवर्तन फोर्स का प्रभारी बनााया और भू-माफियाओं के खिलाफ अभियान छेड़ दिया। डूंडाहेड़ा, बोंझा, अकबरपुर-बहरामपुर, मिर्जापुर, घूकना, नंदग्राम, सिंहानी, नूरनगर, राजनगर एक्सटेंशन, अर्थला, सद्दीकनगर, सदरपुर, झंडापुर, पसौंडा, हिंडन विहार, सुदामापुरी सहित शहर के अन्य हिस्सों में सैकड़ों बीघा जमीन कब्जामुक्त कराया। दिनेश चंद्र के कार्यकाल के दौरान लगभग 2000 करोड़ रुपये की सरकारी जमीन मु-माफियाओं से कब्जामुक्त कराकर उनकी फेंसिंग और बाउंड्री करवाई गई। डूंडाहेड़ा में जहां भू-माफिया के कब्जे से 150 बीघा जमीन कब्जामुक्त कराया गया वहीं नंदग्राम नुरनगर में पॉलीटेक्निक कॉलेज की जमीन से भी अवैध कब्जा हटवाया। यहां लोगों ने दो-दो मंजिला पक्का निर्माण कर रखा था। नगर निगम की अरबों की संपत्ति भू-माफियाओं से बचाने के लिहाज म्युनिसिपल कमिश्नर का कार्यकाल शानदार रहा है।

प्लास्टिक मुक्त शहर की रखी नींव
कोई इन्हें प्रकृति एवं पर्यावरण का रक्षक कह रहा है तो कोई प्लास्टिक का दुश्मन, कोई इन्हे प्लास्टिक रूपी राक्षस से लड़ने वाला स्पाईडरमैन बता रहा है तो आयरनमैन। पर्यावरण प्रेमी इस आईएएस अधिकारी की तारीफ के कसीदे गढ़ रहे हैं वहीं जुर्माना भरने वालों ने भी डॉ. दिनेश चंद्र के मुहिम को सराहा। प्रतिबंधित प्लास्टिक और पॉलीथिन के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए जहां डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक जुर्माना वसूला वहीं प्लास्टि वेस्ट मैटेरियल का बेस्ट उपयोग करते हुए शहर में आधा दर्जन से अधिक सड़कें बनवाई। प्लास्टिक का गलत तरीके से उपयोग और कचरा फैलाने पर म्युनिसिपल कमिश्नर के प्रकोप से आॅनलाइन कंपनियों से लेकर मल्टीनेशनल कंपनियां तक नहीं बच पाई। नामी-गिरामी कंपनी बिसलरी और डाबर पर भी जुर्माना लगाया। दिनेश चंद्र ने प्लास्टिक मुक्त शहर की नींव रखी है यदि इस पर काम जारी रहा तो प्लास्टिक मुक्त गाजियाबाद का सपना अवश्य पूरा होगा।

पार्कों को संवारा, पत्तियों से बनाया कंपोस्ट
नये-नये आइडिया इजात करने वाले गाजियाबाद के म्युनिसिपल कमिश्नर दिनेश चंद्र ने ग्रीन बेल्ट एवं पार्कों में लीफ कंपोस्टिंग का दायरा बढ़ा दिया। पैसे बचाने के लिए पार्कों में इस कंपोस्ट का उपयोग खाद के रूप में किया। नगर निगम की खुद की नर्सरी तैयार की। इससे पौधों की खरीद पर होने वाले खर्चे में काफी कमी आई। नगर निगम के दो नर्सरी से करोड़ों रुपये के पौधे तैयार होंगे।

पोकलेन मशीन चलाकर नाले की सफाई करते म्युनिसिपल कमिश्नर डॉ. दिनेश चंद्र। : फाइल फोटो

टैक्स वसूली के साथ टैक्सदाताओं की संख्या बढ़ी
डॉ. दिनेश चंद्र के कार्यकाल में टैक्स वसूली में बढ़ोत्तरी के साथ-साथ टैक्स देने वालों की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी हुई। नगर निगम के टैक्स विभाग के रिकार्ड बताते हैं कि फरवरी 2019 से अब तक 40 हजार से अधिक नये करदाता जुड़े वहीं नगर निगम की आमदनी में 50 करोड़ रुपये से अधिक की बढ़ोत्तरी हुई।

बीओटी और होर्डिंग्स माफिया की कसी नकेल
निगम को दीमक की तरह चाटने वाले और अवैध होर्डिंग्स से शहर को बदसूरत बनाने वाले बीओटी विज्ञापन माफिया पर म्युनिसिपल कमिश्नर ने जोरदार चाबुक चलाया। हिस्ट्रीशीटर और बदमाश प्रवृत्ति के लोगों की इस धंधे में गहरी पैठ थी जो नगर निगम में कोई शुल्क नहीं जमा कराते थे। दिनेश चंद्र ने जहां शहर को अवैध होर्डिंग्स के मकड़जाल से मुक्त कराया वहीं इन कंपनियों से 10 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया भी जमा करवाया। फर्मोें को ब्लैक लिस्ट किया और कोर्ट से स्टे हटवाकर इनकी नकेल कसी।
———————–