एम्स में नर्सिंग स्टाफ की हड़ताल पर रोक

याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश

नई दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में नर्सिंग स्टाफ की अनिश्चित कालीन हड़ताल पर दिल्ली हाईकोर्ट ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। कोविड-19 (कोरोना वायरस) की स्थिति को देखकर अदालत ने इस संबंध में आदेश दिया है। इससे नर्स यूनियन को झटका लगा है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में नर्स यूनियन ने विभिन्न मांगों के समर्थन में अनिश्चित कालीन हड़ताल शुरू की थी। नर्सों का कहना है कि नर्सों से संबंधित मांगों पर सरकार और एम्स प्रबंधन कतई गंभीर नहीं है। मांगों को कई बार पुरजोर तरीके से उठाया गया, मगर कोई सुनवाई नहीं की गई। नतीजन उन्हें हड़ताल पर जाना पड़ा है। नर्सों की हड़ताल के कारण एम्स में स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रतिकूल असर पड़ा। मरीजों की देख-रेख का काम काम प्रभावित होने से एम्स प्रशासन की मुश्किलें बढ़ गई थीं। यह विवाद दिल्ली हाईकोर्ट जा पहुंचा था। हाईकोर्ट के जस्टिस नवीन चावला ने एम्स की याचिका पर अपना फैसला सुनाया। उन्होंने नर्सों की अनिश्चित कालीन हड़ताल पर रोक का आदेश दियाा है। एम्स प्रशासन ने कोर्ट में कहा कि नर्सों की मांगों पर विचार किया जा रहा है। एम्स ने यह भी कहा कि फिलहाल कोविड-19 (कोरोना वायरस) महामारी का दौर है। लिहाजा स्टाफ हड़ताल पर नहीं जा सकता। बता दें कि एम्स नर्स यूनियन ने सोमवार से हड़ताल शुरू की थी। नर्सों की हड़ताल से मरीजों की परेशानी बढ़ गई थी। नर्सिंग यूनियन का आरोप है कि एम्स प्रशासन बात करने को तैयार नहीं है। उधर, स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश नहीं मानने पर कार्रवाई की जाएगी। देश की राजधानी दिल्ली में एम्स सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। कोरोना काल में इस अस्पताल की जिम्मेदारी पहले से ज्यादा बढ़ गई है। नर्सों के एकाएक हड़ताल पर चले जाने से एम्स प्रशासन की नींद उड़ गई थी।