भाजपा शासित गाजियाबाद नगर निगम में एक और घोटाला

भाजपा के दो पार्षद बने व्हिसल ब्लोअर, निगम के खिलाफ खोला मोर्चा, बोले अधिकारियों और ठेकेदारों ने मिलकर किया घोटाले के पैसों का बंदरबांट

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के रिएक्टरों में 6.40 करोड़ के घोटाले का लगाया आरोप

उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद।  भाजपा शासित गाजियाबाद नगर निगम में एक और घोटाला हो गया। घोटाले का पर्दाफाश ना हो इसलिए पर्देदारी भी खूब की गई। लेकिन भाजपा के ही पार्षदों ने व्हिसल ब्लोअर बनकर घोटाले का पर्दाफाश कर दिया। भाजपा पार्षद राजेंद्र त्यागी  का आरोप है कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के रिएक्टरों के पुर्नगठन के नाम पर 6 करोड़ रुपए का बड़ा घोटाला किया। भाजपा पार्षद ने कहा कि नगर निगम के जलकल विभाग और जल निगम की सीएडंडीएस शाखा के अधिकारियों और ठेकेदार ने सरकारी धन का दुरूपयोग कर  पैसों का बंदरबांट किया गया। सीएंडडीएस को कुछ परियोजनाएं आवंटित की गई थी। मगर इसमें घोटालों होने के चलते शासन ने इसे ब्लैक लिस्ट कर दिया गया। राजेंद्र त्यागी ने  आरोप लगाया कि जल निगम की सीएंडडीएस ने शासन ने नामित की गई एजेंसी मैसर्स वीए टैक वेबाग ने 6.39 करोड़ रुपए भुगतान कर घोटाला किया। उन्होंने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है। पार्षद राजेंद्र त्यागी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, नगर विकास मंत्री, ईपीसीए के अध्यक्ष, प्रमुख सचिव नगर विकास, मंडलायुक्त, महापौर और नगर आयुक्त को शिकायती पत्र भेजा हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी ने डीजल और इलेक्ट्रिीसिटी बचाने के साथ मिथेन गैस से बिजली बनाने की बात कहीं, इससे गुणवत्ता सुधरेगी। इसी आधार पर वर्ष-2013 में कांट्रेक्ट दिया गया। मगर 2015 तक कोई काम नहीं किया गया। जबकि यह कार्य छह माह में पूरा होना था। एसटीपी कंपनी को हैंडओवर है। इसके अलावा शहर में नगर निगम के चार एसटीपी प्राइवेट कंपनी को कांटे्रेक्ट पर 104 करोड़ रुपए में दे दिए गए हैं। भाजपा पार्षद एवं जीडीए बोर्ड मेंबर हिमांशु मित्तल ने भी राजेंद्र त्यागी के आरोपों का समर्थन करते हुए जांच की मांग की।  हिमांशु मित्तल ने कहा  कि प्लांट में रिएक्टर ठीक कराए बिना ही नगर निगम ने जल निगम की सीएंडडीएस शाखा को 6.39 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया। नगर निगम के जलकल विभाग ने इस घोटाले की फाइल को ही दबा दिया। 70 एमएलडी के एसटीपी को ठीक कराने के लिए इस धनराशि को 19 सितंबर-2013 को मंडलायुक्त की अध्यक्षता में हुई अवस्थापना निधि की बैठक में 13वें वित्त आयोग की निधि से प्रस्ताव पास किया गया। 6.39 करोड़ 66 हजार रुपए स्वीकृत किए गए। रिपोर्ट में प्लांट के यूएएसबी पाइप लगाने, चारों रिएक्टरों की मरम्मत, टेस्टिंग कमीशनिंग, गैस होल्डर, गैस बर्निंग एवं गैस यूटिलाइजेशन सिस्टम, सीवेजस्लेज एवं गैस कन्वेयर सिस्टम को भी ठीक किया जाना था। जल निगम की सीएडंडीएस कंपनी ने इस कार्य को करने के लिए जो एस्टीमेट दिया गया। उसमें 6.33 करोड़ 66 हजार रुपए की मांग की गई। सीएंडएस परियोजना प्रबंधक ने 26 सितंबर, 2017 को एक पत्र जलकल विभाग नगर निगम के जीएम को लिखा। पत्र में बताया गया कि यूएएसबी रियक्टर तीन, गैस कन्वेयर, फ्लायेर, स्कबर सिस्टम, 320 एवं 63 केवीए डियूल फ्यूल जनरेटर की मरम्मत का कार्य पूरा हो गया है। एसटीपी के गैस सिस्टम का गैस होल्डर होम खराब है, यह कार्य नहीं कर रहे है। इससे पहले 27 अगस्त-2014 के पत्र में बताया गया कि गैस होल्डर डोम का कार्य चल रहा हैं। मगर तीन साल बाद वर्ष-2017 में कहा कि वह रिपेयर योग्य नहीं है। ऐसे में न तो गैस होल्डर की मरम्मत की गई और न उसे बदला गया। पार्षद ने कहा कि पूर्व नगर आयुक्त सीपी सिंह ने इसकी जांच के आदेश दिए थे। जांच में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। जलकल विभाग के  तत्कालीन महाप्रबंधक और अधिशासी अभियंता ने नगर आयुक्त को भेजी गई अपनी रिपोर्ट में कहा था कि जल निगम की सीएंडडीएस द्वारा जो प्लांट की मरम्मत की गई, उससे ट्रीटेड पानी की क्वालिटी ओर गिर गई। गैस कनेक्शन सिस्टम के पाईप डैमेज, रियेक्टर की डिस्ट्रीब्यूशन लाइन में लीकेज, रियेक्टर का स्टेबलाइजेशन ना किया जाना, गैस यूटिलाइजेशन सिस्टम निष्क्रिय होना पाया गया।  भाजपा पार्षद के आरोप बेहद गंभीर हैं ऐसे में इसकी विस्तृत जांच होनी चाहिए।