निगम मुख्यालय में संग्राम: सुरक्षाकर्मियों से भिड़े कांग्रेसी

-नवयुग मार्केट स्थित नगर निगम मुख्यालय रण क्षेत्र में हुआ तब्दील

-खूब हुई जूतम पैजार, कांग्रेसियों का आरोप निगमकर्मियों ने की अभद्रता

-निगम कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों ने कहा बदसलूकी और मारपीट करने लगे कांग्रेसी

उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। सरकार की महात्वाकांक्षी पॉलिटिकल ट्रेनिंग सेंटर की जमीन को कब्जामुक्त कराने का मामला राजनैतिक होता जा रहा है। नगर निगम द्वारा प्रशिक्षण केंद्र बनाने के लिए सरकारी जमीन को खाली कराये जाने के विरोध में कांग्रेस पार्टी खुलकर उतर आई है। मंगलवार को नवयुग मार्केट स्थित नगर निगम मुख्यालय रण क्षेत्र में तब्दील हो गया। नगर निगम के सुरक्षाकर्मियों और प्रदर्शनकारियों के बीच जमकर मारपीट हुई। दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर आरोप लगाते हुए थाने में तहरीर दी है। म्युनिसिपल कमिश्नर महेंद्र सिंह तंवर ने प्रदर्शनकारियों के रवैये को लेकर निराशा जताई और कहा कि सरकारी काम में किसी भी तरह की बाधा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। हंगामा शांत होने के बाद म्युनिसिपल कमिश्नर ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि नगर निगम द्वारा पीडि़तों की मदद की जाएगी। यदि उनके साथ धोखा हुआ है तो कानूनी प्रक्रिया में भी उनकी मदद की जाएगी लेकिन सरकारी जमीन को हर हाल में खाली कराया जाएगा।
कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष मनोज कौशिक, आईसीसी सदस्य नरेंद्र राठी, निगम पार्षद जाकिर सैफी के नेतृत्व में काफी संख्या में कांग्रेसी एवं शांतिनगर के रहने वाले लोग मंगलवार सुबह 11 बजे प्रदर्शन करते हुए नगर निगम मुख्यालय पहुंचे। प्रदर्शनकारियों में काफी संख्या में महिलाएं थी। शोर-शराबा और नारेबाजी करते हुए प्रदर्शनकारी नगर निगम बिल्डिंग में घुसने लगे। गेट पर मौजूद नगर निगम प्रवर्तन दल के सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को गेट पर रोक दिया। सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि वह समूह में अंदर ना जायें। कोरोना संक्रमण का खतरा है। ऐसे में वह नगर निगम के बाहर ही धरना दें। इस पर प्रदर्शनकारी क्रोधित हो गये। प्रदर्शनकारियों ने मुख्यालय में घुसने के लिए जबरन धक्का-मुक्की की। हंगामा सुनकर नगर निगम के कर्मचारी भी गेट पर आ गये और उन्होंने प्रदर्शनकारियों को समझाया कि वह यहीं रहे अधिकारी यहीं आकर उनसे वार्ता करेंगे। लेकिन प्रदर्शनकारी नहीं माने। इसी बात को लेकर दोनों पक्षों में गहमा-गहमी तेज हो गई। आरोप है कि प्रदर्शन कर रहे लोगों ने निगम के सुरक्षाकर्मियों के साथ हाथापाई शुरू कर दी। इसके बाद सुरक्षाकर्मी भी प्रदर्शनकारी से भिड़ गये। प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाकर्मियों पर बदसलूकी और लाठीचार्ज करने का आरोप लगाया। प्रदर्शनकारियों की संख्या सैकड़ों में थी। लगभग आधा घंटे तक नगर निगम गेट पर हंगामा चलता रहा। बाद में प्रदर्शनकारी गेट के नीचे धरने पर बैठ गये। इसके बाद म्युनिसिपल कमिश्नर महेंद्र सिंह तंवर बाहर आये और उन्होंने प्रदर्शनकारियों से वार्ता की।

सुबह संग्राम, शाम में माहौल हुआ शांत

उल्लेखनीय है कि नंदग्राम भू-माफियाओं का अड्डा बन गया है। भू-माफियाओं द्वारा गरीब लोगों को लालच में फंसाकर सरकारी जमीन बेच दी जा रही है। दो वर्ष सरकार ने नंदग्राम में राजनैतिक प्रशिक्षण केंद्र बनाने का निर्णय लिया। लेकिन भू-माफियाओं ने राजनैतिक प्रशिक्षण केंद्र के लिए चिन्हित जमीन को भी बेच दिया और उस पर लोगों को अवैध कब्जा दिला दिया। शनिवार को नगर निगम की टीम ने सरकारी जमीन से अवैध कब्जा हटाने की कार्रवाई करते हुए 11 मकानों को ध्वस्त कर दिया था। अभी भी यहां काफी संख्या में मकान बने हुए हैं जिन्हें तोड़ा जाना है। इन्हीं को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। मंगलवार को प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों ने प्रदेश सरकार और नगर निगम के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि नंदग्राम शांतिनगर में लोगों के मकान ना तोड़े जाएं। महानगर अध्यक्ष मनोज कौशिक ने कहा कि नगर निगम का काम विकास कराना ना कि लोगों को घरों से उजारना। विरोध प्रदर्शन में विजयपाल चौधरी, केएन पांडेय, पंकज तेवतिया, यामीन मलिक, शकील सैफी, राजू, अनुज, राजेश, अंजू देवी, कृष्णा, सर्वेश देवी, पुष्पा देवी, कल्पना देवी, राकेश सहित सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल थे। प्रवर्तन दल प्रभारी कर्नल दीपक सरन ने धारा-144 लागू होने के बावजूद इतनी संख्या में लोगों के जमा होने और निगम के प्रवर्तन दल के लोगों के साथ मारपीट करने के आरोप में सिहानी गेट में तहरीर दी है। उधर, प्रदर्शनकारियों ने भी सुरक्षाकर्मियों और निगमकर्मियों के खिलाफ थाने में तहरीर दी है। पुुलिस ने दोनों पक्षों की तहरीर ले ली है। लेकिन इसमें अभी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है।

नंद ग्राम में पॉलिटिकल ट्रेनिंग सेंटर बनना तय है। इसमें बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं है। नगर निगम की जमीन से कब्जा हटवाया जाएगा क्योंकि यह जरूरी है। गाजियाबाद नगर निगम एक संवेदनशील सरकारी संस्था है। वह लोगों की मदद करेगी। यदि कोई आवासहीन है तो उसे नियमानुसार सरकारी आवास उपलब्ध कराया जाएगा। पात्र लोगों को सरकारी योजनाओं में फ्री में मकान दिलाये जाएंगे। यदि लोगों के साथ ठगी हुई है तो ठगी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई में भी नगर निगम लोगों की मदद करेगा।
महेंद्र सिंह तंवर
म्युनिसिपल कमिश्नर
गाजियाबाद