किसानों के मामलों का होगा त्वरित समाधान अब नहीं चलेगी प्रशासनिक अड़ंगेबाजी बिना एसडीएम के हस्ताक्षर के फाइल को मिलेगी स्वीकृति जल्द तैयार होगा एसओपी

किसानों के लीजबैक और शिफ्टिंग से संबंधित मामलों में एसडीएम की दखलंदाजी पूरी तरह से खत्म होगी और इन मामलों में एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिड्योर) के तहत निर्णय लिये जाएंगे। किसानों के लीजबैक और शिफ्टिंग के मामलों को क्या एसओपी होगा इसके लिए कमेटी गठित की गई है। यमुना प्राधिकरण के सीईओ की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय कमेटी में सीईओ के अलावा नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ सदस्य होंगे। कमेटी अगली बोर्ड बैठक में एसओपी रखेगी जिसे बोर्ड की सहमति के बाद पास कर दिया जाएगा। इस निर्णय से गौतमबुद्ध नगर के हजारों किसानों को फायदा होगा।

उदय भूमि संवाददाता
ग्रेटर नोएडा। किसानों से संबंधित मामलों के त्वतिर निस्तारण के प्रशासनिक अड़ंगेबाजी को दूर करने की कवायद चल रही है। जिन मामलों में प्रशासनिक हस्तक्षेप अनावश्यक है और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा फाइलों के निस्तारण में बेवजह की देरी की जाती है। ऐसे मामलों में प्रशासनिक हस्तक्षेप कम करने की कोशिशें की जा रही है। किसानों के लीजबैक और शिफ्टिंग से संबंधित मामलों में एसडीएम की दखलंदाजी पूरी तरह से खत्म होगी और इन मामलों में एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिड्योर) के तहत निर्णय लिये जाएंगे। किसानों के लीजबैक और शिफ्टिंग के मामलों को क्या एसओपी होगा इसके लिए कमेटी गठित की गई है। यमुना प्राधिकरण के सीईओ की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय कमेटी में सीईओ के अलावा नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ सदस्य होंगे। कमेटी अगली बोर्ड बैठक में एसओपी रखेगी जिसे बोर्ड की सहमति के बाद पास कर दिया जाएगा। इस निर्णय से गौतमबुद्धनगर के हजारों किसानों को फायदा होगा।

विदित हो कि गौतमबुद्ध नगर के तीनों औद्योगिक विकास प्राधिकरण में किसानों के लीजबैक और शिफ्टिंग से संबंधित हजारों मामले पेंडिंग हैं। यमुना प्राधिकरण में इस तरह के मामलों की संख्या कम है। लेकिन नोएडा और ग्रेटर नोएडा में समस्या अधिक है। इन मामलों के निस्तारण के लिए फाइल डीएम द्वारा नामित एसडीएम के पास भेजी जाती है और एसडीएम के हस्ताक्षर के बाद ही फाइल को स्वीकृति मिलती है। लेकिन अक्सर ऐसे मामले देखने को मिलते हैं कि एसडीएम फाइल पर हस्ताक्षर नहीं करते और कई मामलों में एसडीएम द्वारा भेजे गये लेखपाल मनमानी रिपोर्ट तैयार कर फाइल को लटका देते हैं। ऐसे में इस तरह के मामलों के निस्तारण के लिए किसान महीनों एसडीएम कार्यालय के चक्कर काटते रहते हैं। आबादी से संबंधित मामलों में भी इस तरह की समस्या देखने को मिलती है।

अधिसूचित क्षेत्र में आने वाले गांवों में जमीन अधिग्रहण करते समय कई बार कुछ किसानों की घर के पास स्थित घेर इत्यादि की की भी जमीन का अधिग्रहण कर लिया जाता है। किसी प्रोजेक्ट के लिए जमीन जरूरी होने पर किसान की जमीन अधिग्रहित की जाती है और भूखंड को शिफ्ट कर दिया जाता है। किसानों के लीजबैक व शिफ्टिंग की प्रक्रिया पूरी करने के लिए जिलाधिकारी के प्रतिनिधि के रूप में नामित एसडीएम से फाइल पर स्वीकृति लेनी पड़ती है। यह प्रकिया किसानों के लिए परेशानियों भरा रहता है। एसडीएम से फाइल पर हस्ताक्षर करवाने के लिए किसानों को कई चक्कर काटने पड़ते हैं तब भी इस बात की गारंटी नहीं रहती है कि फाइल पर समय से हस्ताक्षर हो जाएगा। इस समस्या का हल निकालने के लिए एक नया एसओपी तैयार किया जा रहा है। इस एसओपी के आधार पर प्राधिकरण कार्यालय में ही किसानों की समस्या का समाधान हो जाएगा। इस मांग को लेकर किसान आए दिन विरोध प्रदर्शन भी करते रहते हैं।