जीडीए वीसी हाईकोर्ट में देंगे जवाब, बिल्डिंग में बनाए अवैध 134 फ्लैट

-इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वीकृत नक्शे से अतिरिक्त 134 फ्लैटों का अवैध निर्माण पर दिखा सख्त रूख

गाजियाबाद। इंदिरापुरम स्थित बिल्डर द्वारा एक्सप्रेस गार्डन बिल्डिंग में स्वीकृत नक्शे से अधिक वर्ष-2004 से वर्ष-2008 के बीच में अवैध रूप से 134 फ्लैट का निर्माण कर लिया। मगर जीडीए के इंजीनियरों से लेकर अधिकारियों को इसकी भनक नहीं लगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वीकृत नक्शे से अतिरिक्त 134 फ्लैटों का अवैध निर्माण किए जाने पर सख्त रुख अपनाया है। जीडीए उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह एवं बिल्डर पंकज गोयल को आगामी 8 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होकर यह बताने के आदेश दिए गए हैं कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई क्यों न की जाए। हाई कोर्ट द्वारा आदेश जारी किए जाने के बाद जीडीए उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह के निर्देश पर इंदिरापुरम में बिल्डर प्रोजेक्ट में अवैध रूप से बनाए गए 134 फ्लैटों की फाइल खंगाली जा रही है।

जीडीए उपाध्यक्ष ने जीडीए प्रवर्तन जोन-6 के प्रभारी अधिशासी अभियंता आलोक रंजन से पूरे मामले की जानकारी लेने के लिए फाइल मंगाई है। ऐसे में जीडीए की तत्कालीन इंजीनियरों से लेकर अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है। इसमें कई इंजीनियर भी लपेटे में आ सकते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि अजीब मामला है। बिल्डर द्वारा जीडीए की नाक के नीचे फ्लैटों का निर्माण कैसे किया। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई जिन्होंने बिल्डर को इस प्रोजेक्ट के निर्माण की अनुमति दी थी। इंदिरापुरम में एक्सप्रेस गार्डन गु्रप हाउसिंग सोसायटी बनाने के लिए बिल्डर पंकज गोयल ने वर्ष-2004 में जीडीए से 400 फ्लैटों का नक्शा स्वीकृत कराया गया। इसके बाद जीडीए इंजीनियरों द्वारा स्वीकृत नक्शे से अधिक फ्लैटों का निर्माण किए जाने पर इसकी कंपाउंडिंग की गई।इसमें 400 के बजाय 536 फ्लैटों का संशोधित नक्शा जीडीए से स्वीकृत कराया गया। लेकिन बिल्डर ने 536 की बजाय 670 फ्लैटों का निर्माण किया। इसमें पूजाघर, किचन दिखाकर नक्शा पास कराया गया।

जबकि बिल्डर ने इसके बाद फ्लैटों में पार्टीशियन कर उसे एक की जगह दो फ्लैट बना लिए। यह फ्लैट वर्ष-2004 से वर्ष-2008 के बीच या वर्ष-2009-10 तक बनाए गए हैं। वहां के रेजिडेंट्स का आरोप है कि जीडीए इंजीनियरों व अधिकारियों और बिल्डर की मिलीभगत से मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई।जीडीए समेत अन्य सभी सरकारी कार्यालय में शिकायत की गई, लेकिन सभी जगह शिकायत को नहीं सुना गया। परेशान होकर रेजिडेंट्स को हाई कोर्ट में याचिका दायर करनी पड़ी। रेजिडेंट्स के अधिवक्ता ने हाई कोर्ट में डीड ऑफ डिक्लेरेशन की प्रति पेश की है।इसके तहत ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट में सिर्फ 536 फ्लैट बनाने की अनुमति थी।हाईकोर्ट ने कहा कि बहुत अजीब मामला है

नियमों को ताक पर रखकर जीडीए अधिकारियों ने प्रोजेक्ट की कंपाउंडिंग भी कर दी,जो स्वीकृति से ज्यादा फ्लैट बनाने पर नहीं की जा सकती थी। प्रोजेक्ट का कंपलीशन अभी तक भी जारी नहीं किया गया हैं। याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि यह मामला गंभीर है। जीडीए उपाध्यक्ष व बिल्डर पंकज गोयल दोनों आठ दिसंबर को अदालत में उपस्थित हों और बताएं कि उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई क्यों न शुरू की जाए। जीडीए उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह का कहना है कि मामला पुराना है। एक्सप्रेस गार्डन ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट की फाइल देखी जा रही है। इसमें जो जीडीए की ओर से कार्रवाई की ेगई। हाईकोर्ट में जीडीए द्वारा अपना पक्ष रखा जाएगा। इसके लिए अधिवक्ता से हलफनामा तैयार कराया जा रहा है। बता दें कि इंदिरापुरम के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी स्वीकृत नक्शे से विपरीत बिल्डरों व अन्य लोगों द्वारा अवैध रूप से निर्माण किए जा रहे है। मगर जीडीए की कार्रवाई शून्य है।