कुत्तों के आतंक से निपटने के लिए एक्शन में गाजियाबाद नगर निगम 53 हाई रिस्क जोन चिन्हित बनेगा एक और एबीसी सेंटर म्युनिसिपल कमिश्नर विक्रमादित्य मलिक स्वयं कर रहे मॉनिटरिंग

गाजियाबाद शहर में 53 हाई रिस्क जोन बनाये गये हैं जिसमें इंदिरापुरम के शिप्रा सनसिटी से लेकर शालीमार गार्डन, मोहन नगर, वसुंधरा, सिटी जोन, विजय नगर जोन और कविनगर जोन के लगभग 150 कॉलोनी और ब्लॉक को शामिल किया गया है। इन कॉलोनियों में व्यापक पैमाने पर अभियान चलाकर कुत्तों का स्टेरलाइजेशन (नशबंदी) किया जाएगा। शासन से वार्ता की जा रही है और शहर में जल्द ही एक और एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर (एबीसी) की स्थापना की जाएगी। कुत्तों को लेकर कई कड़े नियम हैं ऐसे में नगर निगम द्वारा शहरवासियों और डाग लवर्स के लिए डूज एंड डॉन्ट रूल बनाकर उसका प्रचार प्रसार किया जाएगा।
विजय मिश्रा (उदय भूमि ब्यूरो)
गाजियाबाद। कुत्तों से परेशान शहरवासी और डॉग लवर्स एनिमल एक्टिविस्ट के बीच फंसे गाजियाबाद नगर निगम ने कुत्तों का आतंक मिटाने के लिए खास एक्शन प्लान तैयार किया है। म्युनिसिपल कमिश्नर विक्रमादित्य सिंह मलिक स्वयं एक्शन प्लान की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। मुख्य पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी को विभिन्न हाउसिंग सोसाइटीज एवं कॉलोनियों के आरडब्ल्यूए के साथ मिलकर जागरूकता कैंपेन चलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सभी जोन के जोनल प्रभारी को अपने क्षेत्र में कुत्तों को लेकर संवेदनशील कॉलोनियों पर नजर रखने को कहा गया है। गाजियाबाद शहर में 53 हाई रिस्क जोन बनाये गये हैं जिसमें इंदिरापुरम के शिप्रा सनसिटी से लेकर शालीमार गार्डन, मोहन नगर, वसुंधरा, सिटी जोन, विजय नगर जोन और कविनगर जोन के लगभग 150 कॉलोनी और ब्लॉक को शामिल किया गया है। इन कॉलोनियों में व्यापक पैमाने पर अभियान चलाकर कुत्तों का स्टेरलाइजेशन (नशबंदी) किया जाएगा। शासन से वार्ता की जा रही है और शहर में जल्द ही एक और एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर (एबीसी) की स्थापना की जाएगी। कुत्तों को लेकर कई कड़े नियम हैं ऐसे में नगर निगम द्वारा शहरवासियों और डाग लवर्स के लिए डूज एंड डॉन्ट रूल बनाकर उसका प्रचार प्रसार किया जाएगा।
विदित हो कि कुत्तों के खूनी आतंक को लेकर गाजियाबादवासी दहशत में हैं। पिछले कुछ दिनों में कई ऐसी घटनाएं हुई है जिससे पूरा देश दहल गया है। गाजियाबाद में कुत्तों के हमले से हुई दो मौत ने लोगों को झकझोर दिया है। गाजियाबाद नगर निगम पर भी कुत्तों के आतंक से निपटने को लेकर जबरदस्त दवाब है। गाजियाबाद के विजयनगर थाना क्षेत्र में चरण सिंह कॉलोनी निवासी 14 वर्षीय किशोर की 4 सितंबर को मृत्यु हो गई थी। कुत्ता काटने से रैबीज संक्रमित हुए बच्चे ने अपने पिता की गोद में तड़पते हुए दम तोड़ा। इसका एक वीडियो पूरे देश में वायरल हुआ। कुछ दिन पहले एक और व्यक्ति की मौत कुत्ता के काटने से हुई। बड़े-बुजुर्ग सभी कुत्तों के आतंक से दहशत में हैं। ऐसे में म्युनिसिपल कमिश्नर विक्रमादित्य सिंह मलिक ने नगर निगम अधिकारियों के साथ बैठक करके कुत्तों के आतंक से निपटने का एक्शन प्लान तैयार किया है। एक्शन प्लान पर अमल शुरू हो गया है और लगभग दो दर्जन हाउसिंग सोसाइटीज को स्ट्रीट डॉग फ्री कराया गया है। इन सोसाइटी के सभी कुत्तों का स्टेरलाइजेशन (नसबंदी) कराया गया है।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
कुत्ते के काटने से 14 वर्षीय बच्चे की मौत का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सोमवार को अधिवक्ता कुणाल चटर्जी पट्टी बांधकर अदालत के सामने पेश हुए। उन्होंने कहा कि आवारा कुत्तों के हमले में सुप्रीम कोर्ट को कोई दिशा निर्देश देना चाहिए। क्योंकि हाईकोर्ट ने अलग-अलग केस में भिन्न फैसला दे रखा है। इसलिए इस मामले में स्थिति स्पष्ट की जानी चाहिए। कोर्ट में मौजूद सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह गंभीर मामला है। तुषार मेहता ने 4 सितंबर को उत्तर प्रदेश के जिला गाजियाबाद में कुत्ते के काटने से हुई 14 साल के बच्चे की मौत का मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा और स्वत: संज्ञान लिए जाने की मांग की। कोर्ट ने सुनवाई कर ली है, हालांकि इस मामले में कोई आदेश फिलहाल नहीं दिया गया है।

रोज आ रहे कुत्ता काटने के 200 मामले
गाजियाबाद में कुत्तों द्वारा काटे जाने की घटनाएं लगातार सामने आ रहीं हैं। बीते शनिवार को 25 लोगों को कुत्ते ने काटा। शहर में कुत्तों का आतंक तेजी से बढ़ रहा है। गाजियाबाद में औसतन 7 से 8 लोगों को प्रति घंटे कुत्ते काट रहे हैं। क्योंकि, संयुक्त अस्पताल में एक दिन में 200 से ढाई सौ लोगों को एंटी रेबीज वैक्सीन (एआरसी) की डोज लगाई जा रही है। संयुक्त जिला अस्पताल की बात करें तो यह आंकड़ा सोमवार को और अधिक बढ़ जाता है। जब रविवार की छुट्टी के बाद सोमवार को संयुक्त अस्पताल खुलता है तब कुत्ते द्वारा काटे जाने की घटनाएं लेकर आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ जाती है।

हाई रिस्क जोन में शामिल हैं ये कॉलोनियां
नगर निगम द्वारा 53 हाई रिस्क जोन बनाये गये हैं। ये रिस्क जोन ऐसे हैं जो कुत्तों के काटने के लिहाज से संवेदनशील हैं। इन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जाएगा और सतत निगरानी रखी जाएगी। हाई रिस्क जोन में राज बाग, मकनपुर, खोड़ा गांव, महराजपुर, राजनगर, भौपूरा, शास्त्रीनगर, सादिक नगर, करहेड़ा, कैला भट्टा, वसुंधरा, बुलंदशहर रोड, कड़कड़ मॉडल, सरस्वती कॉलोनी, हिंडन विहार, विजय नगर, प्रताप विहार, अर्थला, मोहन नगर, दीन दयालपूरी, लाल बाग, दौलतपुरा, पंचशील, मिर्जापुर, शहीदनगर, कोट गांव, इंदिरापुरी, लक्ष्मी गार्डन, ब्रिज विहार, कृष्णा नगर, राजीव गार्डन, शालीमार गार्डन, शिप्रा सन सिटी, राहुल गार्डन, साधना इंक्लेव इत्यादी क्षेत्र के लगभग 150 कॉलोनियां और ब्लॉक शामिल हैं।

शहर में कुत्तों के आतंक से शहरवासी खौफजदा हैं। महापौर सहित समस्त पार्षद इस समस्या को लेकर नगर निगम कार्यकारिणी बैठक और बोर्ड बैठक में चिंता जाहिर कर चुके हैं। कुत्तों के आतंक से निपटने और समस्या के समाधान के लिए कारगर प्रयास किये जाने की जरूरत है।
राजीव शर्मा
नगर निगम उपाध्यक्ष

नगर निगम द्वारा हाई रिस्क जोन चिन्हित करने के साथ ही डॉग स्टेरलाइजेशन की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। जल्द ही लगभग पौने दो करोड़ की लागत से एक नया एबीसी सेटर बन जाएगा। इसके बाद प्रतिदिन 70 से 75 कुत्तों का स्टेरलाइजेशन होगा। आरडब्ल्यूए, एनजीओ और एनिमल एक्टिविस्ट को साथ मिलकर जागरूकता कैंपेन भी चलाया जा रहा है।
विक्रमादित्य सिंह मलिक
म्युनिसिपल कमिश्नर