IAS डॉ. नितिन गौड़ में है दम महज डेढ़ महीने में कर्ज के बोझ को किया 33 करोड़ कम

म्युनिसिपल कमिश्नर का चार्ज संभाले हुए IAS डॉ. नितिन गौड़ को अभी डेढ़ महीने ही हुए हैं लेकिन इस कम अवधि में ही उन्होंने ऐसा काम किया है, जिसकी चर्चा पूरे शहर में हो रही है। किसी भी नये अधिकारी को गाजियाबाद नगर निगम की कार्य प्रणाली और कामकाज को समझने और रुटीन में आने में ही एक से दो महीने का समय लग जाते हैं। लेकिन सिर्फ डेढ़ महीने के भीतर डॉ. नितिन ने नगर निगम के विकास कार्यों के प्रभावित किये बिना 33 करोड़ रुपये के कर्ज औैर देनदारी को कम किया है। नगर निगम के किसी भी नगर आयुक्त के कामकाज के लिहाज से यह एक रिकॉर्ड है।

विजय मिश्रा (उदय भूमि ब्यूरो)
गाजियाबाद। दृढ़ इच्छाशक्ति और मजबूत इरादे से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। यह बात गाजियाबाद के नव नियुक्त म्युनिसिपल कमिश्नर आईएएस डॉ. नितिन गौड़ पर सटीक बैठता है। म्युनिसिपल कमिश्नर का चार्ज संभाले हुए डॉ. नितिन गौड़ को अभी डेढ़ महीने ही हुए हैं लेकिन इस कम अवधि में ही उन्होंने ऐसा काम किया है, जिसकी चर्चा पूरे शहर में हो रही है। म्युनिसिपल कमिश्नर ने एक वर्ष के भीतर गाजियाबाद नगर निगम को कर्ज और देनदारियों के बो­झ से मुक्त कराने को लेकर जो दावा किया था उसको पूरा करते हुए दिखाई दे रहे हैं। किसी भी नये अधिकारी को गाजियाबाद नगर निगम की कार्य प्रणाली और कामकाज को समझने और रुटीन में आने में ही एक से दो महीने का समय लग जाते हैं। लेकिन सिर्फ डेढ़ महीने के भीतर डॉ. नितिन ने नगर निगम के विकास कार्यों के प्रभावित किये बिना 33 करोड़ रुपये के कर्ज औैर देनदारी को कम किया है। नगर निगम के किसी भी नगर आयुक्त के कामकाज के लिहाज से यह एक रिकॉर्ड है।
विदित हो कि डॉ. नितिन गौड़ को गाजियाबाद के म्युनिसिपल कमिश्नर के चार्ज के साथ ही आर्थिक संकट का कांटो भरा ताज तोहफे में मिला। गाजियाबाद नगर निगम पर लगभग 325 करोड़ रुपये की देनदारी थी और एकाउंट खाली था। पूर्व में कराये गये विकास कार्यों के मद में ठेकेदारों को लगभग 157 करोड़ रुपये का भुगतान शेष बचा हुआ था। ऐसे में कठिन परिस्थिति में विचलित हुए बिना डॉ. नितिन गौड़ ने योजना बनाकर काम शुरू किया। डॉ. नितिन ने निगम के सभी विभागों के साथ बैठक करने के बाद स्पष्ट कर दिया कि किसी भी तरह की फिजुलखर्ची बर्दाश्त नहीं होगी। इसका तत्काल असर हुआ। नगर निगम में बेतुके एस्टीमेट और फाइलें बननी बंद हो गई। लेखा विभाग और टैक्स विभाग के साथ अलग बैठक कर आमदनी बढ़ाने और देनदारी के बो­झ को कम करने का रोडमैप तैयार करते हुए उस पर तत्काल अमल शुरू कर दिया। टैक्स विभाग के लूपहोल को बंद कर आमदनी बढ़ाने का काम किया। फिजूलखर्ची रोकने को लेकर निगरानी कमेटी गठित की है। म्युनिसिपल कमिश्नर की इस मेहनत और कार्यप्रणाली का असर डेढ़ महीने के भीतर ही दिखने लगा है। 33 करोड़ की देनदारी के बो­झ को इतने कम समय में कम करना बड़ी उपलब्धि है। विकास कार्यों की रफ्तार में तेजी आए इसको लेकर भुगतान सिस्टम को ठीक किया। नगर निगम के ठेकेदारों को भरोसा दिलाया कि भुगतान में भले ही फिलहाल देरी होगी लेकिन जल्द सभी के बकाये का भुगतान कराया जाएगा। इसका असर यह रहा कि जो ठेकेदार नगर निगम के टेंडर में भागीदारी नहीं कर रहे थे उन्होंने काम को जल्दी-जल्दी निपटाना शुरू कर दिया। पहले सिर्फ रसूखदार ठेकेदारों का भुगतान होता था। लेकिन इस बार दीपावली पर सभी ठेकेदारों को एक समान भुगतान किया गया। इससे शहर के पेडिंग पड़े विकास कार्यों में भी तेजी आई। जिस नगर निगम के लिए रुटीन खर्चे को मेंटेन करना बड़ा चैलेंज बना हुआ था वह नगर निगम 33 करोड़ की देनदारी को चुकता कर चुका है। ठेकेदारों का अभी 124 करोेड़ रुपये का भुगतान पुराने किये गये कार्यों के मद में होना है। म्युनिसिपल कमिश्नर ने एक वर्ष के भीतर अधिकांश देनदारी और कर्ज को चुकता कर नगर निगम की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से पटरी पर लाने का दावा किया है। पिछले डेढ़ महीने में उन्होंने जिस तरह से काम किया है उससे लगता है कि वह जल्द अपने दावे को पूरा करने में सफल होंगे।